हरियाणा चुनाव के बीच गरमाया धान के भाव और सरकारी खरीद में देरी का मुद्दा

हरियाणा में धान खरीद को लेकर राजनीति गरमा रही है। किसानों ने धान की सरकारी खरीद में देरी के मुद्दे पर विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। मंगलवार को यमुनानगर और कैथल में किसानों ने प्रदर्शन किया। यमुनानगर में किसान धान लेकर लघु सचिवालय पहुंच गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। 

हरियाणा चुनाव के बीच गरमाया धान के भाव और सरकारी खरीद में देरी का मुद्दा

हरियाणा विधानसभा चुनाव की हलचल के बीच धान की सरकारी खरीद में देरी और कीमतों में गिरावट का मुद्दा गरमा रहा है। राज्य में धान की सरकारी खरीद 23 सितंबर से शुरू होनी थी लेकिन ऐन वक्त पर सरकार ने एक अक्तूबर से खरीद शुरू करने का फरमान जारी कर दिया है। इसके पीछे राज्य में अधिक बारिश को वजह बताया जा रहा है। लेकिन धान खरीद में देरी के चलते किसानों की दिक्कतें बढ़ गई हैं। हरियाणा में धान का भाव पिछले साल के मुकाबले 500-700 रुपये नीचे आ गया है। सरकारी खरीद शुरू न होने से किसानों को कम भाव पर धान बेचना पड़ रहा है।  

हरियाणा में धान खरीद को लेकर राजनीति गरमा रही है। किसानों ने धान की खरीद में देरी के मुद्दे पर विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। मंगलवार को यमुनानगर और कैथल में किसानों ने प्रदर्शन किये। यमुनानगर में किसान धान लेकर लघु सचिवालय पहुंच गये और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। गुस्साए किसानों ने कैथल-दिल्ली मार्ग पर चक्का जाम भी किया। चुनाव के बीच विपक्षी दल और किसान संगठन धान का मुद्दा उठा रहे हैं। 

अखिल भारतीय किसान कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग पूनिया ने ट्विट किया कि मंडियों में खरीद न होने के कारण किसान एमएसपी से कम रेट पर धान बेचने के लिए मजबूर है और कृषि मंत्री एमएसपी को मजबूत करने के जुमले फेंक रहे हैं। हरियाणा के जींद जिले के युवा किसान नेता अशोक दनोदा का कहना है कि धान का एमएसपी सरकार ने 2300 और 2320 रुपये तय किया है लेकिन किसानों को 2000 रुपये में धान बेचना पड़ रहा है क्योंकि धान की सरकारी खरीद में देरी हो रही है।   

हरियाणा में अगेती बुवाई वाला धान मंडियों में आना शुरू हो गया है। राज्य में 15 जून से धान लगना शुरू हो जाता है। अनाज मंडियों में 1509 धान के साथ मोटे धान (पीआर) की आवक भी शुरू हो गई है। लेकिन अभी मंडियों में खरीद के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। प्राइवेट खरीदार कम भाव पर धान खरीद रहे हैं। पिछले साल 1509 धान का भाव 3500 रुपये क्विंटल से अधिक था लेकिन फिलहाल इसका रेट 2800-3000 रुपये के आसपास है। 

चुनाव में अहम होंगे किसानों के मुद्दे

भारतीय किसान यूनियन (शहीद भगत सिंह) के नेता तेजवीर सिंह ने बताया कि किसान मंडियों में धान लेकर आ रहे हैं लेकिन खरीद की कोई व्यवस्था नहीं है। 23 सितंबर से धान की खरीद शुरू होनी थी जिसे बढ़ाकर 1 अक्टूबर कर दिया। तेजवीर सिंह का कहना है कि आगामी विधानसभा चुनाव में किसानों के मुद्दे निर्णायक साबित होंगे। किसान भाजपा से 10 साल का हिसाब मांग रहे हैं। 22 सितंबर को पीपली में हुई किसान महापंचायत में बड़ी तादाद में किसान जुटे थे। आगामी 3 अक्टूबर को रेल रोको आंदोलन की तैयारी है।  

गौरतलब है कि 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी कांड की बरसी है। जबकि 5 अक्टूबर को हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होगा। इससे बीच धान खरीद का मुद्दा कृषि प्रधान हरियाणा के सियासी मूड पर बड़ा असर डाल सकता है। 

ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्ट्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया का कहना है कि धान के भाव का मुद्दा किसानों की नाराजगी बढ़ाएगा। इसका असर चुनाव पर भी पड़ सकता है। सेतिया का मानना है कि हाल के वर्षों में खाद्यान्न से जुड़ी नीतियों में खामियों के चलते किसान, व्यापारी और आम जनता सभी को नुकसान पहुंचा है।   

धान और हरियाणा की अर्थव्यवस्था

हरियाणा देश का प्रमुख धान उत्पादक राज्य है। हरियाणा की अर्थव्यवस्था और राजनीति के लिहाज से धान का बड़ा महत्व है। खरीफ सीजन में हरियाणा में होने वाली कुल बुवाई का लगभग आधा (49 फीसदी) हिस्सा धान का होता है। बाकी आधे में कपास, बाजारा, ग्वार जैसी खरीफ की अन्य फसलें हैं। धान में भी लगभग 56 फीसदी यानी आधे से अधिक क्षेत्र हरियाणा में बासमती धान की किस्मों का होता है। गैर-बासमती किस्मों की खरीद सरकारी एजेंसियों द्वारा एमएसपी पर हो जाती है जबकि बासमती धान को अधिकतर निर्यात या घरेलू मांग के लिए प्राइवेट व्यापारी खरीदते हैं। धान की सरकारी खरीद और भाव का मुद्दा हरियाणा की राजनीति पर असर डालते हैं।

यही वजह है कि चुनाव से पहले किसानों को लुभाने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री नायाब सिंह सैनी ने सभी 24 फसलों की खरीद एमएसपी पर करने का ऐलान किया था। अब देखना है कि धान खरीद के मामले में सीएम सैनी अपने वादे पर कितना खरा उतरते हैं।  

 

 

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