राहुल गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे, अमेठी से केएल शर्मा कांग्रेस उम्मीदवार
राहुल गांधी अमेठी की बजाय रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे जबकि अमेठी से कांग्रेस ने गांधी परिवार के करीबी किशोरी लाल शर्मा को मैदान में उतारा है। इसी के साथ प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की अटकलों पर विराम लग गया है।
लंबी जद्दोजहद के बाद कांग्रेस ने अमेठी और रायबरेली से उम्मीदवारों को ऐलान कर दिया है। राहुल गांधी इस बार अमेठी की बजाय रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे जबकि अमेठी से कांग्रेस ने गांधी परिवार के करीबी सहयोगी किशोरी लाल शर्मा को मैदान में उतारा है। सोनिया गांधी के राज्यसभा सांसद बनने के बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि रायबरेली से राहुल गांधी या प्रियंका गांधी चुनाव लड़ सकते हैं। इसी के साथ प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की अटकलों पर विराम लग गया है।
किशोरी लाल शर्मा अमेठी और रायबरेली में गांधी परिवार के प्रतिनिध के तौर पर जाने जाते हैं। राहुल गांधी और केएल शर्मा आज नामांकन के आखिरी दिन अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। दोनों सीटों पर पांचवें चरण में 20 मई को मतदान होगा। गांधी-नेहरू परिवार की परंपरागत सीटों अमेठी और रायबरेली को लेकर काफी दिनों से कयास लगाए जा रहे थे। इस बीच, प्रियंका गांधी और वरुण गांधी को उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चाएं भी चली।
उधर, भाजपा ने दिनेश प्रताप सिंह को रायबरेली से उम्मीदवार घोषित किया है। वे 2019 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी से हार गए थे। अमेठी से भाजपा नेता स्मृति ईरानी अपना नामांकन कर चुकी हैं। राहुल गांधी रायबरेली के अलावा केरल की वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं। पिछली बार वे अमेठी से हार गये थे और वायनाड से संसद पहुंचे थे।
रायबरेली से फिरोज गांधी जीते थे पहला चुनाव
रायबरेली सीट गांधी परिवार की परंपरागत सीट रही है। 1952 और 1957 में वहां से राहुल गांधी के दादा फिरोज गांधी सांसद चुने गये थे। 1967 में रायबरेली से ही इंदिरा गांधी ने पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था और 1971 में भी जीत हासिल की। हालांकि, 1977 की लहर में इंदिरा गांधी रायबरेली सीट पर जनता पार्टी के राज नारायण से हार गई थीं। लेकिन 1980 से वहीं से जीत हासिल की। इंदिरा गांधी की मौत के बाद रायबरेली से अरुण नेहरू, शीला कौल और सतीश शर्मा जैसे गांधी परिवार के करीबी लोग चुनकर आते रहे। 2004 में सोनिया गांधी ने अमेठी सीट राहुल गांधी के लिए छोड़कर रायबरेली का रुख किया था। तब से सोनिया गांधी रायबरेली सीट से लगातार चुनाव जीतती रही हैं। 2019 में उन्होंने भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह को करीब दो लाख वोटों से हराया था।
अमेठी से गांधी परिवार के विश्वासपात्र को मौका
इस बार सोनिया गांधी के राज्यसभा जाने के बाद रायबरेली या अमेठी से प्रियका गांधी के चुनाव लड़ने की अटकलें भी लगाई जा रही थीं। इसे लेकर भी पार्टी में काफी मंथन हुआ। संभवत: इसी वजह से दोनों सीटों पर उम्मीदवारों के ऐलान में इतना समय लगा। आखिरकार कांग्रेस ने अमेठी से गांधी परिवार के विश्वासपात्र केएल शर्मा को टिकट देने का फैसला किया।
केएल शर्मा मूलत: पंजाब के लुधियान से हैं। राजीव गांधी के साथ वे अस्सी के दशक में अमेठी गए थे, तब से वहीं के हो गये। 1991 में राजीव गांधी की मौत के बाद भी उन्होंने अमेठी नहीं छोड़ा। केएल शर्मा रायबरेली में सोनिया गांधी के प्रतिनिधि के तौर पर काम करते रहे। इसलिए उन्हें रायबरेली सीट से भी दावेदार माना जा रहा था। लेकिन कांग्रेस ने केएल शर्मा को अमेठी में स्मृति ईरानी के सामने उम्मीदवार बनाया है।
पूरी हुई यूपी कांग्रेस की मुराद
राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव नहीं लड़ने को लेकर भाजपा हमलावर है। आरोप लग रहे हैं कि राहुल गांधी ने हार के डर से अमेठी छोड़ दिए। हालांकि, भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान रायबरेली में राहुल गांधी को जिस तरह का समर्थन मिला था, उसे देखते हुए उनके रायबरेली से चुनाव लड़ने की उम्मीद की जा रही थी। रायबरेली से राहुल गांधी के चुनाव लड़ने से यूपी कांग्रेस का मनोबल जरूर बढ़ेगा। यूपी कांग्रेस के पदाधिकारी चाहते थे कि अमेठी और रायबरेली जैसी पार्टी की परंपरागत सीट से गांधी परिवार के सदस्य चुनाव लड़ें।