महाराष्ट्र में दूध किसानों का विधानसभा के बाहर प्रदर्शन, कीमतों में गिरावट से परेशान
दूध की कीमतों में गिरावट से नाराज महाराष्ट्र के किसानों ने विधान भवन के बाहर प्रदर्शन करते हुए दूध सड़क पर बिखेर दिया। किसानों का कहना है कि उन्हें दूध पर प्रति लीटर 10 से 15 रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
महाराष्ट्र में दूध के दाम को लेकर किसानों के विरोध-प्रदर्शनों का सिलसिला जोर पकड़ रहा है। महाराष्ट्र विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन किसानों ने दूध की कीमतों में वृद्धि की मांग को लेकर मुंबई में विधान भवन के सामने प्रदर्शन किया। दूध की कीमतों में गिरावट से नाराज किसानों ने दूध सड़क पर बिखेर दिया। किसानों का कहना है कि उन्हें दूध पर प्रति लीटर 10 से 15 रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसलिए सरकार से दूध पर कम से कम 10 रुपये लीटर सब्सिडी देनी चाहिए।
अखिल भारतीय किसान सभा के नेता डॉ. अजित नवले ने बताया कि दूध की कीमत में बढ़ोतरी की मांग को लेकर शुक्रवार से राज्य भर में विरोध-प्रदर्शन किए जा रहे हैं। विपक्षी दल कांग्रेस ने भी महाराष्ट्र में दूध खरीद की कीमतों में बढ़ोतरी की मांग करते हुए विरोध-प्रदर्शन की चेतावनी दी है। महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा है कि विभिन्न राज्यों में दूध का दाम 45 रुपये लीटर तक मिलता है। लेकिन महाराष्ट्र में किसानों को 27 रुपये लीटर के रेट पर दूध बेचना पड़ रहा है। जबकि उपभोक्ताओं से ऊंचा दाम वसूला जा रहा है। महाराष्ट्र विधानसभा में मानसून सत्र के दूसरा दिन विपक्ष ने महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए किसानों की कर्जमाफी और दूध के दाम का मुद्दा उठाया।
कुछ दिन पहले ही देश के बड़े दूध ब्रांड की कीमतों में प्रति लीटर दो रुपये तक की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, महाराष्ट्र के डेयरी किसान दूध की कीमतें घटने से संकट में हैं। राज्य में गाय के दूध की कीमत गिरकर 26 रुपये प्रति लीटर तक आ गई हैं। लोकसभा चुनाव से पहले मार्च और अप्रैल में राज्य सरकार ने किसानों को दूध पर पांच रुपये लीटर की सब्सिडी दी थी जिसे मई में बंद कर दिया गया। शुक्रवार को महाराष्ट्र का बजट आ रहा है। किसान संगठनों ने कहा कि राज्य सरकार किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए दूध पर सात रुपये प्रति लीटर की सब्सिडी दे। अगर ऐसा नहीं होता है तो एक जुलाई से राज्य भर में किसान दूध की बेहतर कीमतों के लिए आंदोलन शुरू कर देंगे।
महाराष्ट्र में स्वाभिमानी शेतकरी संघटना के अध्यक्ष और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने रूरल वॉयस को बताया कि राज्य में हर रोज करीब 120 लाख लीटर दूध का उत्पादन होता है। इसका एक हिस्सा ही संगठित क्षेत्र में जाता है। वहीं, करीब 20 लाख लीटर दूध मध्य प्रदेश और कर्नाटक से आ रहा है। इस स्थिति में दूध किसानों को गाय के दूध (तीन फीसदी फैट) के लिए 25 से 26 रुपये प्रति लीटर दाम ही मिल पा रहा है। जबकि पिछले साल यह कीमत 38 रुपये प्रति लीटर तक चली गई थी।
दूध की कीमतों में गिरावट की एक बड़ी वजह स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) की कीमत का गिरना है। इसकी वजह से एसएमपी का उत्पादन करने वाली निजी डेयरी कंपनियां किसानों को दूध के कम दाम दे रही हैं। वैश्विक बाजार में एसएमपी की जो वर्तमान कीमतें हैं, उसके चलते भारत से एसएमपी का निर्यात प्रतिस्पर्धी नहीं रह गया है। शेट्टी का कहना है कि सरकार को एसएमपी निर्यात पर भी सब्सिडी देनी चाहिए। इससे किसानों को दूध का बेहतर दाम मिल सकेगा।