कर्नाटक को सूखा राहत के लिए 18,171 करोड़ रुपये दे केंद्र, खड़गे ने की मांग
अल-नीनो के मजबूत होने और मानसून की अनियमितता के चलते कर्नाटक में सूखे के हालात हैं। इसकी वजह से गन्ना सहित प्रमुख फसलों के उत्पादन पर असर पड़ा है। इसे देखते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार से कर्नाटक के लिए राष्ट्रीय आपदा कोष (एनडीआरएफ) से 18,171 करोड़ रुपये जारी करने की मांग की है।
अल-नीनो के मजबूत होने और मानसून की अनियमितता के चलते कर्नाटक में सूखे के हालात हैं। इसकी वजह से गन्ना सहित प्रमुख फसलों के उत्पादन पर असर पड़ा है। इसे देखते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने केंद्र सरकार से कर्नाटक के लिए राष्ट्रीय आपदा कोष (एनडीआरएफ) से 18,171 करोड़ रुपये जारी करने की मांग की है। कर्नाटक खड़गे का गृह प्रदेश भी है।
बुधवार को शून्यकाल के दौरान राज्यसभा में यह मामला उठाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कर्नाटक 123 वर्षों में सबसे गंभीर सूखे से जूझ रहा है और फसलों को 35,162 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि फसलों को 40-90 फीसदी तक नुकसान हुआ है।
खड़गे ने कहा कि कर्नाटक सरकार ने सूखे से प्रभावित किसानों की मदद के लिए एनडीआरएफ से 18,171 करोड़ रुपये मांगे हैं। इसे जल्द से जल्द जारी किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "यह वित्तीय सहायता इनपुट सब्सिडी, प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करने और कम बारिश के कारण अन्य तत्काल उपायों को लागू करने के लिए महत्वपूर्ण है।"
उन्होंने कहा कि बारिश में कमी के कारण विभिन्न जलाशयों में पानी का स्तर चिंताजनक रूप से निचले स्तर पर पहुंच गया है। इससे आने वाले दिनों में पीने के पानी की भी कमी हो सकती है। खड़गे ने चेन्नई सहित तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में बाढ़ की स्थिति की ओर भी सरकार का ध्यान दिलाया।
गौरतलब है कि कर्नाटक में सूखे की वजह से इस साल गन्ना के उत्पादन पर असर पड़ा है। इसकी वजह से चीनी का उत्पादन घटने का अनुमान है। चालू चीनी वर्ष (2023-24) में कर्नाटक में सबसे ज्यादा 36 फीसदी उत्पादन घटने का अनुमान है। पिछले सीजन (2022-23) में कर्नाटक में 59.8 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था, जिसके इस साल घटकर 38 लाख टन रह जाने का अनुमान चीनी उद्योग ने लगाया है। देश का कुल चीनी उत्पादन भी 41 लाख टन घटकर 290 लाख टन रहने का अनुमान उद्योग ने लगाया है।