लोकल को वोकल बनाने के लिए पंचायत राज व्यवस्था भागीदारियों की स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग जरूरी
पंचायत चुनावों के निर्वाचित प्रतिनिधि बड़े पैमाने पर उन अधिकारियों के निर्देशन में काम कर रहे है, जो ग्रामीण विकास के विभिन्न कार्यक्रमों, दिशानिर्देशों, योजनाओं और नियमों के बारे में अच्छी तरह से वाकिफ नहीं हैं। इसलिए योजना को तैयार करने और उसके क्रियान्वयन के बारे में क्या सोचें एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह है ? क्योंकि उन्हें जिला पंचायत और ग्राम सभा के बीच का अंतर भी नहीं पता है ? ऐसे में लोकल वोकल कैसे होगा? कैसे पंचायत नेता मुखर होंगे? कैसे अधिकारी का मार्गदर्शन मिलेगा और वे कार्यो का निऱीक्षण परीक्षण कैसे कर पाएंगे? इसके लिए ग्राम पंचायतों और लाइन डिपार्टमेंट के पदाधिकारियों के लिए स्किल डेवलपमेंट योजना की जरूरत है
संदर्भ -
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव तहत हाल ही में ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों के पदाधिकारिों के चुनाव संपन्न हुए हैं। इन पंचायतों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की कुल संख्या 826458 है। जिसमें 75 जिला पंचायत 822 क्षेत्र पंचायत और 58791 ग्राम पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधि सदस्य है। इन चुने हुए प्रतिनिधियों में अधिकतर सदस्य को इन स्थानीय संस्थानों के कामकाज में उनकी अपने अधिकार, भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के बारे में जानकारी नहीं हैं।
पंचायत चुनावों के निर्वाचित प्रतिनिधि बड़े पैमाने पर उन अधिकारियों के निर्देशन में काम कर रहे है, जो ग्रामीण विकास के विभिन्न कार्यक्रमों, दिशानिर्देशों, योजनाओं और नियमों के बारे में अच्छी तरह से वाकिफ नहीं हैं। इसलिए योजना को तैयार करने और उसके क्रियान्वयन के बारे में क्या सोचें एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह है ? क्योंकि उन्हें जिला पंचायत और ग्राम सभा के बीच का अंतर भी नहीं पता है ? ऐसे में लोकल वोकल कैसे होगा? कैसे पंचायत नेता मुखर होंगे? कैसे अधिकारी का मार्गदर्शन मिलेगा और वे कार्यो का निऱीक्षण परीक्षण कैसे कर पाएंगे?
इसलिए ग्रामीण विकास के लिए निर्वाचित प्रतिनिधि के साथ पंचायतों के कर्मियों के अधिकार , कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से निर्वहन करने में सक्षम बनाने के लिए और ग्रामीणो को स्थानीय सरकार के रूप में पंचायतों को मजबूत करने के लिए जरूरी है कि ग्राम पंचायच और जिला पंचायत के अधिकारियों और लाइन विभागों के अधिकारियों का स्किल डेवलमेंट हो । पंचायत से जुड़े निर्वाचित प्रतिनिधियों और अधिकारियों को यह भी पता होना चाहिए कि समावेशी तरीके से आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए योजनाएं कैसे तैयार की जाती हैं । साथ ही उन्हें अपने अधिकार और कार्यों के बारे में भी पता होना चाहिए, लोकतांत्रिक निर्णय लेना सुनिश्चित करना, योजना तैयार करने और ग्रामीण विकास के लिए कई योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए प्रक्रिया और नियमों को समझना चाहिए । उन्हें बजट और धन के प्रबंधन के बारे में जानकारी होनी चाहिए, पंचायत स्तर पर नियमित कार्यालय कार्य के प्रबंधन में निपुण होना चाहिए।
कोरोना महामारी के दौरान ऑनलाइन प्रशिक्षण का विचार अधिक प्रासंगिक हो गया है क्योंकि जमीनी हकीकत को ध्यान में रखते हुए, जमीनी रूप से जुडे नेताओं और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं को स्किल डेवलमेंट के लिए निम्नलिखित विषय और विषयगत क्षेत्रों पर आन लाइन ट्रेनिग देने की योजना बनाई गई है ।गत क्षेत्रों/विषयों/विषयों की (1) विकेंद्रीकरण का इतिहास, संवैधानिक जनादेश और पंचायतों को शक्तियों का हस्तांतरण, इसका महत्व-एक सिंहावलोकन (2) ग्राम पंचायतों के व्यवहार संबंधी पहलू और नेतृत्व और कामकाज (3) सुशासन, पारदर्शिता, जवाबदेही, (4 ) व्यापक रूप से ग्राम पंचायतों के कार्यों की शक्तियां , वित्त और पदाधिकारियों की अवधि (5)निर्वाचित प्रतिनिधियों और कार्मिकों की भूमिका और जिम्मेदारियां (व्यवसाय का संचालन, विषय समितियों कागठन, आदि) (6 ) वित्तीय संसाधनों को जुटाना और उनका
प्रबंधन (7 ) लोगों की भागीदारी और समावेशी पंचायतें, (8 )पंचायतें और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना (9 ) ग्राम पंचायत विकास योजना का प्रभावी ढ़ग से कार्यान्वयन (10 ) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, ग्रामीण आवास स्वच्छ भारत मिशन, आदि जैसे फ्लैगशिप कार्यक्रमों का कार्यान्वयन ( 11) ग्रामीण क्षेत्रों में अनौपचारिक संस्थाएं/समुदाय आधारित संगठन/नागरिक समाज संगठन और भवन निर्माण सामाजिक पूंजी (12) विभिन्न हित धारकों के बीच समन्वय /अभिसरण / अंतर-क्षेत्रीय संबंध (13) कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली सहित सूचना प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग (14 ) पंचायत और आपदा प्रबंधन (15) सर्वोत्तम अभ्यास और उनका अपनाना / अनुकूलन (16 ) कार्यक्रमों की निगरानी और मूल्यांकन (16 ) ग्राम पंचायत विकास योजना(जीपीडीपी) का कार्यान्वयन
पाठ्यक्रम की प्रकृति
जैसा कि शीर्षक से पता चलता है, यह ऑनलाइन पाठ्यक्रम होगा । प्रतिभागियों को पठन सामग्री दिए जाने कोई प्रस्ताव नहीं है, फिर भी उनसे विभिन्न ट्रेनिंग के मुख्य बिंदुओं को नोट करने की अपेक्षा की जाती है ताकि भविष्य में इसको इनपुट सामग्री के रूप में उपयोग किया जा सके।
स्किलिंग मेथडोलॉजी
हालांकि प्रशिक्षण ऑनलाइन मोड पर दिया जाएगा, लेकिन इसे इंटरैक्टिव और सहभागी बनाने के प्रयास किए जाएंगे। ट्रेनिग के दौरान ट्रेनी को प्रश्न पूछने के लिए पर्याप्त अवसर दिए जाएंगे। व्याख्यान और चर्चा और इससे जुड़ा लिटरेचर स्थानीय भाषा में होगा ताकि विचार/दिशानिर्देश/कवरेज को ठीक से संप्रेषित किया जा सके। प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के दौरान व्यावहारिक और स्थानीय उदाहरण दिए जाएंगे।
जो लोग ट्रेनर के रूप में कार्य करेंगे, उन्हें स्मार्ट फोन की मदद से राज्य ग्रामीण विकास संस्थान और पंचायती राज जैसे प्रशिक्षण संस्थानों में ट्रेनिग दी जाएगी। ट्रेनिग लिया हुआ व्यक्ति और अधिकारी स्मार्ट फोन/लैपटॉप की सहायता से ही ट्रेनिग देंगे । ट्रेनिग के बाद ट्रेनर द्वारा ट्रेनी के साथ ट्रेनिंग के समझ के स्तर के बारे में जानने के लिए जिला परिषद के सभी सदस्यों को बैठकों और मीटिंग के माध्यम से छह महीने बाद जरूरी कदम उठाए जाएंगे ताकि विभिन्न योजनाओं के बारे में जागरूकता जैसी गतिविधियों की सीमा को अमल में लाया गया है या नहीं।
हर महीने ट्रेनर ट्रेनी से दिये गये ट्रेनिंग के व्यावहारिक पहलुओं के बारे में पूछेंगे। उदाहरण के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण में बताया गया कि ग्राम पंचायत बैठक की तिथि और समय के साथ लिखित एजेंडा नोट जारी करेगी। ट्रेनर यह जांच करेगा कि क्या ग्राम पंचायत ने वार्ड सदस्य को बैठक की तारीख और समय के साथ चर्चा के लिए एजेंडा नोट जारी किया है या नहीं। यदि नहीं, तो ट्रेनर वार्ड सदस्य द्वारा प्रकट किए गए तथ्य को रिकॉर्ड करेगा और मामले में उचित कार्रवाई करने के लिए नामित अधिकारियों को भेजेंगा । इसी तरह की प्रक्रिया अन्य चीजों के लिए होगी जैसे ऑनलाइन प्रशिक्षण में पढ़ाए गए जिला परिषद में प्राप्त धनराशि की सीमा क्या है?। जाँच, मूल्यांकन और आवश्यक कार्रवाई करने के लिए एक अंतर्निहित तंत्र होगा। पाठ्यक्रम की अवधि दो दिन होगी।
इसमें निम्न लिखित सदस्य और पदाधिकाऱी ट्रेनी होगें ।
(1 ) प्रधान (ग्राम पंचायत के अध्यक्ष) (2 ) सदस्य (वार्ड सदस्य)
(3 ) विषय उप-समितियों के अध्यक्ष (4 ) ग्राम सचिव (5)कनिष्ठ अभियंता (6) मनरेगा रोजगर सहायक (7) किसान उत्पादक संगठन अध्यक्ष / सदस्य /सीईओ (8) आंगनवाड़ी कार्यकर्ता (9) आशा कार्यकर्ता (10) एसएचजी सदस्य (11) समुहसेवी (12) सदस्य / अध्यक्ष डब्ल्यूडीटी (13 ) लम्बरदार /चौधरी (14) स्वैच्छिक कार्यकर्ता (15) चौकीदार (16) ट्यूबवेल ऑपरेटर ( 17)मीडिया व्यक्ति (ग्रामीण डेस्क) (18) उन्नत भारत अभियान में लगे शिक्षक / सुविधाकर्ता / सामाजिक कार्यकर्ता (19) गांवों में रहने वाले सेवानिवृत्त व्यक्ति (20) कृषि विस्तार कार्यकर्ता
ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्थानीय प्रशासन के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर निर्वाचित प्रतिनिधियों और अधिकारियों का स्किल डेवलपमेंट बहुत जरूरी है। प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के अनुभव बताते हैं कि प्रशिक्षण सत्रों में सिखाई गई बातों को किस हद तक व्यवहार में लाया गया है या नहीं। इसके बारे में कोई रेगुलर फॉलोअप नहीं किया गया है । जिसके कारण जमीनी स्तर पर प्रशिक्षण का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि ट्रेनी के मुद्दों के समाधान के लिए जरूरी कदम नही उठाया गया तो प्रशिक्षण और स्किल डेवलपमेंट काम एक औपचारिकता बन कर रह जाएगा जो स्थानीय स्तर पर मानव संसाधन के विकास में एक गंभीर बाधा है। इस लेख में दिए गए विचार को अगर लागू किया गया तो यह स्किल डेवलमेंट की ओर एक बड़ा कदम होगा ।
(डॉ. महिपाल इंडियन इकोनॉमिक सर्विस के रिटायर्ड अधिकारी और कृपा फाउंडेशन के प्रेसिडेंट हैं। उनसे mpal1661@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है, लेख में विचार उनके निजी हैं )