सोयाबीन भाव 6000 की मांग ने जोर पकड़ा, मध्यप्रदेश में किसानों के विरोध-प्रदर्शन जारी
मध्यप्रदेश में 25 सितंबर से सोयाबीन की खरीद शुरू होने जा रही है। लेकिन प्रदेश के किसान 4892 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी को नाकाफी बता रहे हैं और भाव 6000 रुपये कराने की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।
सोयाबीन का सही दाम न मिलने से नाराज मध्यप्रदेश के किसान का विरोध-प्रदर्शन जोर पकड़ा रहा है। सोशल मीडिया पर सोयाबीन की कीमतों में गिरावट का मुद्दा उठाने के बाद अब मध्यप्रदेश में किसान रैलियां और ट्रैक्टर मार्च निकाल रहे हैं। आज भारतीय किसान संघ ने जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया। प्रदेश में जगह-जगह किसानों के विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। खंडवा में भारतीय किसान संघ ने ट्रैक्टर मार्च निकाला और किसान रैली की।
किसानों के आक्रोश को देखते हुए मध्य प्रदेश में 25 सितंबर से सोयाबीन की खरीद शुरू होने जा रही है। लेकिन प्रदेश के किसान 4892 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को नाकाफी बता रहे हैं। विपक्षी दल कांग्रेस जहां किसान न्याय यात्रा के जरिए सोयाबीन का भाव 6000 रुपये करने की मांग उठा रहा है वहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन भारतीय किसान संघ ने सोमवार को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया। मध्यप्रदेश कांग्रेस के किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष केदारी सिरोही का कहना है कि सोयाबीन भाव 6000 रुपये की मांग प्रदेश के किसानों की आज सबसे बड़ी मांग है। इस मुद्दे पर प्रदेश भर के किसान एकजुट हो रहे हैं।
भारतीय किसान संघ से जुड़े युवा किसान शुभम पटेल ने बताया कि प्रदेश में जिला मुख्यालयों पर आज भारतीय किसान संघ ने प्रदर्शन किया और सोयाबीन का भाव 6000 रुपये करने की मांग उठाई। खंडवा में एक सप्ताह में दूसरी बार बड़ी तादाद में किसान जुटे। किसान संघ गेहूं, धान और मक्का का समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांग भी कर रहा है।
इससे पहले गत शनिवार को मध्यप्रदेश के हरदा में हजारों किसान अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे और बड़ी ट्रैक्टर रैली निकाली थी। किसानों का कहना है कि हरदा की किसान रैली में लगभग ढाई हजार ट्रैक्टर जुटे थे। विदिशा में किसान नेता शिवकुमार कक्काजी ने किसानों के साथ प्रदर्शन किया और ट्रैक्टर रैली निकाली। इन प्रदर्शनों में संयुक्त किसान मोर्चा मध्यप्रदेश, भारतीय किसान यूनियन, आम किसान यूनियन, किसान स्वराज समेत प्रदेश के विभिन्न किसान संगठन शामिल हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा मध्यप्रदेश के मीडिया प्रभारी रंजीत किसानवंशी का कहना है कि राज्य सरकार ने सोयाबीन के एमएसपी के मुद्दे पर किसानों को भ्रमित करने का प्रयास किया है। 4892 रुपये एमएसपी की जो घोषणा केंद्र सरकार जून महीने में कर चुकी थी, उसे राज्य सरकार ने हालिया बढ़ोतरी की तरह पेश करने का प्रयास किया। लेकिन यह झूठ पकड़ा गया। किसानों को सोयाबीन का भाव 6 हजार रुपये से कम मंजूर नहीं है। क्योंकि इससे कम भाव पर किसानों को घाटा उठाना पड़ेगा।
इस साल मध्यप्रदेश में सोयाबीन की पैदावार तो अच्छी हुई लेकिन किसानों को उपज का सही दाम नहीं मिल पा रहा है। सोयाबीन का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी नीचे चला गया और किसानों को दस साल पुराने रेट पर सोयाबीन बेचने को मजबूर होना पड़ा तो किसानों का धैर्य जवाब दे गया। पिछले करीब एक महीने से किसान अलग-अलग तरीकों से अपना विरोध जता रहे हैं। पहले चरण में गांव-गांव ज्ञापन का कॉल संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा दिया गया था। इसके बाद तहसील स्तर व जिला पर ट्रैक्टर रैली निकालकर ज्ञापन का कार्यक्रम जारी है। इस बीच, केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों पर इंपोर्ट ड्यूटी 20 प्रतिशत बढ़ा दी। लेकिन अब भी किसान सोयाबीन का भाव 6000 रुपये करने की मांग पर अडिग हैं।