धान की बुवाई 384 लाख हेक्टेयर पर पहुंची, प्रमुख उत्पादक राज्यों में कम बारिश के बावजूद बढ़ा रकबा
बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे प्रमुख धान उत्पादक राज्यों में मानसून की बारिश सामान्य से कम होने के बावजूद खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान की बुवाई के रकबे में पिछले साल के मुकाबले बढ़ोतरी हुई है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी 25 अगस्त तक के आंकड़ों के मुताबिक, 384.05 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई हो चुकी है। पिछले साल इस समय तक 367.83 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई हुई थी।
बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे प्रमुख धान उत्पादक राज्यों में मानसून की बारिश सामान्य से कम होने के बावजूद खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान की बुवाई के रकबे में पिछले साल के मुकाबले बढ़ोतरी हुई है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी 25 अगस्त तक के आंकड़ों के मुताबिक, 384.05 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई हो चुकी है। पिछले साल इस समय तक 367.83 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई हुई थी। सामान्य तौर पर देश में खरीफ सीजन में 399.45 लाख हेक्टेयर में धान बोई जाती है।
ताजा आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में धान की बुवाई का रकबा पिछले साल के मुकाबले 5.08 लाख हेक्टेयर बढ़ा है, जबकि राज्य में 25 अगस्त तक मानसून की बारिश सामान्य से 27 फीसदी कम हुई है। इसी तरह, छत्तीसगढ़ में पिछले साल की तुलना में बुवाई का रकबा 4.52 लाख हेक्टेयर ज्यादा रहा है। यहां बारिश सामान्य से 15 फीसदी कम दर्ज की गई है। झारखंड में मानसून की बारिश 34 फीसदी कम होने के बावजूद धान के क्षेत्रफल में 1.82 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। जबकि तेलंगाना में 2.64 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त रकबे में इस साल धान बोई गई है।
इसी तरह, हरियाणा (1.64 लाख हेक्टेयर ज्यादा), उत्तर प्रदेश (1.19 लाख हेक्टेयर ज्यादा), मध्य प्रदेश (1.11 लाख हेक्टेयर ज्यादा), पश्चिम बंगाल (93 हजार हेक्टेयर ज्यादा), ओडिशा (40 हजार हेक्टेयर ज्यादा), राजस्थान (34 हजार हेक्टेयर ज्यादा) और पंजाब (25 हजार हेक्टेयर ज्यादा) में भी पिछले साल की तुलना में इस साल ज्यादा रकबे में धान की बुवाई हुई है। जबकि कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और असम जैसे प्रमुख धान उत्पादक राज्यों में बुवाई घट गई है। कर्नाटक में सबसे ज्यादा 1.72 लाख हेक्टेयर की कमी आई है। इसके बाद आंध्र प्रदेश में 1.20 लाख हेक्टेयर और असम में 33 हजार हेक्टयर कम क्षेत्रफल में खरीफ की धान बोई गई है।
इस दौरान दलहन फसलों की बुवाई का रकबा 128.07 लाख हेक्टेयर से घटकर 117.44 लाख हेक्टेयर रह गया है। तिलहन फसलों की बुवाई में भी कमी आई है। पिछले साल इस समय तक तिलहन फसलों की बुवाई 190.38 लाख हेक्टेयर में हुई थी जो घटकर 188.58 लाख हेक्टेयर रह गई है। जबकि मोटा अनाज की बुवाई का रकबा 176.31 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 178.33 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है। गन्ने की बुवाई 55.59 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 56.06 लाख हेक्टेयर रही है।
नकदी फसलों में कपास का रकबा 124.82 लाख हेक्टेयर से घटकर 122.56 लाख हेक्टेयर पर आ गया है। इसी तरह, जूट एवं मेस्ता की बुवाई 6.96 लाख हेक्टेयर से कम होकर 6.56 लाख हेक्टेयर में हुई है। हालांकि, खरीफ फसलों की कुल बुवाई 1049.96 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 1053.59 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गई है।