उत्तर प्रदेश में धान खरीद केंद्र के नियमों को लेकर परेशान हो रहें है किसान
उत्तर प्रदेश सरकार ने 1 अक्टूबर से केंद्र सरकार द्वारा धान की निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य ( एम एस पी) 1,940 रुपये और ग्रेड-ए धान 1,960 रुपये प्रति क्विंटल दर पर किसानों से सरकार द्वारा नियुक्त एजेंसियां यूपी के पश्चिम क्षेत्र के जिलों मेंं खरीदारी कर रही है । लेकिन इन धान खरीदी केंद्रों में किसान 'नियमों' से परेशान हो रहे हैं नमी और रंग जैसे बिंदुओं पर किसानों का धान नही खरीदा जा रहा है। इससे कई किसान इन केंद्रों से बिना अपना धान बेचे निराश होकर लौट रहे हैं। और खुले बाजार में अपने धान की उपज को 1000 से 1300 रुपये प्रति क्विंटल दर पर बेचने को मजबूर हैं।
सहारनपुर, उत्तर प्रदेश
एक अक्टूबर से केंद्र सरकार द्वारा धान की निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य ( एम एस पी) 1,940 रुपये और ग्रेड-ए धान 1,960 रुपये प्रति क्विंटल दर पर किसानों से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नियुक्त एजेंसियां पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में धान की खरीदारी कर रही हैं । लेकिन इन धान खरीदी केंद्रों में किसान सरकारी खरीद के 'नियमों' से परेशान हो रहे हैं। नमी और रंग जैसे बिंदुओं पर किसानों का धान नहीं खरीदा जा रहा है। इससे कई किसान इन केंद्रों से बिना अपना धान बेचे निराश होकर लौट रहे हैं और खुले बाजार में अपने धान की उपज को 1300 रुपये प्रति क्विंटल तक की कीमतों पर बेचने को मजबूर हैं।
रूरल वॉयस ने सहारनपुर जिले की नकुड़ तहसील के किसान अरविंद कुमार चौधरी से बात की तो उन्होंने बताया कि यहां पर में एफसीआई द्वारा धान क्रय केन्द्र खोला गया है । यहां पर नियुक्त कर्मचारी नमी की अधिकता और अगर धान की उपज कुछ दाने थोड़ा हरा हैं तो उसे कमी बताकर धान की उपज को रिजेक्ट कर दे रहे हैं और किसानों को वापस कर दिया जा रहा है। अगर किसान धान को ज्यादा सुखाकर ले जा रहा है तो अधिक सूखने वजह से धान के बोरी में एक दो चावल दिख रहा है, तो धान को नही खरीदा जा रहा हैं। इससे हम धान उत्पादन करने वाले किसान को ज्यादा परेशानी और नुकसान झेलना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि एक तरफ धान ढुलाई के लिए गये वाहन का किराया भुगतान करना पड़ रहा है जिससे आर्थिक नुकसान हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ अपने धान की उपज को 1200 से 1300 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर मंडियो में बेचनने को मजबूर हैं । उनकी शिकायत है कि धान क्रय केन्द्रों पर अनुभवहीन कर्मिचारियों के चलते यह परेशानी और ज्यादा बढ़ रही है ।
धान की खेती करने वाले कैधा कानपुर के निवासी किसान रघुनाथ सिंह कहना था कि रजिस्ट्रेशन के समय केवल धान की नमी कितनी रहनी चाहिए इसके बारे में सरकारी कर्मचारियों द्वारा जानकारी दी जाती है लेकिन उन्होंने पिछले साल का धान केन्द्र पर अपने कड़वे अनुभवों का जिक्र किया और बताया कि धान क्रय केन्द्र पर धान ले जाने के बाद उपज में कई तरह कमियां बताई जाती हैं। उनका कहना है कि मानक तय करने में व्यावहारिक रवैया अपनाया जाए ताकि सभी किसानों को इसका लाभ मिल सके।
राज्य सरकार के अनुसार राज्य भर में लगभग 4000 धान खरीद केंद्र स्थापित किए गए हैं। छोटे किसानों को धान खरीद में सुविधा दी गई है। सप्ताह में पांच दिन छोटे किसानों से खरीदारी की जाएगी। जिन किसानों के पास 50 क्विंटल से अधिक धान है, वह शनिवार और रविवार को ही धान बाजार में बेच सकेंगे। , ताकि छोटे किसानों को धान खरीद केंद्रों पर कोई परेशानी न हो. इससे अधिक धान वाले किसान शनिवार और रविवार को धान बेच सकेंगे। इसका मकसद छोटे किसानों को रियायत देना है।.
राज्य सरकार ने चालू खरीफ विपणन सत्र में 70 लाख टन धान की खरीद का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 4,000 धान खरीद केंद्र खोले जाएंगे। जिसमें 1,500 यूपी सहकारी संघ (पीसीएफ) और 1,100 केंद्र यूपी खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग द्वारा स्थापित किए जाएंगे। इसके बाद यूपी सहकारी संघ 600 केंद्र , यूपी उपभोक्ता सहकारी संघ 300 केंद्र, खाद्य भारतीय निगम 300 केंद्र और यूपी राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद 200 सरकारी खरीद केंद्र स्थापित करने के लिए कहा अभी राज्य के पश्चिमी क्षेत्रों में धान की खरीद 1 अक्टूबर, 2021 की जा रही है जो 31 जनवरी, 2022 के बीच तक की जाएगी । जबकि पूर्वी क्षेत्र में 1 नवंबर, 2021 से 28 फरवरी, 2022 तक धान की खरीद होगी। इन केंद्रों को लखनऊ स्थित रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर (आरएसएसी) की मदद से जियो-टैग किया जाएगा।