यूपी के गन्ना किसानों का 4000 करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया, नया पेराई सीजन शुरू लेकिन पिछले के भुगतान का इंतजार
गन्ना पेराई के नए सीजन (1 अक्टूबर, 2023- 30 सितंबर, 2024) की शुरुआत हो चुकी है लेकिन उत्तर प्रदेश के किसानों को पिछले पेराई सीजन (2022-23) के गन्ना बकाये का पूरा भुगतान अभी तक नहीं हुआ है। प्रदेश के गन्ना किसानों का करीब एक दर्जन से ज्यादा चीनी मिलों पर 4000 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है। इनमें से कुछ मिलें ऐसी हैं जिन्होंने दिसंबर 2022 तक का ही भुगतान किया है। यही नहीं, चालू सीजन के लिए राज्य सरकार ने गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) भी घोषित नहीं किया है, जबकि सीजन शुरू होने से पहले ही इसकी घोषणा हो जानी चाहिए। पिछले सीजन में गन्ने की अगैती किस्म के लिए एसएपी 350 रुपये प्रति क्विंटल था।
गन्ना पेराई के नए सीजन (1 अक्टूबर, 2023- 30 सितंबर, 2024) की शुरुआत हो चुकी है लेकिन उत्तर प्रदेश के किसानों को पिछले पेराई सीजन (2022-23) के गन्ना बकाये का पूरा भुगतान अभी तक नहीं हुआ है। प्रदेश के गन्ना किसानों का करीब एक दर्जन से ज्यादा चीनी मिलों पर करीब 4000 करोड़ रुपये का बकाया है। इनमें से कुछ मिलें ऐसी हैं जिन्होंने दिसंबर 2022 तक का ही भुगतान किया है। यही नहीं, चालू सीजन के लिए राज्य सरकार ने गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) भी घोषित नहीं किया है, जबकि सीजन शुरू होने से पहले ही इसकी घोषणा हो जानी चाहिए। पिछले सीजन (2022-23) में गन्ने की अगैती किस्म के लिए एसएपी 350 रुपये प्रति क्विंटल था।
उत्तर प्रदेश गन्ना विकास विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, गन्ना किसानों को 29 सितंबर, 2023 तक 33,826.53 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है जो कुल भुगतान का 88.90 फीसदी है। इस लिहाज से देखें तो यूपी के चीनी मिलों पर गन्ना किसानों की कुल देनदारी लगभग 38,000 करोड़ रुपये बनती है, जबकि बकाया करीब 4,200 करोड़ रुपये बैठता है। शामली, ऊन (शामली), मलकपुर (बागपत), सिंभावली, मोदी चीनी मिलें जैसी करीब एक दर्जन से ज्यादा मिलें हैं जिन पर किसानों का बकाया है।
शामली और ऊन की चीनी मिलों ने तो किसानों को पिछले पेराई सीजन के सिर्फ दो से ढाई महीने का ही भुगतान किया है। नवंबर 2022 से इन मिलों में पेराई शुरू हुई थी और इन्होंने दिसंबर 2022 तक का ही गन्ना भुगतान किया है, जबकि मई 2023 तक इन मिलों में पेराई हुई। इस लिहाज से किसानों का 5 महीने का बकाया है। नियमतः किसानों द्वारा मिलों को गन्ना देने के 14 दिन के भीतर भुगतान हो जाना चाहिए। उसके बाद हुए भुगतान को बकाया भुगतान माना जाता है जिस पर मिलों को ब्याज देना होता है।
शामली जिले के भैंसवाल गांव के गन्ना किसान भोपाल सिंह शामली चीनी मिल को अपना गन्ना बेचते हैं। वह छोटे किसान हैं। भोपाल सिंह ने बताया कि शामली मिल ने दिसंबर 2022 तक का ही भुगतान किया है, जबकि अब नया पेराई सीजन शुरू हो चुका है। इतने लंबे समय तक भुगतान नहीं होने से उन्हें आर्थिक रूप से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। चीनी मिलों द्वारा बकाये का भुगतान नहीं होने से भोपाल सिंह पिछला फसल कर्ज ही नहीं चुका पाए हैं, जबकि मौजूदा फसल भी कटने को तैयार है। भोपाल सिंह कहते हैं कि, मेरी आमदनी का जरिया खेती ही है। गन्ना बकाये की वजह से बच्चों की पढ़ाई, इलाज के लिए दवाई सहित अन्य सारे खर्चों का बोझ उठा पाना उनके लिए मुश्किल होता जा रहा है। शामली जिले के हजारों किसानों की स्थिति उन जैसी ही है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पेराई सीजन 2022-23 में उत्तर प्रदेश में 1098.82 लाख टन गन्ने की पेराई हुई और 104.82 लाख चीनी का उत्पादन हुआ। पेराई सीजन 2021-22 में 1016.26 लाख टन गन्ने की पेराई यूपी के मिलों द्वारा की गई और 101.98 लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया। 2021-22 में किसानों को 35,158.93 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया जो कुल भुगतान का 99.88 फीसदी था।