कृषि क्षेत्र में स्टार्ट अप्स को बढ़ावा देने के लिए फंड ऑफ फंड्स बनाने की जरूरतः हर्ष कुमार भानवाला
इंफार्मेशन टेक्नालॉजी के माध्यम से ग्रामीण लोगों की जरूरतों के अनुसार आज के समय स्टार्ट-अप एक सर्विस देने का काम कर रहे हैं । जिससे नई नई तकनीकों की जानकारी किसानों के पास पहुंच सके। स्टार्ट अप्स के लिए वैंचर कैपिटल फंड वित्तीय संसाधन उपलब्ध करा रहे हैं। जो निजी क्षेत्र से हैं लेकिन सरकार को अब इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए और एक फंड ऑफ फंड बनाना चाहिए जिसके जरिये स्टार्ट अप फंडिंग के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराये जा सकें। नाबार्ड के पूर्व चेयरमैन और कैपिटल इंडिया एक्जीक्यूटिव चेयरमैन हर्ष कुमार भनवाला ने नई दिल्ली में आयोजित रूरल वॉइस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव एंड नेडाक अवार्ड्स 2021 को संबोधित करते हुए यह बातें कहीं
इंफार्मेशन टेक्नालॉजी के माध्यम से ग्रामीण लोगों की जरूरतों के अनुसार आज के समय स्टार्ट-अप एक सर्विस देने का काम कर रहे हैं । जिससे नई नई तकनीकों की जानकारी किसानों के पास पहुंच सके। इसके लिए देश में बहुत से स्टार्ट- अप काम कर रहे हैं। स्टार्ट अप्स के लिए वैंचर कैपिटल फंड वित्तीय संसाधन उपलब्ध करा रहे हैं। जो निजी क्षेत्र से हैं लेकिन सरकार को अब इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए और एक फंड ऑफ फंड बनाना चाहिए जिसके जरिये स्टार्ट अप फंडिंग के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराये जा सकें। नाबार्ड के पूर्व चेयरमैन और कैपिटल इंडिया एक्जीक्यूटिव चेयरमैन हर्ष कुमार भानवाला ने नई दिल्ली में आयोजित रूरल वॉइस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव एंड नेडाक अवार्ड्स 2021 के एक सत्र को संबोधित करते हुए यह बातें कहीं। भानवाला ने कॉन्क्लेव के एग्रीकल्चर एंड टेक्नालॉजी सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि स्टार्टअप्स का मकसद किसानों की जरूरत के मुताबिक कम समय में समस्याओं का समाधान मुहैया कराना है।
भानवाला ने कहा कि ग्रामीण परिवारों की तीन मुख्य जरूरतें कृषि, गैर-कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा से संबंधित मुख्य जरूरतें होती हैं। इन जरूरतों को पूरा करने के लिए पिछले पांच सालों में देश में कई स्टार्ट-अप आए हैं। उन्होंने कहा कि डाउनस्ट्रीम स्टार्ट-अप किसानों तक पहुंचते हैं। आज के समय में किसानों को मजदूरों की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इस जरूरत को कुछ कृषि स्टार्ट-अप द्वारा पूरा किया जा रहा है। खेती में नई मशीनों के इस्तेमाल पर कई स्टार्ट अप काम कर रहे हैं। इसके अलावा लीजिंग से जुड़े स्टार्ट-अप भी काम कर रहे हैं।
नाबार्ड के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि एग्रीटेक वेंचर कैपिटल फर्म ओमनीवोर कृषि और कृषि के लिए काम करने वाले स्टार्ट-अप्स का समर्थन करने वाली संस्था है जिससे मैं जुड़ा हुआ हूं। इसका मकसद उन स्टार्ट-अप्स को सपोर्ट करना जो ग्रामीण और कृषि तकनीक के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। देश में बहुत से ऐसे कुछ फंड स्टार्ट-अप्स की मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में 190 स्टार्ट-अप के साथ समझौता हुआ है। जिसमें दो अरब रुपये का निवेश किया गया है। इसमें डाउनस्ट्रीम निवेश और कई स्टार्ट अप के अपस्ट्रीम निवेश शामिल हैं।
हर्ष भानवाला ने कहा कि आज के समय में कृषि में नई तकनीकें आ गई है। आज तकनीक की बदौलत उत्पाद बाजार में पहुंचने से पहले ही उपभोक्ता को उत्पाद की नमी और गुणवत्ता की जानकारी स्टेप्टो मीटर के जरिए मिल जाती है ताकि उत्पाद की कीमत निर्धारित की जा सके। इसी तरह उत्पादन से जुड़े स्टार्ट अप भी हैं। आज लोग डेयरी मॉल खोलने की बात कर रहे हैं ताकि खरीदारी के दौरान पशुपालक धोखाधड़ी के शिकार न हो सकें ।
भानवाला ने अपने संबोधन में कहा कि स्टार्टअप कृषि कारोबार को पारदर्शी बनाने में मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) में जिस तरह सूक्ष्म और लघु उद्यम के मदद के लिए फंड बनाया गया। उसी तरह सहकारिता विभाग भी कृषि स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहन देने के लिए फंड बनाया जाय।
भारनवाला ने कहा कि अभी तक सिर्फ निजी संस्थान ही यह काम कर रहे हैं। अब सरकार को भी इन स्टार्ट अप्स की मदद करने पर ध्यान देने की जरूरत है। ग्रामीण लोगों को स्वास्थ्य स्टार्ट-अप की आवश्यकता है क्योंकि गांवों में स्वास्थ्य समस्याएं हैं। जिसे ऑनलाइन सुविधा के हल किया जा सकता है। स्टार्ट-अप भी गुणवत्तापूर्ण भोजन पर काम कर रहे हैं। स्टार्टअ प बायो एनर्जी पर भी काम कर रहे हैं। आजकल इन स्टार्ट-अप का व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से लाभ उठाया जा सकता है लेकिन यदि सहकारी विभाग सामूहिक रूप से गांवों को नई तकनीक से जोड़ने में योगदान देता है तो गांवों का तेजी से विकास होगा और ग्रामीणों के जीवन स्तर में सुधार होगा।