लखीमपुर खीरी कांड की बरसी पर कई जगह किसानों का रेल रोको प्रदर्शन
लखीमपुर खीरी कांड के तीन साल पूरे होने पर गुरुवार को पंजाब और हरियाणा में किसानों ने दो घंटे का रेल रोको आंदोलन किया। लखीमपुर खीरी कांड में जान गवाने वाले किसानों को न्याय, एमएसपी गारंटी कानून सहित अन्य मांगों को किसानों ने कई स्थानों पर रेलवे ट्रैक पर उतरकर प्रदर्शन किया, जिसमें महिलाओं भी शामिल रहीं
लखीमपुर खीरी कांड में जान गवाने वाले किसानों को न्याय, एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित अन्य मांगों को लेकर गुरुवार को पंजाब और हरियाणा में विभिन्न किसान संगठनों ने 'रेल रोको' आंदोलन किया। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के आह्वान पर किसानों ने कई स्थानों पर दोपहर 12.30 से 2:50 बजे तक रेलवे ट्रैक जाम किए। जिससे ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित हुई। इस दौरान काफी संख्या में महिलाएं भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं।
कई किसानों ने रेल-रोको आंदोलन के वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर शेयर किए,जिसमें लखीमपुर खीरी कांड में जान गंवाने वाले किसानों के लिए न्याय की मांग की गई। इस दौरान किसानों ने अमृतसर, लुधियाना, होशियारपुर, अंबाला सहित अन्य स्थानों पर प्रदर्शन किया। हालांकि, दो बजे के बाद किसानों ने अपना प्रदर्शन समाप्त कर दिया, जिसके बाद ट्रेनों की आवाजाही फिर से शुरू हो पाई।
किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) के संयोजक सरवन सिंह पंढेर ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उनका किसी भी सरकार से कोई झगड़ा नहीं है और न ही वे किसी के विरोधी हैं। वे बस यही चाहते हैं कि किसानों की लंबित मांगें पूरी की जाएं। जब तक मांगें पूरी नहीं होंगी, तब तक किसानों का विरोध सत्तारूढ़ पार्टियों को सहना पड़ेगा।
इस दौरान उन्होंने भाजपा सांसद कंगना रनौत और केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आज कंगना और रवनीत बिट्टू लगातार किसानों के खिलाफ बोल रहे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले रवनीत बिट्टू किसानों की आवाज उठाते थे, लेकिन आज वे किसानों के खिलाफ बयान दे रहे हैं, और यह सब भाजपा के कहने पर कर रहे हैं। दूसरी ओर, कंगना रनौत बिना सोचे समझे किसानों पर बयान देती हैं।
पंढेर ने कहा कि सरकार एमएसपी की बात करती है लेकिन हरियाणा-पंजाब में किसानों से खरीद ही नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र और राज्य सरकारों ने समय रहते आढ़तियों और मजदूर यूनियन की मांगों को अमल नहीं किया, तो फिर किसान भी इस आंदोलन में शामिल होंगे और आढ़तियों और मजदूरों के साथ मिलकर हड़ताल में भाग लेंगे।