गेहूं की सरकारी खरीद 177.57 लाख टन पर ही पहुंची
केंद्र सरकार द्वारा चालू रबी मार्केटिंग सीजन (2022-23) में गेहूं की सरकारी खरीद के 444 लाख टन के तय लक्ष्य के मुकाबले आधे से भी कम 195 लाख टन रहने के अनुमान लगाया गया है। लेकिन गेहूं खरीद के यहां तक पहुंचने की उम्मीद भी कमजोर पड़ती दिख रही है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक 10 मई तक गेहूं की सरकारी खरीद 177.57 लाख टन तक ही पहुंची है
केंद्र सरकार द्वारा चालू रबी मार्केटिंग सीजन (2022-23) में गेहूं की सरकारी खरीद के 444 लाख टन के तय लक्ष्य के मुकाबले आधे से भी कम 195 लाख टन सरकारी खरीद रहने के अनुमान लगाया गया है। लेकिन गेहूं की सरकारी खरीद के यहां तक पहुंचने की उम्मीद भी कमजोर पड़ती दिख रही है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक 10 मई तक गेहूं की सरकारी खरीद 177.57 लाख टन तक ही पहुंची है। साथ ही विभिन्न राज्यों में किसानों ने सरकारी खऱीद में गेहूं की बिक्री के पंजीयन के मुकाबले गेहूं बेचने आये किसानों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से कमी आई है। उत्तराखंड में तो केवल एक किसान ने ही सरकारी खरीद में गेहूं की बिक्री की है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान और अन्य प्रदेशों में भी पंजीकरण और बिक्री करने वाले किसानों की संख्या में बड़ा अंतर है।
ताजा आंकड़ों के मुताबिक सबसे अधिक 94.72 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद पंजाब में हुई है। जो देश की कुल सरकारी खरीद में आधे से अधिक है। उसके बाद 40.56 लाख टन गेहूं खरीद के साथ हरियाणा दूसरे नंबर पर है। वहीं 40.17 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद के साथ मध्य प्रदेश तीसरे नंबर पर है। उत्तर प्रदेश में अभी तक केवल 2.08 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई है। राजस्थान में केवल 750.65 टन की गेहूं खरीद हुई है। जबकि उत्तराखंड में 3.20 टन गेहूं की ही सरकारी खऱीद हुई है । गुजरात में 5.90 टन की खरीद हुई है। हिमाचल प्रदेश में 2,809.74 टन की गेहूं खरीद हुई है और जम्मू एवं कश्मीर में 255.04 टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई है। सरकार द्वारा इन नौ राज्यों में ही चालू रबी सीजन में गेहूं की सरकारी खरीद के आंकड़े सेंट्रल फूड ग्रेन प्रोक्यूरमेंट पोर्टल पर दिये गये हैं।
सरकारी खरीद कम होने की बड़ी वजह गेहूं उत्पादन में गिरावट को माना जा रहा है। मार्च और अप्रैल में अचानक तापमान बढ़ने से खासकर उत्तरी राज्यों में गेहूं के दाने सिकुड़ गए। देश के अधिकांश हिस्सों के किसानों का कहना है कि उनका उत्पादन 15 से 25 फीसदी तक गिर गया। हालांकि सरकार ने गेहूं उत्पादन के अनुमान में सिर्फ 5.7 फ़ीसदी कटौती की है। पहले 11.13 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का अनुमान था, जिसे घटाकर 10.5 करोड़ टन कर दिया गया है। 2020-21 में 10.96 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हुआ था।
सरकारी खरीद कम होने की दूसरी बड़ी वजह गेहूं की निर्यात मांग में बढ़ोतरी को माना जा रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण ग्लोबल मार्केट में गेहूं की सप्लाई कम हो गई है। ऐसे में भारतीय गेहूं की मांग बढ़ी है। जिसके चलते निर्यातकों ने गेहूं की बड़े पैमाने पर खरीद है। इसमें अधिकांश खऱीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के उपर की गई है। वहीं घरेलू बाजार के लिए भी निजी खरीदारों द्वारा एमएसपी से अधिक कीमत पर गेहूं की खऱीद की गई है। चालू रबी सीजन के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपये प्रति क्विटंल है जबकि बाजार में किसानों को 2100 रुपये से लेकर 2300 रुपये प्रति क्विटंल की कीमत मिली है। इस स्थिति में गेहूुं के उत्पादों की कीमतों में भी बढ़ोतरी का दौर शुरू हो गया है। वहीं सरकारी खऱीद कम होने के चलते केंद्रीय पूल में पहली बार नये सीजन की खरीद के मुकाबले एक अप्रैल, 2022 को बकाया स्टॉक अधिक रहने की स्थिति बन गई है। उक्त तिथि को केंद्रीय पूल में 189.90 लाख टन गेहूं था।