रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव एंड अवार्ड्स 2024 में किसानों के लिए संस्था निर्माण पर मंथन, अवार्ड वितरण
इस अवसर पर कृषि क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, उद्योग तथा किसान प्रतिनिधियों ने देश में कृषि के विकास और किसानों की तरक्की के लिए संस्थाओं के निर्माण और सशक्तिकरण पर जोर दिया।
रूरल वॉयस की चौथी वर्षगांठ तथा किसान दिवस के अवसर पर 23 दिसंबर को नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में “रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव एंड नैकॉफ अवार्ड 2024” का आयोजन किया गया जिसकी थीम जिसकी थीम ‘किसानों के लिए संस्था निर्माण’ थी। इस अवसर पर कृषि क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, उद्योग तथा किसान प्रतिनिधियों ने देश में कृषि के विकास और किसानों की तरक्की के लिए संस्थाओं के निर्माण और सशक्तिकरण पर जोर दिया। साथ ही कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले किसान, सहकारी संस्था, सामाजिक संस्था और सार्वजनिक संस्था को सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उत्तराखंड के शिक्षा, स्वास्थ्य और सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने प्रदान किये।
सम्मेलन को संबोधित करते डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि सहकारिता के क्षेत्र में उत्तराखंड में हुई कई पहल को दूसरे राज्य अपना रहे हैं। उत्तराखंड अगले दो साल में पूरी तरह ऑर्गेनिक हो जाएगा। अभी तक राज्य के 95 में से 62 ब्लॉक ऑर्गेनिक हो चुके हैं। राज्य में 12 लाख किसानों को बिना ब्याज के पांच लाख रुपये तक का कर्ज दिया गया जिसमें कोई एनपीए नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि विकास तभी होगा जब किसान आगे आएगा। एक तरफ कृषि भूमि घटती जा रही है, मिट्टी की उपजाऊ क्षमता कम हो रही है और दूसरी तरफ देश की आबादी बढ़ रही है। हमें इस बात का ध्यान रखना जरूरी है।
रूरल वॉयस के एडिटर-इन-चीफ हरवीर सिंह ने अपने स्वागत संबोधन में रूरल वॉयस की चार वर्षों की यात्रा और किसानों के लिए संस्था निर्माण के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कृषि क्षेत्र की चुनौतियों और किसानों की समस्याओं को दूर करने में सक्षम संस्थाओं के निर्माण और विकास पर जोर दिया। इस अवसर पर रूरल वर्ल्ड पत्रिका के नवीनतम अंक तथा डिजिटल संस्करण का विमोचन भी किया गया।
सम्मेलन के पहले सत्र में ‘अगली पीढ़ी की कृषि के लिए, अगली पीढ़ी की सहकारी संस्था’ विषय पर बोलते हुए कोऑपरेटिव इलेक्शन अथॉरिटी के चेयरमैन देवेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि सहकारिता मंत्रालय के गठन के चार साल में सहकारिता के प्रति लोगों का भरोसा बढ़ा। उन्होंने सहकारिता के क्षेत्र में पारदर्शिता लाने और महिलाओं को बराबरी बढ़ाने पर जोर दिया। एनएफसीएसएफ के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने गन्ना किसानों और चीनी उद्योग के विकास में सहकारी संस्थाओं के महत्व के बारे में बताया। नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट लिमिटेड (एनसीईएल) के प्रबंध निदेशक अनुपम कौशिक ने नई सहकारी संस्थाओं के बारे में बताते हुए अमूल जैसी कामयाबी कृषि से जुड़े अन्य क्षेत्रों में दोहराने की जरूरत पर जोर दिया।
सम्मेलन के दूसरे सत्र में “निजी क्षेत्र: किसानों की भागीदारी” विषय पर परिचर्चा में भाग लेते हुए सवन्ना सीड प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ व एमडी अजय राणा ने कृषि उत्पादन और किसानों की आय बढ़ाने में उन्नत बीजों के महत्व और निजी क्षेत्र की भूमिका पर प्रकाश डाला। सिंगापुर स्थित एमएनसी एग्रोकॉर्प इंडिया ट्रेड सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड के सीओओ राजीव यादव ने रिसर्च, ग्लोबल लिंकेज और उत्पादकता बढ़ाने में निजी के योगदान पर अपने विचार रखे। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एमएसीएक्स) के वाइस प्रेसिडेंड (बिजनेस डेवलपमेंट) संजय गाखर ने कहा, किसानों के लिए सबसे जरूरी है कि उपज कब और किस भाव पर बेचना है। धानुका एग्रीटेक के चीफ साइंटिफिक एडवाइजर डॉ. पीके चक्रवर्ती ने कहा कि सरकार और निजी क्षेत्र को साथ मिल कर काम करने की जरूरत है। इंडियन एक्सप्रेस के एडिटर, रूरल अफेयर्स, हरीश दामोदरन ने इस सत्र का संचालन किया।
सम्मेलन का तीसरा सत्र “किसानों के लिए सार्वजनिक संस्थानों” पर केंद्रित था। इसमें पूर्व कृषि सचिव सिराज हुसैन ने कहा कि बजट में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 11 लाख करोड़ रुपये खर्च करने की घोषणा की गई, लेकिन कृषि इन्फा का इसमें जिक्र नहीं। उन्होंने आरएंडडी में निवेश बढ़ाने की जरूरत पर भी जोर दिया। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के पूर्व निदेशक डॉ. ए.के. सिंह ने हरित क्रांति और उसके बाद देश में कृषि के विकास में सार्वजनिक संस्थानों के योगदान को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने विस्तार से बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के शोध संस्थानों आईसीएआर और आईएआरआई ने देश के किसानों के हित में किस तरह से काम किया। आईएआरआई द्वारा विकसित बासमती चावल की किस्मों का सालाना करीब 50 हजार करोड़ रुपये का निर्यात होता है। हालांकि उन्होंने कहा कि किसानों को इस साल बासमती धान का बेहतर दाम नहीं मिला।
भारत कृषक समाज के चेयरमैन अजयवीर जाखड़ ने किसानों के लिए बने संस्थानों की जवाबदेही पर जोर दिया। साथ ही हर स्कीम का आकलन उसके लाभार्थी से कराने का सुझाव दिया। जाखड़ ने कहा कि किसानों को अपने आसपास के संस्थानों से जुड़े मुद्दों को उठाना होगा, तभी संस्थान सही तरीके से काम करेंगे। इस सत्र का संचालन पीटीआई के पूर्व कार्यकारी संपादक जयंत राय चौधुरी ने किया।
चौथा सत्र “किसानों के लिए संस्थानों के विकास में सहायक नीतिगत माहौल” पर केंद्रित था। इस परिचर्चा में भाग लेते हुए सहकार भारती के मुख्य संरक्षक डॉ. डीएन ठाकुर ने कहा कि नीति बनाने से पहले यह सोचना है कि क्या उस पर अमल संभव है। इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ. आरएस सोढ़ी ने कोऑपरेटिव को सामाजिक के साथ कॉमर्शियल संस्थान बनाने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा असली भारत का विकास सहकारिता से ही संभव है। सोढ़ी ने कहा कि कृषि उपज के दाम बढ़ने को खाद्य महंगाई कहा जाता है। हमें सोच से बाहर निकलना होगा।
पूर्व कृषि एवं खाद्य सचिव टी. नंदकुमार ने कहा कि किसानों को शेयरधारक की तरह मालिकाना का महत्व समझना होगा। संस्था को ठीक से चलाना, किसानों की जिम्मेदारी है। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि ज्यादातर एफपीओ की स्थिति ठीक नहीं है। दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मुनेश ने किसानों की समृद्धि के चार सूत्र दिए - मुनाफे की खेती, पर्यावरण का ख्याल, महिलाओं की भागीदारी व सम्मान और शिक्षा तथा खेती का समन्वय। इन चारों को नीति में लाने पर काफी बदलाव आ जाएंगे। इस सत्र का संचालन करते हुए नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया (एनएफआई) के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर बिराज पटनायक ने किसान विरोधी माहौल बनाए जाने पर चिंता व्यक्त की।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए पूर्व सांसद और बिहार के मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार केसी त्यागी ने कहा कि किसानों ने उत्पादन बढ़ाने और देश को आत्मनिर्भर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। किसानों को उपज का सही दाम मिलना ही चाहिए। उन्होंने किसान की एमएसपी गारंटी की मांग का भी समर्थन किया। साथ ही किसान हित में भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के योगदान को भी याद दिलाया।
इस मौके पर कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्रगतिशील किसान किसान की श्रेणी में उत्तर प्रदेश के शामली जिले के उमेश कुमार, कोऑपरेटिव श्रेणी में उत्तराखंड कोऑपरेटिव रेशम फेडरेशन लिमिटेड, सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थान की श्रेणी में एनसीडीसी और सामाजिक क्षेत्र के संस्थान की श्रेणी में सुलभ इंटरनेशनल स्कूल ऑफ एक्शन सोशियोलॉजी एंड सोशियोलॉजी ऑफ सैनिटेशन (SISASSS) को रूरल वॉयस नेकॉफ अवार्ड से सम्मानित किया गया।