एमपी के मुरैना जिले में 160 करोड़ की लागत से बनेगा हॉर्टिकल्चर कॉलेज, केंद्र ने दी मंजूरी
केंद्र सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत आने वाले कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग ने रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के तहत मुरैना जिले में हॉर्टिकल्चर कॉलेज खोलने का फैसला किया है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की पहल पर केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने इसकी मंजूरी दे दी है। मध्य प्रदेश सरकार ने जिले के पोरसा तहसील में इसके लिए लगभग 300 एकड़ भूमि का आवंटन भी कर दिया है। कॉलेज की स्थापना पर करीब 160 करोड़ रुपये की लागत आएगी जिसका वहन केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा।
केंद्र सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत आने वाले कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग ने रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के तहत मुरैना जिले में हॉर्टिकल्चर कॉलेज खोलने का फैसला किया है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की पहल पर केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने इसकी मंजूरी दे दी है। मध्य प्रदेश सरकार ने जिले के पोरसा तहसील में इसके लिए लगभग 300 एकड़ भूमि का आवंटन भी कर दिया है। कॉलेज की स्थापना पर करीब 160 करोड़ रुपये की लागत आएगी जिसका वहन केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा।
इस अंचल में यह कॉलेज अपनी तरह का पहला कॉलेज होगा। इसमें स्नातक स्तर की पढ़ाई होगी जिसमें फल विज्ञान, सब्जी विज्ञान, फूलों की खेती और भू-निर्माण, पौध संरक्षण, सामाजिक विज्ञान, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, बुनियादी विज्ञान आदि जैसे विभिन्न विभाग होंगे। कॉलेज के माध्यम से हॉर्टिकल्चर संबंधी अनुसंधान कार्यों को भी गति मिलेगी। साथ ही नए रोजगार भी सृजित होंगे और क्षेत्र के किसानों की आमदनी बढ़ाने में भी यह सहायक होगा।
मुरैना बुंदेलखंड क्षेत्र में आता है। जिले में कृषि, बागवानी एवं डेयरी मुख्य व्यवसाय है। यहां बागवानी फसलों के अंतर्गत अमरूद, नींबू, आम जैसे फल तथा आलू, टमाटर, बैंगन, मिर्च, खीरा आदि सब्जियां उगाई जाती हैं। धनिया, अदरक, हल्दी, फनल, लहसुन जैसे विभिन्न मसालों के साथ-साथ गेंदा, गुलाब एवं गिलार्डिया जैसे फूलों की भी यहां खेती की जाती है।
मुरैना विभिन्न फलों, सब्जियों एवं फूलों के बड़े उत्पादक के रूप में उभर रहा है। हाल के दशक में बागवानी फसलों की खेती अत्यधिक लाभकारी उद्यम के रूप में उभरी है, फिर भी यह जिले में सकल फसल क्षेत्र का करीब 2.5% ही है। इसलिए प्रस्तावित कॉलेज न केवल मुरैना जिले, बल्कि चंबल-ग्वालियर क्षेत्र की समग्र प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए मील का पत्थर साबित होगा