पीएम मोदी ने विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना के पायलट प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सहकारी क्षेत्र से जुड़ी कई पहलों का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री ने विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना के पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 11 राज्यों की प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) में अनाज भंडारण के लिए 11 गोदामों का उद्घाटन किया। साथ ही गोदामों और अन्य कृषि बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए देश भर में अतिरिक्त 500 पैक्स की आधारशिला रखी।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सहकारी क्षेत्र से जुड़ी कई पहलों का शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री ने विश्व की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना के पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 11 राज्यों की प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) में अनाज भंडारण के लिए 11 गोदामों का उद्घाटन किया। साथ ही गोदामों और अन्य कृषि बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए देश भर में अतिरिक्त 500 पैक्स की आधारशिला रखी।
नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि आज हमने अपने किसानों के लिए दुनिया की सबसे बड़ी स्टोरेज स्कीम शुरू की है। इसके तहत देश के कोने-कोने में हजारों वेयर-हाउसेस बनाए जाएंगे, हजारों गोदाम बनाए जाएंगे। आज 18 हजार पैक्स के कंप्यूटराइजेशन का बड़ा काम भी पूरा हुआ है। ये सभी काम देश में कृषि इनफ्रास्ट्रक्चर को नया विस्तार देंगे, कृषि को आधुनिक टेक्नालजी से जोड़ेंगे।
पीएम मोदी ने 1.25 लाख करोड़ रुपये के निवेश के साथ दुनिया का सबसे बड़ा अनाज भंडारण कार्यक्रम शुरू किया। इसके तहत अगले पांच वर्षों में सहकारी क्षेत्र में हजारों गोदामों का निर्माण कर 700 लाख टन भंडारण क्षमता बनाई जाएगी। उन्होंने 500 और पैक्स में गोदाम और अन्य कृषि बुनियादी ढांचे के निर्माण की नींव भी रखी। इसका उद्देश्य पैक्स गोदामों को खाद्यान्न आपूर्ति श्रृंखला से जोड़कर खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना है। यह काम कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ), कृषि विपणन अवसंरचना (एएमआई) आदि जैसी विभिन्न मौजूदा योजनाओं के माध्यम से किया जा रहा है।
पीएम मोदी ने कहा कि भंडारण से जुड़े इनफ्रास्ट्रक्चर के अभाव में किसानों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता था। लेकिन, आज सहकारी समितियों के जरिए इस समस्या को हल किया जा रहा है। दुनिया की सबसे बड़ी भंडारण योजना के तहत, अगले 5 वर्षों में 700 लाख मीट्रिक टन भंडारण की क्षमता तैयार की जाएगी। इस पर सवा लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च आएगा। इससे किसान अपने उत्पादों को अपनी जरूरत के मुताबिक भंडारण में रखकर के स्टोर कर पाएंगे। उन्हें बैंकों से ऋण लेने में भी आसानी होगी। और वो सही समय पर अपने उत्पाद को बाजार में बेच सकेंगे।
प्रधानमंत्री ने सहकारी क्षेत्र से भारत को खाद्य तेलों और उर्वरकों सहित कृषि उत्पादों पर आयात निर्भरता कम करने में मदद करने का आग्रह किया। उन्होंने "सहकार से समृद्धि" के तहत सहकारी क्षेत्र के विकास के लिए पिछले 10 वर्षों में सरकार द्वारा किए गये कामों और विशेष रूप से अलग सहकारिता मंत्रालय बनाने के बारे में बताया। पीएम मोदी ने सहकारी समितियों में चुनाव प्रणाली में पारदर्शिता लाने के महत्व पर भी जोर दिया और कहा कि इससे सहकारी आंदोलन में लोगों की अधिक भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा।
किसान उत्पाद संगठन यानी एफपीओ का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि एफपीओ के माध्यम से आज गांव के छोटे किसान भी उद्यमी बन रहे हैं, अपने उत्पादों को विदेशों तक निर्यात कर रहे हैं। देश में 10 हजार FPOs बनाने का लक्ष्य रखा था। अलग सहकारिता मंत्रालय होने का नतीजा ये है कि देश में 8 हजार एफपीओ का गठन हो चुका है। सहकारिता का लाभ अब पशुपालकों और मछली-पालकों तक भी पहुंच रहा है।