लाखों किसानों को जोड़ने के लिए ब्लॉकचेन आधारित प्लेटफॉर्म, रोबोट भी करेंगे मदद
हैदराबाद विश्वविद्यालय 10 लाख किसानों को एक प्लेटफॉर्म पर जोड़ने की योजना पर काम कर रहा है। इसके लिए ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा और रोबोट इसमें मदद करेंगे। केंद्र ने इस प्रोजेक्ट के लिए विश्वविद्यालय को एक करोड़ रुपए की ग्रांट दी है
हैदराबाद विश्वविद्यालय भारत के 10 लाख किसानों को एक प्लेटफॉर्म पर जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रहा है। खास बात यह है कि इस प्रोजेक्ट के लिए ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा और रोबोट इसमें मदद करेंगे। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट के लिए विश्वविद्यालय को एक करोड़ रुपए की ग्रांट दी है। इस ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म का पायलट प्रोजेक्ट विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के प्रो. विजय बी. मारीशेट्टी और डॉ. वर्षा ममीदी की अगुवाई में डेवलप किया जाएगा।
यह प्लेटफॉर्म फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेन (एफपीओ) को कर्जदाता, इनपुट सप्लायर और आउटपुट ग्राहक जैसे कृषि ईकोसिस्टम के सभी पक्षों जोड़ने का माध्यम देगा। केंद्र सरकार ने 2021 में 10,000 एपीओ गठित करने की योजना शुरू की थी। ये एफपीओ 2027-28 तक गठित किए जाने हैं। इसके लिए 6,875 करोड़ रुपए का बजटीय प्रावधान किया गया था।
योजना के तहत एफपीओ का गठन और उनका प्रमोशन दो प्रमुख पैरामीटर पर पर आधारित है। एक है प्रोड्यूस क्लस्टर एरिया अप्रोच और दूसरा स्पेशलाइज्ड कमोडिटी बेस्ट अप्रोच। क्लस्टर आधारित अप्रोच में एफपीओ का गठन एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) पर केंद्रित होगा।
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से सुरक्षा, भरोसा और पारदर्शिता तीनों मिलेगी। इसलिए इस प्रोजेक्ट में किसानों को वैल्यू चेन का अधिक लाभ और कीमत में बराबर की हिस्सेदारी मिलने की उम्मीद है। हैदराबाद विश्वविद्यालय के प्रवक्ता के अनुसार यह पायलट प्रोजेक्ट दो साल चलेगा। उसके बाद इसे देश के स्तर पर लागू किया जाएगा।
ब्लाकचेन टेक्नोलॉजी एक डाटाबेस मेकैनिज्म है। इसमें एक खास बिजनेस नेटवर्क के दायरे में सूचनाओं को पारदर्शी तरीके से साझा किया जा सकता है। इसमें डेटा को ब्लॉक के रूप में स्टोर किया जाता है, फिर उन्हें एक चेन के रूप में जोड़ा जाता है। विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर बी.जे. राव ने भरोसा जताया कि प्रो. मारीशेट्टी और डॉ. ममीदी सफलतापूर्वक इस प्रोजेक्ट को पूरा करेंगे, फिर इसे अखिल भारतीय स्तर पर लागू करेंगे।
इन दोनों फैकेल्टी मेंबर को इस प्रोजेक्ट से पहले इंस्टीट्यूट आफ एमिनेंस के माध्यम से ब्लॉकचेन के लिए ग्रांट मिली थी। वह फार्मा इंडस्ट्री के लिए कोल्ड चेन लॉजिस्टिक प्लेटफॉर्म डेवलप करने के लिए था जिसमें डॉ रेड्डीज लैबोरेट्रीज इंडस्ट्री साझीदार थी। ये दोनों दुबई में आयोजित अंतरराष्ट्रीय ब्लॉकचेन हैकाथन और भारत में नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन की तरफ से आयोजित ब्लॉकचेन हैकाथन भी जीत चुके हैं।