दलहन उत्पादन बढ़ाने का रोडमैप तैयार, 2027 तक आत्मनिर्भर होगा भारत: कृषि मंत्री
ग्लोबल पल्स कन्फेडरेशन (जीपीसी) और राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) द्वारा आयोजित चार दिवसीय पल्सेस24 सम्मेलन का शुभारंभ आज केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा तथा केंद्रीय खाद्य एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने किया।
ग्लोबल पल्स कन्फेडरेशन (जीपीसी) और राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) द्वारा आयोजित चार दिवसीय पल्सेस24 सम्मेलन का औपचारिक शुभारंभ आज केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा तथा केंद्रीय खाद्य एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने किया।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि भारत सरकार दलहन के आयात पर निर्भरता कम करने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं। दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए रोडमैप बनाया गया है। सरकार के प्रयासों से 2014 से अब तक दलहन फसलों में काफी प्रगति हुई है। भारत चना व कई अन्य दलहनी फसलों में आत्मनिर्भर बन चुका है। थोड़ी कमी अरहर (तूर) व उड़द में बाकी है। 2027 तक दालों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
कृषि मंत्री ने कहा कि दलहन की नई किस्मों के बीजों की आपूर्ति बढ़ाई जा रही हैं, वहीं अरहर और उड़द का रकबा बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है। इस रबी सीजन मसूर का रकबा करीब एक लाख हेक्टेअर बढ़ा है। अरहर की खरीद के लिए पोर्टल लांच किया गया है। किसान इस पोर्टल पर पंजीकरण कर सकते हैं और अपनी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) या प्रचलित बाजार दर, जो भी अधिक हो, पर नेफेड और एनसीसीएफ को बेच सकते हैं।
मुंडा ने कहा कि दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को नई तकनीक और उन्नत बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं। दालों के गुणवत्तापूर्ण बीज की उपलब्धता बढ़ाने हेतु एनएफएसएम के तहत दालों के 150 केंद्र खोले हैं, जिन्होंने एक लाख क्विंटल से अधिक गुणवत्ता वाली दालों के बीज का उत्पादन किया है। मुंडा ने जलवायु अनुकूल किस्मों और अन्य प्रौद्योगिकियों के तेजी से प्रसार की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
इस अवसर पर केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार किसानों को दलहन उगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। पिछले एक दशक में दलों के एमएसपी में काफी वृद्धि की गई है। दलहन उत्पादन 2014 में 17 मिलियन टन से बढ़कर अब 26 मिलियन टन से ज्यादा हो गया। दालों की खरीद पिछले 10 वर्षों में 18 गुना बढ़ी है। किसानों के उज्जवल भविष्य के लिए केंद्र सरकार हरसंभव उपाय कर रही है। पीयूष गोयल ने कहा कि दालों के जरिये कृषि विविधिकरण और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार किसानों से दालों की सुनिश्चित खरीद के लिए नेफेड व एनसीसीएफ के माध्यम से पांच साल के कॉन्ट्रैक्ट करने के लिए तैयार है।
जीपीसी का सम्मेलन 18 वर्षों के बाद भारत में आयोजित किया जा रहा है। पल्सेस24 सम्मेलन 14-17 फरवरी तक नई दिल्ली के ताज पैलेस में चलेगा। इस कार्यक्रम में लगभग 50 देशों के 700 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। पल्सेस24 के शुभांरभ के अवसर पर इथियोपिया के व्यापार मंत्री कासाहु गोफे बलामी, उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह, जीपीसी के प्रेसीडेंट विजय अयंगर, नेफेड अध्यक्ष डॉ. बिजेंद्र सिंह, एमडी रितेश चौहान, अतिरिक्त सचिव (कृषि) शुभा ठाकुर सहित केंद्र-राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी, राष्ट्रीय सहकारी संघों के अध्यक्ष - एमडी, किसानों-व्यापारियों के राष्ट्रीय संघों के पदाधिकारी, मिलर्स, निर्यातक-आयातक मौजूद थे।
विश्व दलहन दिवस मनाया
दालों के उत्पादन और खपत को प्रोत्साहित करने के लिए ग्लोबल पल्स कन्फेडरेशन (जीपीसी) और नेफेड ने 14 फरवरी को विश्व दलहन दिवस मनाया। जीपीसी अध्यक्ष विजय अयंगर ने कहा कि जितना अधिक हम दालों के बारे में सीखते हैं, उतना ही अधिक हम अपने कृषि खाद्य प्रणालियों का समर्थन करने की उनकी शानदार क्षमता के बारे में जानते हैं... दालें पोषक तत्वों से भरपूर जीविका, अधिक पैदावार और बढ़ी हुई खाद्य सुरक्षा प्रदान करते हुए मिट्टी के स्वास्थ्य को बढ़ावा देती हैं, मिट्टी को पुनर्संतुलित और पुनर्जीवित करती हैं।
यूएसए के कृषि राजदूत क्ले हैमिल्टन ने भारत की बढ़ती आबादी और बढ़ती मांग के बारे में बात करते हुए यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि दालों का भारतीय बाजार में एक स्थान है जो अब की तुलना में और भी मजबूत है।
नेफेड के एएमडी सुनील कुमार सिंह ने कहा कि जब आप अधिक दालें उगाते हैं, तो उपलब्धता बढ़ जाती है जिससे अफोर्डेबिलिटी भी बढ़ जाती है। इसलिए किसान संगठनों, व्यापार, उद्योग नीति-निर्माताओं और सभी हितधारकों के एक समुदाय के रूप में हमारा प्रयास एक ऐसा वातावरण बनाने का प्रयास करना चाहिए जहां उच्च उत्पादन, कम लागत और उच्च खपत के माध्यम से स्थिरता सुनिश्चित की जाए।