पंजाब सरकार ने एग्रीकल्चर मार्केटिंग पर केंद्र के मसौदे को खारिज किया
पंजाब सरकार ने एग्रीकल्चर मार्केटिंग पर नीति रूपरेखा के मसौदे में अनुबंध खेती को बढ़ावा देने, निजी साइलो को डीम्ड मार्केट यार्ड घोषित करने के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है। पत्र में कहा गया है, "पंजाब सरकार कृषि विपणन पर इस मसौदा नीति से पूरी तरह असहमत है।
पंजाब सरकार ने एग्रीकल्चर मार्केटिंग पर राष्ट्रीय नीति रूपरेखा के मसौदे को आधिकारिक रूप से खारिज कर दिया है। पंजाब सरकार का कहना है कि यह राज्य के अधिकारों का अतिक्रमण और तीन कृषि कानूनों के विवादास्पद प्रावधानों को वापस लाने का एक प्रयास है।
एग्रीकल्चर मार्केटिंग पर राष्ट्रीय नीति रूपरेखा के मसौदे को खारिज करते हुए पंजाब के विशेष सचिव (कृषि) ने मसौदा समिति के संयोजक और केंद्रीय कृषि मंत्रालय में उप कृषि विपणन सलाहकार एसके सिंह को एक पत्र लिखा है। इसमें कहा गया कि नीति रूपरेखा का मसौदा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुद्दे पर पूरी तरह से चुप है जो पंजाब के किसानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है।
पत्र में कहा गया है कि 2020 में किसानों के आंदोलन के समय, किसानों की आशंका थी कि भारत सरकार एमएसपी पर गेहूं और धान की खरीद को खत्म करना चाहती है। इस मसौदा नीति में एमएसपी पर खरीद का कोई संदर्भ न होने से फिर से किसानों के मन में वही आशंकाएं पैदा हुई हैं। मसौदा नीति निजी बाजारों और अनुबंध खेती को प्रोत्साहन देने पर भी जोर देती है।
पंजाब सरकार ने कहा कि चूंकि कृषि विपणन राज्य का विषय है, इसलिए भारत सरकार को ऐसी कोई नीति नहीं बनानी चाहिए और इस विषय पर अपनी आवश्यकता के अनुसार नीतियां बनाने का काम राज्यों पर छोड़ देना चाहिए। पंजाब सरकार ने ग्रामीण विकास निधि (आरडीएफ) और बाजार विकास निधि (एमडीएफ) दरों में प्रस्तावित कटौती पर भी आपत्ति जताई है। मसौदे में इन्हें घटाकर 1 प्रतिशत करने का सुझाव दिया गया है। इससे मंडी और ग्रामीण बुनियादी ढांचे को दुरुस्त रखने के राज्य के प्रयासों पर असर पड़ेगा। ऐसे में किसानों के लिए अपनी उपज को मंडी यार्ड में लाना और उसे लाभकारी मूल्य प्राप्त करना मुश्किल होगा
कृषि मंत्रालय ने 25 नवंबर को नीति रूपरेखा का मसौदा जारी करते हुए इस पर 15 दिसंबर तक सुझाव मांगे थे। इस पर पंजाब सरकार ने विभिन्न पक्षों से विचार-विमर्श करने के बाद जवाब भेजने के लिए 10 जनवरी तक का समय लिया था। पंजाब सरकार की ओर से इस बात पर भी आपत्ति जताई गई कि प्रस्तावित नीति रूपरेखा में निजी बाजारों को बढ़ावा देने पर काफी जोर दिया गया है। इससे कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) कमजोर होकर अप्रासंगिक हो जाएंगे और किसान निजी बाजारों के मालिकों की दया पर निर्भर होंगे। जबकि पंजाब के पास कृषि मंडियों का बड़ा नेटवर्क है जो किसानों की अच्छी सेवा कर रहा है।
पंजाब सरकार ने नीति रूपरेखा के मसौदे में अनुबंध खेती को बढ़ावा देने, निजी साइलो को डीम्ड मार्केट यार्ड घोषित करने के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है। पत्र में कहा गया है, "पंजाब सरकार कृषि विपणन पर इस मसौदा नीति से पूरी तरह असहमत है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान पहले ही केंद्र के इस मसौदे को निरस्त किए गए तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को "वापस लाने" की कोशिश करार दे चुके हैं।
पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने मंडियों में एकल राष्ट्रीय कर जैसे प्रावधानों की आलोचना करते हुए इसकी तुलना जीएसटी प्रणाली से की है जिसने राज्यों को वित्तीय रूप से परेशान किया है। संयुक्त किसान मोर्चा, एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा सहित विभिन्न किसान संगठन भी एग्रीकल्चर मार्केटिंग पर राष्ट्रीय नीति रूपरेखा के मसौदे का विरोध कर रहे हैं।