एक महीने में प्याज का थोक दाम 21 फीसदी गिरा, खुदरा कीमतें अभी भी ऊपर
महाराष्ट्र में पिछले एक महीने में प्याज की थोक कीमतें 21 फीसदी गिरकर 2300-2500 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई हैं। लेकिन खुदरा कीमतें अभी भी ऊपर बनी हुई हैं।
महाराष्ट्र में पिछले एक महीने में प्याज के दामों में 21 फीसदी की गिरावट आई है। जुलाई में प्याज का औसत थोक मूल्य 3000 से 3200 रुपये प्रति क्विंटल था, जो अगस्त में गिरकर 2300 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है। इस गिरावट का मुख्य कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय प्याज की मांग में कमी और 40 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी है। हालांकि थोक कीमतों में गिरावट के बावजूद खुदरा बाजार में प्याज का दाम 50 रुपये प्रति किलो के आसपास बना हुआ है। एक महीने में प्याज की खुदरा कीमतों में 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। लेकिन इस बढ़ोतरी का लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है।
महाराष्ट्र के किसान संगठन शेतकरी संघठना के नेता और एमएसपी पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति के सदस्य अनिल घनवट ने रूरल वॉयस बताया कि महाराष्ट्र में प्याज की कीमतों में पिछले एक महीने में गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि नासिक प्याज मंडी जुलाई में प्याज का औसत दाम 3500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था, जो अब गिरकर 2300 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया है। उन्होंने कहा कि इस साल प्याज किसानों को अच्छा दाम मिलने की उम्मीद थी। केंद्र सरकार द्वारा एक्सपोर्ट पर बैन हटाए जाने के बाद कीमतों में सुधार तो हुआ था, लेकिन अब फिर कीमतों में गिरावट दर्ज की जा रही है। जबकि बाजार में प्याजा के दाम लागातर ऊपर बने हुए हैं।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में घटी डिमांड
घनवट ने बताया कि सरकार ने भले ही प्याज निर्यात पर लगी रोक हटा दी है, लेकिन प्याज पर 40 प्रतिशत एक्सपोर्ट ड्यूटी और 500 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य अभी भी लागू है जो उन्हें परेशान कर रहा है। उन्होंने कहा कि किसान पहले ही निर्यातबंदी के कारण काफी नुकसान उठा चुके हैं। वहीं एक्सपोर्ट ड्यूटी और न्यूनतम निर्यात मूल्य के कारण भी प्याज एक्सपोर्ट पर असर पड़ा है। जिस वजह से उन्हें बेहतर कीमत नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पाकिस्तान ने से प्याज की आवक शुरू हो गई है। जिस वजह से भारतीय प्याज की डिमांड पर असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि सप्लाई तो भरपूर है, लेकिन डिमांड घटी है। पाकिस्तान का प्याज सस्ता है, जिस वजह से उसकी ज्यादा डिमांड है। जबकि एक्सपोर्ट ड्यूटी के चलते भारत का प्याज महंगा बिक रहा है।
किसानों को नहीं मिल रहा उचित लाभ
महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष भारत दिघोले ने रूरल वॉयस को बताया कि प्याज के भाव कम होने से किसानों को उचित लाभ नहीं मिल रहा है। महीने भर पहले किसानों को प्रति किलो प्याज का औसतन 30 से 35 रुपये दाम मिल रहा था, जो अब घटकर 23 से 25 रुपये प्रति किलो पर आ गया है। जबकि प्रति किलो प्याज उत्पादन की लागत ही 20 रुपये के आसपास है। इस हिसाब से किसान प्रति किलो पर मात्र 3 से 4 रुपये ही कमा रहे हैं।
दिघोले ने बताया कि बाजार में प्याज की कीमतें अभी भी ऊपर हैं, लेकिन किसानों को इसका आधा दाम ही मिल रहा है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के प्राइस मॉनिटरिंग डिवीजन के अनुसार, देशभर में प्याज की औसत खुदरा कीमत 43.14 रुपये प्रति किलो है। जबकि एक महीने पहले प्याज का औसत खुदरा दाम 41.92 रुपये प्रति किलो था। वहीं बाजार में प्याज 50 रुपये के आसपास बिक रहा है।
कुल मिलाकर, प्याज की थोक कीमतों में गिरावट के बावजूद खुदरा बाजार में इसका असर नहीं दिख रहा है। वहीं अंतर्राष्ट्रीय बाजार में डिमांड घटने और एक्सपोर्ट ड्यूटी के चलते भी किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।