उत्तराखंड में 50 नई ग्राम पंचायतों का गठन, आबादी के मानकों में दी राहत
उत्तराखंड में हरिद्वार जिले को छोड़कर शेष जिलों में पंचायतों का कार्यकाल नवंबर में समाप्त हो रहा है। नए चुनाव से पहले पंचायती राज विभाग ने ग्राम पंचायतों के परिसीमन के प्रस्ताव मांगे थे, इसी आधार पर कुल 50 नई ग्राम पंचायतें गठित हुई हैं।
उत्तराखंड में 50 नई ग्राम पंचायतें गठित हुई हैं। पंचायती राज विभाग ने उत्तराखंड के 12 पहाड़ी जिलों में ग्राम पंचायतों का परिसीमन फाइनल कर दिया है। अब राज्य में ग्राम पंचायतों की संख्या 7795 से बढ़कर 7832 हो गई है।
उत्तराखंड में हरिद्वार जिले को छोड़कर शेष जिलों में पंचायतों का कार्यकाल नवंबर में समाप्त हो रहा है। नए चुनाव से पहले पंचायती राज विभाग ने ग्राम पंचायतों के परिसीमन के प्रस्ताव मांगे थे। इसी आधार पर कुल 50 नई ग्राम पंचायतें गठित हुई हैं। सर्वाधिक 16 ग्राम पंचायतें टिहरी जिले में बनी हैं, इसके बाद उत्तरकाशी में 13, देहरादून में आठ, यूएसनगर में चार, चमोली में पांच, बागेश्वर में तीन और चम्पावत में एक नई ग्राम पंचायत गठित हुई हैं। इसी के साथ राज्य में 13 ग्राम पंचायतों का विलय कर दिया गया है। पौड़ी और यूएसएनगर से पांच-पांच पंचायतों का विलय किया गया है। इस तरह कुल बढ़ोतरी 37 ग्राम पंचायतों की हुई है। पंचायतों का परिसीमन फाइनल होने के बाद अब पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण की प्रक्रिया प्रारंभ होगी।
आबादी के मानकों में राहत
पहाड़ में ग्राम पंचायत के लिए न्यूनतम 500 की आबादी होनी आवश्यक है। इधर, कई ग्राम पंचायतों में पलायन के कारण यह मानक पूरा नहीं हो पा रहा है। लेकिन विभाग ने इस मामले में राहत देते हुए पुरानी पंचायतों को बरकरार रखने का निर्णय लिया है। विदित है कि पहाड़ में दुर्गम भूगोल के कारण पंचायतों का परिसीमन बेहद मुश्किल होता है। इस बार विभाग ने आसपास के खंड गांव को एक ही पंचायत में रखने का प्रयास किया है।