टिकट बंटते ही भाजपा में बगावत, मजबूत उम्मीदवारों पर कांग्रेस की नजर
टिकट कटने से नाराज कैबिनेट मंत्री रणजीत चौटाला, विधायक लक्ष्मण नापा और भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर श्योराण सहित कई नेताओं ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी की पहली सूची जारी होते ही पार्टी में घमासान मच गया है। टिकट कटने से नाराज नेताओं के इस्तीफों का सिलसिला जारी है। पहली लिस्ट में घोषित 67 सीटों में से कम से कम एक तिहाई सीटें ऐसी हैं जहां भाजपा को बगावत का सामना करना पड़ सकता है। मंत्री, विधायक और पूर्व मंत्री समेत कई नेता इस्तीफा दे चुके हैं या फिर बगावती तेवर दिखा रहा हैं। इस बीच, भाजपा ने डैमेज कंट्रोल के प्रयास शुरू कर दिये। सह प्रभारी बिप्लब देब ने चार वरिष्ठ नेताओं को नाराज नेताओं को मनाने का जिम्मा सौंपा है।
उधर, कांग्रेस की नजर भाजपा के मजबूत बागी उम्मीदवारों पर है। भाजपा में मची भगदड़ को कांग्रेस भुनाने का प्रयास कर सकती है। इसलिए भी कांग्रेस की सूची में देर हो रही है। रतिया से भाजपा विधायक लक्ष्मण नापा ने टिकट कटते ही पार्टी को अलविदा कह दिया और दिल्ली में कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा से मुलाकात कर कांग्रेस में शामिल हो गये।
टिकट कटने से नाराज कैबिनेट मंत्री रणजीत चौटाला, विधायक लक्ष्मण नापा और भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर श्योराण ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। राज्य मंत्री विशंभर वाल्मीकि, पूर्व मंत्री कविता जैन और सावित्री जिंदल ने टिकट न मिलने पर नाराजगी जताई है। रणजीत चौटाला का कहना है कि उन्होंने मंत्री पद और भाजपा से इस्तीफा दे दिया है। उन्हें डबवाली से टिकट की पेशकश की गई थी लेकिन वे रानियां से ही चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने हैरानी जताई कि कुछ महीने पहले पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव के लायक समझा था, लेकिन अब विधानसभा चुनाव का टिकट भी नहीं दिया। इस बीच, आदित्य चौटाला ने हरियाणा स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के चेयरमैन पद से त्यागपत्र दे दिया है। वे डबवाली से टिकट मांग रहे थे लेकिन टिकट का ऐलान होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया।
इंद्री सीट से टिकट का प्रयास कर रहे भाजपा ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मंत्री कर्णदेव कांबोज ने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। सीएम नायब सैनी उन्हें मनाने के लिए उनके घर भी पहुंचे। टिकट कटने पर भावुक हुए राज्य मंत्री विशंभर वाल्मीकि ने कहा ने उनकी जगह एक दागी और दलबदलू को टिकट दिया गया है। सोनीपत से टिकट कटने के बाद पूर्व मंत्री कविता जैन समर्थकों के सामने फूट-फूटकर रोने लगीं। उनकी जगह भाजपा ने कांग्रेस से आए मेयर निखिल मदान को सोनीपत से उम्मीदवार बनाया है। तोशाम से टिकट कटने से नाराज पूर्व विधायक शशिरंजन परमार की आंखों में आंसू नजर आए।
भाजपा सांसद नवीन जिंदल की मां और पूर्व मंत्री सावित्री जिंदल को हिसार से टिकट न मिलने पर भी काफी घमासान मचा है। सावित्री जिंदल ने हिसार से ही चुनाव लड़ने का संकेत दिया है। लेकिन किस पार्टी या निर्दलीय लडेंगी, अभी यह फैसला नहीं लिया है। उनका कहना है कि उन्होंने बेटे नवीन जिंदल के लिए प्रचार जरूर किया था, लेकिन कांग्रेस कभी नहीं छोड़ी और न ही भाजपा की सदस्यता ली थी। भाजपा से इस्तीफा देने वालों में प्रदेश उपाध्यक्ष जीएल शर्मा और महम से चुनाव लड़ चुके शमशेर सिंह खरखड़ा भी शामिल हैं।
पूर्व विधायक जसबीर देशवाल ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है जबकि पूर्व मंत्री बचन सिंह आर्य ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया। आर्य सफीदों सीट पर जेजेपी से आए रामकुमार गौतम को टिकट मिलने से नाराज हैं। टिकट कटने के बाद मंत्री संजय सिंह ने समर्थकों की बैठक बुलाई है। सोहना से विधायक संजय सिंह ने कहा कि पार्टी ने उनके साथ "अन्याय" किया है। भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक नवीन गोयल ने अपने समर्थकों के साथ पार्टी छोड़कर गुरुग्राम से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
टिकट वितरण को लेकर मचे घमासान पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि जब टिकट चाहने वालों की संख्या इतनी अधिक है तो कुछ नाराजगी हो सकती है। लेकिन वे हमारे अपने लोग हैं। किसी कार्यकर्ता में नाराजगी है तो उसे भी मना लिया जाएगा। उन्होंने भरोसा जताया कि सभी कार्यकर्ता एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे।
गौरतलब है कि भाजपा ने 67 उम्मीदवारों की पहली सूची में 3 मंत्रियों समेत 9 विधायकों और कई पूर्व मंत्री व विधायकों के टिकट काटे गये हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में हारी 23 सीटों पर भी पार्टी ने उम्मीदवार बदले हैं। साथ ही अन्य दलों से आए 10 नेताओं को उम्मीदवार बनाया है। इससे पार्टी में गुटबाजी और आंतरिक कलह बढ़ गई है।
भाजपा में मची भगदड़ को देखते हुए कांग्रेस के उम्मीदवारों की सूची में देरी हो रही है। टिकट कटने के बाद भाजपा के कई नेता कांग्रेस से टिकट पाने का प्रयास कर रहे हैं। जबकि कांग्रेस की नजर भी भाजपा के मजबूत बागी उम्मीदवारों पर है। हालांकि, टिकट वितरण के बाद बगावत का खतरा कांग्रेस में भी कम नहीं है। आप से गठबंधन को लेकर कांग्रेस के कई नेताओं में नाराजगी है। अब देखना है कि बगावत का नुकसान किस पार्टी को ज्यादा होता है।