यूनिवर्सल कार्टन उपलब्ध न होने से उत्तराखंड के सेब उत्पादक परेशान
सेब उत्पादकों को यूनिवर्सल पेटियां उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं, जिसके चलते उन्हें मजबूरी में टेलीस्कोपिक पेटियों में ही सेब पैक करना पड़ा रहा है।
उत्तराखंड में हर्षिल से लेकर नौगांव तक सेब की उपज तैयार है। इस साल किसानों को शुरुआत में प्रति 10 किलो की पेटी का दाम 1700 रुपए तक भी मिला, जो पिछले वर्षों के मुकाबले बेहतर है। लेकिन सेब उत्पादक किसानों को एक और परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस बार अब तक मार्केट में यूनिवर्सल पेटियां उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं, जिसके चलते उन्हें मजबूरी में टेलीस्कोपिक पेटियों में ही सेब पैक करना पड़ा रहा है।
टेलीस्कोपिक बॉक्स में जहां सेब खराब होने की ज्यादा आशंका रहती है, वहीं इसमें घटतौली की शिकायत भी आम है। इसलिए किसान यूनिवर्सल कार्टन में सेब बेचना चाहते हैं। किसानों की शिकायत के बाद उत्तराखंड के कृषि एवं उद्यान मंत्री गणेश जोशी ने विभाग को दस दिन के अंदर यूनिवर्सल कार्टन की उपलब्धता सुनिश्चित कराने को कहा है। उन्होंने पेटी की डिजाइनिंग और उसमें प्रयोग होने वाली निर्माण सामाग्री पर भी विशेष ध्यान दिये जाने के निर्देश दिये।
दोनों कार्टन में क्या है अंतर
टेलीस्कोपिक कार्टन में जहां दो कार्टन का एक बॉक्स बनाया जाता है। इसमें इनर और आउटर दो कार्टन होते हैं। अगर आउटर कार्टन को इनर कार्टन से ऊपर उठाया जाए तो 20 किलो के कार्टन में 30 किलो तक सेब आ सकता है। इसमें दिक्कत यह होती है कि हर कार्टन को तौलना पड़ता है। वहीं, यूनिवर्सल कार्टन सिंगल पीस कार्टन होता है। इसमें फिक्स मात्रा में 20 किलो के आसपास ही सेब भरा जाता है। इसको तौलने की जरूरत नहीं होती और ना ही किसानों का अधिक सेब भरा जाता है। किसानों का आरोप है कि आढ़तियों की साठगांठ के चलते इसकी कम सप्लाई हो रही है।
टेलीस्कोपिक कार्टन से नुकसान
यमुना घाटी के सेब उत्पादक किसान संजय थपलियाल ने रूरल वॉयस बताया कि उत्तराखंड में ज्यादातर सेब बगीचे सड़क से काफी दूर हैं। इस कारण सेब को पेटियों में पैक कर खच्चर से सड़क तक पहुंचाना पड़ता है। उबड़-खाबड़ पहाड़ी रास्तों से सेब बाजारों तक पहुंचता है। टेलीस्कोपिक कार्टन में सेब को नुकसान पहुंचता है क्योंकि उसमें 20 किलों से ज्यादा सेब भरा होता है। जबकि यूनिवर्सल कार्टन में सेब खराब होने की संभावना कम रहती है। लेकिन यूनिवर्सल कार्टन की उपलब्धता न होने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। थपलियाल का कहना है कि पिछले दो-तीन वर्षों में उद्यान विभाग के प्रयासों से सेब के बॉक्स की उपलब्धता तो बढ़ी है लेकिन इस साल यूनिवर्सल कार्टन मिलना मुश्किल हो रहा है।