गन्ना भुगतान की मांग को लेकर किसानों ने शामली को ट्रैक्टरों से किया जाम, जिले में 338 करोड़ रुपये से ज्यादा है बकाया
गन्ना बकाये के भुगतान की मांग को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली जिले में पिछले 80 दिन से किसानों का धरना-प्रदर्शन चल रहा है। मांग नहीं माने जाने पर गुरुवार को हजारों प्रदर्शनकारी किसानों ने शामली शहर को ट्रैक्टरों से जाम कर दिया। मुख्य शहर की हर सड़क पर ट्रैक्टर ही ट्रैक्टर दिख रहे थे। राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी किसानों के इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया और धरने को संबोधित किया
उत्तर प्रदेश के शामली जिले के गन्ना किसान भुगतान में देरी के संकट का सामना कर रहे हैं। जिले की तीन चीनी मिलों पर 8 नवंबर तक पिछले पेराई सीजन (2022-23) का 338.82 करोड़ रुपये का बकाया है। इस बकाया भुगतान को लेकर शामली स्थित चीनी मिल पर गन्ना किसान 80 दिन से धरना दे रहे हैं, लेकिन सबसे अधिक 221.62 करोड़ रुपये के बकाया भुगतान वाली इस चीनी मिल से भुगतान को लेकर अभी तक कोई आश्वासन किसानों नहीं मिल सका है। बकाया गन्ना भुगतान को लेकर शामली चीनी मिल पर चल रहे धरना को गुरुवार को राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत भी समर्थन देने पहुंचे। उन्होंने धरने को संबोधित भी किया। इस मौके पर शहर में करीब पांच हजार किसानों की मौजूदगी और ट्रैक्टरों से पूरा शहर जाम हो गया।
खास बात यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले पेराई सीजन में गन्ने के राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) में कोई बढ़ोतरी नहीं की थी और अगैती किस्म के लिए एसएपी 350 रुपये प्रति क्विंवटल पर ही स्थिर रखा था। वहीं इस जिले के साथ सीमा लगने वाले राज्य हरियाणा की सरकार ने चालू पेराई सीजन (2023-24) के लिए गन्ना के एसएपी को बढ़ाकर 386 रुपया प्रति क्विंटल कर दिया है, जो पिछले साल 372 रुपये प्रति क्विंटल था। इस सीजन में अभी हरियाणा में देश में सबसे ज्यादा एसएपी है। वहीं दूसरी ओर पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को अपने बकाये का भुगतान पाने के लिए प्रदर्शन करना पड़ रहा है। जबकि दोनों राज्यों में भाजपा की ही सरकार है।
गन्ना बकाये के भुगतान की मांग को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली में पिछले 80 दिन से किसानों का धरना-प्रदर्शन चल रहा है। मांग नहीं माने जाने पर गुरुवार को हजारों प्रदर्शनकारी किसानों ने शामली शहर को ट्रैक्टरों से जाम कर दिया। मुख्य शहर की हर सड़क पर ट्रैक्टर ही ट्रैक्टर दिख रहे थे। राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी और भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने भी किसानों के इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
शामली के जिला पंचायत सदस्य और रालोद नेता उमेश पंवार ने रूरल वॉयस को बताया कि किसानों की भारी संख्या आज के धरने में मौजूद थी, लेकिन चीनी मिल की ओर से कोई समाधान सामने नहीं आया है। चीनी मिल किसानों के भुगतान को लेकर पिछले कई साल से देरी कर रही है। जिले में सबसे अधिक हालत शामली चीनी मिल को गन्ना आपूर्ति करने वाले किसानों की है। किसान लगातार आर्थिक मुश्किलों से जूझ रहे हैं और अभी चीनी मिल में पेराई शुरू कब होगी इसको लेकर भी स्थिति साफ नहीं है।
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश महामंत्री कपिल खाटियान ने रूरल वॉयस को बताया कि गुरुवार के धरने में पांच हजार से अधिक किसान शामिल थे। राकेश टिकैत ने कहा कि स्थानीय स्तर पर धरना दे रहे किसानों की समिति जो भी फैसला लेगी हम उसके साथ हैं।
शामली जिले की तीन चीनी मिलों पर 8 नवंबर तक 338.82 करोड़ रुपये का गन्ना भुगतान बकाया है। इनमें सबसे ज्यादा शामली शहर स्थित सर शादीलाल द अपर दोआब शुगर मिल्स पर करीब 221.62 करोड़ रुपये का बकाया है और इस मिल ने अभी 12 जनवरी, 2023 तक के आपूर्ति के गन्ना का ही भुगतान किया है जबकि इस चीनी मिल ने 20 मई तक पेराई की थी। यह देश की सबसे पुरानी चीनी मिलों में से एक है। चालू पेराई सत्र (2023-24) में अभी इस मिल में गन्ना पेराई की शुरुआत नहीं हुई है। इसी तरह, जिले के ऊन स्थित चीनी मिजल पर करीब 73 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है। शामली जिले के थाना भवन स्थित बजाज हिंदुस्थान शुगर मिल पर किसानों का 44.11 करोड़ रुपये का बकाया है। इस मिल ने 24 मार्च, 2023 तक का भुगतान किया है, जबकि मिल 13 अप्रैल तक चली थी।
पूरे उत्तर प्रदेश में गन्ना बकाये की बात करें, तो राज्य सरकार की वेबसाइट पर 5 अक्तूबर तक के ही आंकड़े उपलब्ध हैं जिनके मुताबिक मुताबिक पांच अक्तूबर, 2023 तक पेराई सत्र 2022-23 में राज्य की चीनी मिलों ने गन्ना किसानों को 33,943.81 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। यह कुल भुगतान का 89.21 फीसदी था। पिछले सत्र में प्रदेश में 1098.82 लाख टन गन्ने की पेराई हुई और 104.82 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ।
राज्य के गन्ना किसानों की हालत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि एक तरफ उन्हें अपने बकाये का भुगतान पाने के लिए महीनों प्रदर्शन करना पड़ता है, दूसरी तरफ खेती की लागत बढ़ने के बावजूद राज्य सरकार गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) नहीं बढ़ा रही है। पिछले पेराई सत्र में भी गन्ने का मूल्य नहीं बढ़ाया गया था और यह 350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर है। नया पेराई सत्र (सितंबर-अक्टूबर) शुरू होने के बावजूद राज्य सरकार ने अभी तक चालू पेराई सत्र (2023-24) के लिए एसएपी की घोषणा नहीं की है।
दूसरी ओर, हरियाणा सरकार ने पिछले पेराई सत्र में भी 10 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की थी। मनोहर लाल खट्टर सरकार ने चालू सत्र के लिए 14 रुपये प्रति क्विंटल और अगले सत्र (2024-25) के लिए भी अभी ही 14 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की घोषणा कर दी है। 2023-24 के लिए गन्ने का मूल्य 386 रुपये और 2024-25 के लिए 400 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।