चावल, गेहूं की कीमतें भारत में स्थिरः एफएओ
भारत के बारे में एफएओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022-23 में बुवाई रकबे में कमी की वजह से कम उत्पादन का पूर्वानुमान लगाया गया है। इसे देखते हुए की जा रही सरकारी खरीद और मजबूत घरेलू मांग की वजह से चावल की कीमतें स्थिर या कुछ बाजारों में बढ़ी हुई थीं। गैर-बासमती चावल की मजबूत अंतरराष्ट्रीय मांग की वजह से भी कीमतों को समर्थन मिला है। सरकारी अनुमानों के मुताबिक, चालू मार्केटिंग वर्ष 2022-23 (अक्टूबर-सिंतबर) के 30 अप्रैल तक लगभग 5 करोड़ टन धान की सरकारी खरीद हो चुकी है। यह 2022-23 के उत्पादन अनुमान का लगभग 30 फीसदी है।
चावल की कीमतों में अप्रैल 2023 में मिला-जुला रुख रहा। हालांकि, इस दौरान कीमतें पिछले साल के स्तर से काफी ऊपर रही। कीमतों में यह वृद्धि सब-रीजन के निर्यातक देशों की वजह है क्योंकि परंपरागत आयातकों की मांग में वृद्धि हुई है। मांग बढ़ने से निर्यात बढ़ा है और इस वृद्धि का फायदा खासकर वियतनाम और थाईलैंड को ज्यादा हुआ है। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी कृषि एवं खाद्य संगठन (एफएओ) की ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
म्यांमार में चावल की "इमाटा" किस्म की खपत व्यापक रूप से होती है। इस किस्म की चावल की कीमतें अप्रैल में नए रिकॉर्ड के साथ उच्च स्तर पर पहुंच गई। सालाना आधार पर कीमतों में 100 फीसदी की वृद्धि हुई है। 2021 और 2022 में औसत से कम उत्पादन, कृषि और परिवहन की ज्यादा लागत और निरंतर निर्यात मांग की वजह से कीमतों में इतनी ज्यादा तेजी आई है। एफएओ ने अपने नवीनतम खाद्य मूल्य निगरानी और विश्लेषण बुलेटिन में कहा है कि हिंसा में हालिया बढ़ोतरी ने बाजार की गतिविधियों में बाधा पहुंचाई है जिससे कीमतों में उछाल को और समर्थन मिला है।
भारत के बारे में एफएओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022-23 में बुवाई रकबे में कमी की वजह से कम उत्पादन का पूर्वानुमान लगाया गया है। इसे देखते हुए की जा रही सरकारी खरीद और मजबूत घरेलू मांग की वजह से चावल की कीमतें स्थिर या कुछ बाजारों में बढ़ी हुई थीं। गैर-बासमती चावल की मजबूत अंतरराष्ट्रीय मांग की वजह से भी कीमतों को समर्थन मिला है। सरकारी अनुमानों के मुताबिक, चालू मार्केटिंग वर्ष 2022-23 (अक्टूबर-सिंतबर) के 30 अप्रैल तक लगभग 5 करोड़ टन धान की सरकारी खरीद हो चुकी है। यह 2022-23 के उत्पादन अनुमान का लगभग 30 फीसदी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन और बांग्लादेश में चावल की कीमतों में थोड़ा बदलाव आया है। यहां कीमतें पिछले साल के स्तर से मामूली रूप से ज्यादा थी। इससे पता चलता है कि यहां के बाजार में चावल की पर्याप्त उपलब्धता है। कंबोडिया में धान की नई फसल की कटाई हो चुकी है। बाजार में नई फसल आ जाने से यहां कीमतों में गिरावट आई है। हालांकि, कीमतों के औसत से ज्यादा रहने का अनुमान रिपोर्ट में लगाया गया है। श्रीलंका में चावल की कीमतों में अगस्त 2022 से लगातार गिरावट जारी है। यह 2022-23 की नई फसल से बाजार में बढ़ी हुई उपलब्धता और व्यापक आर्थिक स्थितियों में सुधार को दर्शाती है। कुल मिलाकर चावल की कीमतें एक साल पहले के स्तर से 15 फीसदी अधिक बनी हुई हैं।
सब-रीजन के अधिकांश देशों में मुख्य फसल गेहूं के बाजार में आने की शुरुआत के कारण गेहूं के आटे की कीमतों में गिरावट आई। सिर्फ पाकिस्तान अपवाद है जहां गेहूं के आटे की घरेलू कीमतों में बढ़ोतरी जारी है। 2023 की नई फसल आने के बावजूद अप्रैल में आटे की कीमत नए रिकॉर्ड पर पहुंच गई। रमजान के महीने में मांग ज्यादा रहने और उपलब्धता कम रहने से कीमतें उच्च स्तर पर पहुंच गई। इसके अलावा उच्च कृषि इनपुट और परिवहन लागत और मुद्रास्फीति के दबाव ने भी कीमतों को भड़काने में योगदान दिया। इसके अलावा इस साल मौसम के लगातार झटकों ने बंपर फसल की संभावनाओं को पहले ही धूमिल कर दिया जिससे कीमतों पर और दबाव बढ़ गया। चीन में गेहूं की कीमतों में 2023 की शुरुआत से ही गिरावट आई है जो बाजार में पर्याप्त उपलब्धता को दर्शाती है। यहां मई में गेहूं की नई फसल आने आ जाती है।
जहां तक भारत की बात है तो एफएओ की ताजा रिपोर्ट कहती है कि मुख्य फसल गेहूं की शुरुआत के साथ ही गेहूं के दाने और गेहूं के आटे की कीमतें स्थिर या कम थीं। हालांकि यह औसत से ऊपर है। इसी तरह, श्रीलंका में गेहूं के आटे की घरेलू कीमतों में गिरावट आई है जो अंतरराष्ट्रीय बाजारों के रूझानों को दर्शाता है। जबकि बांग्लादेश में नई फसल के आने से कीमतों पर दबाव है।