हिमाचल में गढ़ के हिसाब से नहीं बिका सेब तो करेंगे आंदोलन, संयुक्त किसान मंच की चेतावनी

हिमाचल संयुक्त किसान मंच का एक प्रतिनिधिमंडल 9 अगस्त को एपीएमसी शिमला-किन्नौर और प्रशासनिक अधिकारियों को बागवानों की मांगों का ज्ञापन सौंपेगा। अधिकारियों को इन मांगों पर विचार करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया जाएगा। यदि इस अवधि में मांगें पूरी नहीं की गईं, तो बागवान सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे

हिमाचल में गढ़ के हिसाब से नहीं बिका सेब तो करेंगे आंदोलन, संयुक्त किसान मंच की चेतावनी

हिमाचल प्रदेश संयुक्त किसान मंच ने प्रदेश की मंडियों में दर के बजाय गढ़ के हिसाब से सेब बेचने की मांग उठाई है। संयुक्त किसान मंच का कहना है कि अगर जल्द यह व्यवस्था लागू नहीं की गई तो बागवान आंदोलन करेंगे। मंगलवार को शिमला जिले के रोहडू में सेब सीजन को लेकर हिमाचल संयुक्त किसान मंच की बैठक हुई। जिसमें बागवानों को पेश आ रही दिक्कतों पर चर्चा की गई। बैठक में निर्णय लिया गया कि बागवान दर के बजाय गढ़ के हिसाब से अपना सेब बेचेंगे। इस व्यवस्था को लागू करने के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड (एपीएमसी) और प्रदेश सरकार पर दबाव डाला जाएगा।

छोटे सेब के दामों में की जा रही कटौती

बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए हिमाचल प्रदेश संयुक्त किसान मंच के प्रदेश संयोजक हरीश चौहान ने कहा कि प्रदेश में सालों से गढ़ के हिसाब से सेब बिकता आया है। लेकिन पहली बार दर-आधारित व्यवस्था शुरू की गई है, जिससे बागवान खुश नहीं है। उन्होंने कहा कि मंडियों में छोटे सेब के दामों पर दर लगाकर 30 प्रतिशत की कटौती की जा रही है। जिससे बागवानों को नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि छोटे सेब का वजन, रंग और पोषण मूल्य बड़े सेब के बराबर ही होता है। इसके बावजूद छोटे सेबों के दाम में कटौती की जा रही है। उन्होंने कहा कि सेब गढ़ के हिसाब से ही बिकना चाहिए। बागवान सालों से इसी व्यवस्था से सेब बेचते आए हैं और प्रदेश के बाहर की मंडियों में भी इसी व्यवस्था के तहत सेब बेचा जाता है। 

माल भाड़े का समाधान निकाले सरकार

चौहान ने सेब के परिवहन माल भाड़े को बॉक्स के बजाय वजन के हिसाब से करने की मांग भी की। उन्होंने कहा कि सरकार ने पिछले साल इसका आकलन किया था, लेकिन यह व्यवस्था अभी तक लागू नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि हर साल माला भाड़ा तय करने से पहले बागवानों, ट्रक ऑपरेटरों और प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक होती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया गया। प्रशासन ने अपने स्तर पर दाम तय किए हैं, जो बागवानों के लिए ज्यादा हैं। साथ ही, विभिन्न उपमंडलों में दाम अलग-अलग निर्धारित किए गए हैं, जिससे बागवानों को असमंजस का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसा समाधान निकालना चाहिए, जिससे ट्रक ऑपरेटरों को समस्याएं न हों और बागवानों को भी नुकसान न उठाना पड़े।

9 अगस्त को एपीएमसी को सौंपेंगे ज्ञापन

हरीश चौहान ने कहा कि संयुक्त किसान मंच का एक प्रतिनिधिमंडल 9 अगस्त को एपीएमसी शिमला-किन्नौर और प्रशासनिक अधिकारियों को बागवानों की मांगों का ज्ञापन सौंपेगा। अधिकारियों को इन मांगों पर विचार करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया जाएगा। यदि इस अवधि में मांगें पूरी नहीं की गईं, तो बागवान सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे।

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