राजस्थान के सिरोही में अनूठा ‘आबू सौंफ सामुदायिक जीन बैंक’ स्थापित

बायोटेक किसान परियोजना के तहत शुरू किया गया ‘अबू सौंफ सामुदायिक जीन बैंक’ पारंपरिक और उन्नत बीजों, विशेष रूप से किसानों द्वारा विकसित किस्मों के संग्रह, दस्तावेज़ीकरण, भंडारण और आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा।

राजस्थान के सिरोही में अनूठा ‘आबू सौंफ सामुदायिक जीन बैंक’ स्थापित

राजस्थान में अपनी तरह का पहला और अनूठा सामुदायिक जीन बैंक सिरोही में ‘अबू सौंफ सामुदायिक जीन बैंक’ के रूप में स्थापित किया गया है। जैव विविधता संरक्षण की दिशा में यह महत्वपूर्ण पहल छोटी जोत वाले किसानों के अथक प्रयासों को समर्पित है जो जैव विविधता के संरक्षक हैं और विशेष रूप से राजस्थान के सिरोही जिले के आदिवासी क्षेत्र में सौंफ की आनुवंशिक संपदा को बचाने में जुटे हैं। 

कछौली गांव के किसान इशाक अली के खेत पर स्थापित “अबू सौंफ सामुदायिक जीन बैंक” सिरोही जिले के सौंफ किसानों की ओर से उभरते राजस्थान को एक उपहार है। साथ ही यह राजस्थान की आनुवंशिक संपदा के संरक्षण, उपयोग और जैव विविधता की सुरक्षा के लिए एक मॉडल भी है। यह पहल भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा समर्थित बायोटेक किसान हब परियोजना के तहत दक्षिण एशिया जैव प्रौद्योगिकी केंद्र (एसएबीसी), जोधपुर और आईसीएआर के केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, जोधपुर के आरआरएस, पाली के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है। 

‘अबू सौंफ सामुदायिक जीन बैंक’ सिर्फ बीजों का संग्रह मात्र नहीं है, बल्कि आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षक के रूप में तथा जैव विविधता के "इन-सीटू" संरक्षण में किसानों का एक अमूल्य योगदान है। इस सामुदायिक जीन बैंक में राजस्थान के प्रमुख सौंफ उत्पादक क्षेत्रों से एकत्रित सौंफ की 100 से अधिक अनूठी किस्में हैं, जिनमें सिरोही की पारंपरिक किस्मों और जर्म प्लाज्म पर विशेष ध्यान दिया गया है। 

बायोटेक किसान परियोजना के तहत, सीमित संसाधनों द्वारा शुरू किया गया ‘अबू सौंफ सामुदायिक जीन बैंक’ पारंपरिक और उन्नत बीजों, विशेष रूप से किसानों द्वारा विकसित किस्मों के संग्रह, दस्तावेज़ीकरण, भंडारण और आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा। सौंफ की ये किस्में स्थानीय कृषि-जलवायु के अनुकूल हैं और उनका अपना सांस्कृतिक, पारिस्थितिक और आर्थिक महत्व है।

बायोटेक किसान के मार्गदर्शन में अपने खेत पर ‘सामुदायिक जीन बैंक’ शुरू करवाने वाले किसान इशाक अली आनुवंशिक संसाधनों को संजोने, जैव विविधता के संरक्षण तथा सौंफ की उच्च उपज वाली उन्नत किस्मों के विकास में स्थानीय समुदाय की अहम भूमिका का उदाहरण पेश करते हैं। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के कारण पारंपरिक फसल विविधता को नुकसान पहुंच रहा है। 

यह सामुदायिक जीन बैंक पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक कृषि पद्धतियों से जोड़ने, आनुवंशिक जैव विविधता के सरंक्षण के लिए किसानों को सशक्त बनाने और प्राकृतिक आनुवंशिक संसाधनों के "इन-सीटू" संरक्षण में अहम भूमिका निभाएगा। इससे किसान इशाक अली द्वारा विकसित किस्म “अबू सौंफ-440” के गुणवत्तापूर्ण बीजों के उत्पादन में भी मदद मिलेगी। सौंफ की इस किस्म को किसान किस्म के रूप में पंजीकृत कराने की प्रक्रिया जारी है। 

इस पहल में सीएजेडआरआई के आरआरएस, पाली के डॉ एके शुक्ला, डॉ विजय सिंह और डॉ कमला चौधरी तथा भागीरथ चौधरी, नरेश डूडी, दीपक जाखड़, के एस भारद्वाज, श्रेया मिश्रा और सपना बोहरा सहित दक्षिण एशिया जैव प्रौद्योगिकी केंद्र की टीम का योगदान रहा है।

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