पंजाब, हरियाणा कर रहे गेहूं के वैल्यू कट की भरपाई तो दूसरे राज्य क्यों नहीं
हरियाणा और पंजाब की सरकारों ने कीमतों में की जाने वाली कटौती की भरपाई करने का ऐलान कर दिया। मगर किसी और राज्यों की सरकारों ने इसकी घोषणा नहीं की। जबकि रबी की फसलों को नुकसान तो सब जगह हुआ है। ऐसे में सवाल उठता है कि बाकी राज्य ऐसा करने से क्यों कतरा रहे हैं या फिर उन राज्यों के किसान संगठन इसे लेकर क्या कर रहे हैं। इस मामले में आबादी के हिसाब से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश का हाल तो बहुत बुरा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने न तो किसानों के लिए बारिश एवं ओलावृष्टि से प्रभावित फसल के मुआवजे की घोषणा की और न ही वैल्यू कट का मुआवजा देने की बात कही है।
मार्च के दूसरे पखवाड़े में गेहूं उत्पादक कई राज्यों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से फसल को काफी नुकसान पहुंचा है और गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है। किसानों को नुकसान से बचाने के लिए मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान ने केंद्र सरकार से खरीद मानकों में छूट देने की मांग की थी जिसे केंद्र ने मंजूर कर लिया। मगर केंद्र ने सरकारी खरीद में खराब गेहूं की खरीद कीमतों में कटौती की शर्त लगा दी है। इसका मतलब यह हुआ की खराब गुणवत्ता वाले गेहूं की सरकारी खरीद तो की जाएगी लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में कटौती भी की जाएगी।
केंद्र के इस फैसले से किसानों में नाराजगी बढ़ी तो हरियाणा और पंजाब की सरकारों ने कीमतों में की जाने वाली कटौती की भरपाई करने का ऐलान कर दिया। मगर किसी और राज्यों की सरकारों ने इसकी घोषणा नहीं की। जबकि रबी की फसलों को नुकसान तो सब जगह हुआ है। ऐसे में सवाल उठता है कि बाकी राज्य ऐसा करने से क्यों कतरा रहे हैं या फिर उन राज्यों के किसान संगठन इसे लेकर क्या कर रहे हैं। इस मामले में आबादी के हिसाब से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश का हाल तो बहुत बुरा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने न तो किसानों के लिए बारिश एवं ओलावृष्टि से प्रभावित फसल के मुआवजे की घोषणा की और न ही वैल्यू कट का मुआवजा देने की बात कही है। जबकि मध्य प्रदेश सरकार ने फसल मुआवजे की घोषणा तो की है मगर कीमतों में कटौती के बारे में कुछ नहीं कहा है। राजस्थान सरकार ने भी कीमतों में कटौती के बारे में कुछ नहीं कहा है।
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उत्तर प्रदेश सरकार ने खरीद मानकों में छूट देने की मांग सबसे बाद में की थी इसलिए उसे मंजूरी भी सबसे बाद में मिली है। इसी वजह से राज्य में गेहूं की खरीद रफ्तार नहीं पकड़ पाई है। केंद्र सरकार की ओर से गेहूं खरीद मानकों में दी गई छूट के मुताबिक 10 फीसदी तक चमकविहीन और 6 फीसदी तक सिकुड़े और टूटे गेहूं को एमएसपी पर ही खरीदा जाएगा। 10-80 फीसदी तक चमकविहीन गेहूं और 6-18 फीसदी तक सिकुड़े और टूटे गेहूं की कीमतों में कटौती की जाएगी। यह कटौती 5.31 रुपये प्रति क्विंटल से लेकर 31.86 रुपये प्रति क्विंटल तक होगी। सरकार ने चालू रबी सीजन के लिए गेहूं का एमएसपी 2,125 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
शिवराज सरकार ने 50 फीसदी तक हुए नुकसान के लिए 32 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर का मुआवजा देने की घोषणा की है। साथ ही नुकसान से प्रभावित किसानों से कर्ज वसूली नहीं करने और अगले साल बिना ब्याज के कर्ज देने की घोषणा की है। इसके अलावा उन किसानों को 56,000 रुपये देने की घोषणा की है जिनकी बेटी की शादी होने वाली है। राज्य में नुकसान का सर्वे अभी तक पूरा नहीं हुआ है। इसके बाद ही मुआवजा दिया जाएगा। मध्य प्रदेश सरकार ने ही सबसे पहले गेहूं खरीद मानकों में छूट देने की मांग की थी।
इस बीच, पंजाब सरकार ने किसानों को मुआवजा देने की शुरुआत भी कर दी है। भगवंत मान सरकार 76-100 फीसदी तक हुए नुकसान के लिए 15,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दे रही है। जबकि 33-75 फीसदी तक नुकसान के लिए 6,750 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया जा रहा है। वहीं 32 फीसदी तक नुकसान के लिए किसानों को 2,000 रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा देने की घोषणा सरकार ने कर रखी है। राज्य सरकार ने 13.46 लाख हेक्टेयर की फसल प्रभावित होने का अनुमान लगाया है।
हरियाणा सरकार ने भी नुकसान का सर्वे जल्दी पूरा करने का निर्देश अधिकारियों को दे रखा है ताकि जल्द से जल्द किसानों को मुआवजा मिल सके। मनोहर लाल खट्टर सरकार ने 76-100 फीसदी तक फसल खराब होने पर 15,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजे की घोषणा की है। 51-75 फीसदी नुकसान पर किसानों को प्रति एकड़ 12,000 रुपये और 25-50 फीसदी फसल खराब होने पर 9,000 रुपये प्रति एकड़ दिए जाएंगे।