प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: आत्मनिरीक्षण, अपेक्षाएं और भविष्य का रोडमैप
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पिछले कुछ सालों से अस्तित्व में है और किसानों की परेशानियों को दूर करने में इसने भूमिका निभाई है। हालांकि अब सुगमता, पारदर्शिता और उन्नयन के संदर्भ में इस योजना के उद्देश्यों के कार्यान्वयन की प्रक्रिया को परिष्कृत करना अनिवार्य हो गया है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) पिछले कुछ सालों से अस्तित्व में है और किसानों की परेशानियों को दूर करने में इसने भूमिका निभाई है। यह सर्वश्रेष्ठ कवरेज के साथ दुनिया की सबसे ज्यादा समग्र कृषि योजना है जो किसानों को दी जा सके। हालांकि अब सुगमता, पारदर्शिता और उन्नयन के संदर्भ में इस योजना के उद्देश्यों के कार्यान्वयन की प्रक्रिया को परिष्कृत करना अनिवार्य हो गया है। इस योजना में आने वाली समस्याएं निम्नलिखित हैं:
कई मौकों पर क्लेम के भुगतान में देरी देखी गई है, जिससे किसानों को परेशानी होती है। इस बात पर प्रकाश डालना भी बहुत महत्वपूर्ण है कि उपज के आंकड़े जारी करने में देरी भुगतान में देरी होने के पीछे एक प्रमुख कारण है। इन परेशानियों से निपटने में समय पर कार्य करने की जरूरत होती है। हालांकि उचित इन्फ्रास्ट्रक्चर और संसाधनों के अभाव में इसका समाधान होने के बजाय यह स्थिति और बिगड़ गई है। किसानों की दयनीय स्थिति को और बिगाड़ने के पीछे का कारण सरकार और बीमा कंपनियों का कोई विवाद नहीं होना चाहिए, जो अक्सर होता है। खेतों से लिए गए उपज के आंकड़ों में विसंगति और स्थानीय प्रशासन या बीमा कंपनी अधिकारी द्वारा उसमें हेरफेर करना आम समस्याएं हैं, जिनके कारण ना सिर्फ गलत क्लेम तय होता है बल्कि उस क्षेत्र के उत्पादन का भी गलत आंकड़ा बनता है।
आजकल नियमित तौर पर हो रहीं स्थानीय आपदाएं इस योजना के अंतर्गत कवर होती हैं। हालांकि क्लेम के निपटान में अक्सर देरी होती है या इसे खारिज कर दिया जाता है और अपर्याप्त रूप से निपटाया जाता है, जिससे किसान परेशान हो जाता है। यूएवी, रिमोट सेंसिंग, मौसम विश्लेषण की तकनीक के सही संतुलन के साथ हाईब्रिड विधि और कुशल स्थानीय कर्मियों की जरूरत है। यह गौर करने की बात है कि PMFBY के पांच साल होने के बाद भी कुशल कर्मियों और अनुभव के साथ फसल नुकसान का आकलन बहुत कम हुआ है।
इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं जैसी वर्तमान चुनौतियों को देखते हुए इस योजना के आयाम बदलने की जरूरत है। अब यह समझना जरूरी हो गया है कि अगर योजना के अंतर्गत कृषि कार्यों के लिए जलवायु के अनुकूल कदमों को नजरंदाज किया जाता है तो इस योजना के तहत किसानों की आय को स्थित करने का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल हो जाएगा। इसके साथ-साथ मौसम में जल्दी-जल्दी होते बदलावों में तेजी से होते बदलाव और अनिश्चित अतिस्थानीय परिदृश्यों को देखते हुए Remote Sensing & GIS Analytics जैसी उन्नत तकनीक अपनाना और आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस (AI) का उपयोग कर मजबूत ढांचा तैयार करना और मौसम के आंकड़े प्रभावी और पारदर्शी क्लेम और जोखिम प्रबंधन के लिए अनिवार्य हो गए हैं।
किसानों की जरूरत को देखते हुए PMFBY को और प्रासंगिक करने के लिए युद्धस्तर पर कदम उठाने की जरूरत है। इसके साथ ही, जलवायु अनुकूल कृषि के पहलुओं को देखते हुए इस योजना के स्कोप को व्यापक बनाना बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। अन्यथा, किसानों की आय में वित्तीय स्थिरता नहीं रहेगी। और यह समझना जरूरी है कि ऑप्टिमल क्लाइमेट स्मार्ट इंटरवेंशंस उन्नत तकनीक के अनुप्रयोगों पर निर्भर हैं। इसलिए इस योजना के तहत अब जोखिम प्रबंधन के लिए अत्याधुनिक तकनीकों के तीव्र उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए। इसके अलावा, सरकार और बीमा कंपनियों के विवादों के कारण किसानों के गैर-जरूरी
शोषण को रोकने के लिए एक पारदर्शी ढांचा तैयार करने की जरूरत है।
(नवनीत रविकर लीड्स कनेक्ट सर्विसेज के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक हैं। लेख में उनके विचार निजी हैं।)