एनसीडीईएक्स का स्काईमेट से करार, एग्री कमोडिटीज पर बदलते मौसम के असर को समझने में मिलेगी मदद
प्रमुख कमोडिटी एक्सचेंज नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) ने स्काईमेट वेदर सर्विसेज के साथ रणनीतिक करार किया है। इसके तहत कृषि उत्पादों पर मौसम के व्यापक प्रभाव को समझने में मदद मिलेगी। इससे बाजार में कीमतों से जुड़े जोखिम को भी कम किया जा सकेगा। स्काईमेट को मौसम पूर्वानुमान का विश्लेषण करने में विशेषज्ञता हासिल है।
प्रमुख कमोडिटी एक्सचेंज नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) ने स्काईमेट वेदर सर्विसेज के साथ रणनीतिक करार किया है। इसके तहत कृषि उत्पादों पर मौसम के व्यापक प्रभाव को समझने में मदद मिलेगी। इससे बाजार में कीमतों से जुड़े जोखिम को भी कम किया जा सकेगा। स्काईमेट को मौसम पूर्वानुमान का विश्लेषण करने में विशेषज्ञता हासिल है।
एनसीडीईएक्स ने एक बयान में कहा है कि दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन कृषि के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। इससे उत्पादन को लेकर अनिश्चितता की स्थिति बनी है, जिसके चलते कमोडिटी की कीमतों में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव हो रहा है। इस उतार-चढ़ाव ने वैल्यू चेन में शामिल सभी के लिए कीमत को लेकर काफी ज्यादा जोखिम पैदा किया है। इनमें किसान, व्यापारी, प्रोसेसर्स और निर्यातक शामिल हैं। एनसीडीईएक्स और स्काईमेट वेदर सर्विसेज के बीच समझौता (एमओयू) किसानों को वैज्ञानिक तरीके से मौसम से जोड़ने की दिशा में एक व्यापक कदम है।
एनसीडीईएक्स के एमडी और सीईओ अरुण रास्ते ने इस एमओयू पर कहा, "हमें उम्मीद है कि इस सहयोग से किसानों को सशक्त बनाकर हम उन्हें मौसम के बदलते रवैये के लिए तैयार कर सकेंगे। इस समझौते के तहत एनसीडीईएक्स और स्काईमेट वेदर सर्विस इस जानकारी के बढ़ने की उम्मीद करते हैं कि वेदर पैटर्न और एग्रीकल्चरल कमोडिटीज में किस तरह का संबंध है। इसका मकसद मार्केट प्लेयर्स को ऐसी जानकारी उपलब्ध कराना है, जिससे उन्हें बेहतर फैसले लेने और जोखिम के कुशल प्रबंधन में मदद मिलेगी और कृषि उद्योग में स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा।"
स्काईमेट वेदर सर्विसेज कृषि से जुड़े पक्षों को मौसम के असर के बारे में समझाने के लिए एग्री इकोसिस्टम के साथ मिलकर काम करता आ रहा है। पिछले कुछ सालों में कृषि के लिए मौसम से जुड़ा जोखिम राष्ट्रीय नीति निर्माण के केंद्र में रहा है, जबकि उत्पादन और उपज पर इसका असर दिन-ब-दिन गहराता जा रहा है। कृषि आपूर्ति पर मौसम का असर पड़ता है, जिसके चलते प्राथमिक उत्पादकों की आमदनी, उत्पादन और गुणवत्ता प्रभावित होती है। एनसीडीईएक्स का कहना है कि इस बाजार विशेषज्ञ के साथ सहयोग से कमोडिटी डेरिवेटिव हेजिंग को लेकर हमारे जागरूकता अभियान को मदद मिलेगी।
स्काईमेट वेदर सर्विसेज के एमडी और संस्थापक जतिन सिंह ने कहा, "मौसम संबंधि जोखिम कृषि क्षेत्र पर असर डालने वाला प्रमुख कारक है। हम देश में वेदर डेरिवेटिव जैसे टूल्स की तुरंत जरूरत महसूस करते हैं जो किसानों, प्रोसेसर्स, निर्यातकों आदि को उनके प्राइस रिस्क को हेज करने के लिए एक प्रभावी जरिया उपलब्ध करा सकता है। हमने इस दिशा में करीब 3 साल पहले एक अहम कदम बढ़ाया था, जब हमने दो मौसम सूचकांक लॉन्च किए थे। पिछले तीन साल में हमें बाजार से ऐसे अहम फीडबैक मिले हैं जिससे कारोबार योग्य वेदर इंडेक्स की जरूरत का पता चलता है। यह समझौता उसी दिशा में ठोस कदम है।"
इससे पहले एनसीडीईएक्स ने 9 जून, 2020 को राष्ट्रीय स्तर के दो वर्षा आधारित सूचकांक-इंडियन मानसून इंडेक्स (क्युमुलेटिव मानसून इंडेक्स) और इंडियन रेट इंडेक्स (मंथली क्युमुलेटिव रेनफॉल इंडेक्स) लॉन्च किए थे, जो स्काईमेट वेदर सर्विसेज के साथ मिलकर देश में वर्षा की व्यवस्थित गति पर नजर रखता है। ये दोनों सूचकांक देश में वर्षा के सिर्फ प्रतिनिधि सूचकांक हैं और ये ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध नहीं हैं।
मानसून अब भी भारत की अर्थव्यवस्था और कृषि क्षेत्र को प्रभावित करने वाला कारक बना हुआ है। एनसीडीईएक्स प्राथमिक रूप से एक कृषि डेरिवेटिव मार्केट है, जिसका कमोडिटीज के कारोबारी व्यवहार पर असर है। इसके चलते एनसीडीईएक्स आईपीएफटी जिन मसलों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की कोशिश करता है, उनमें यह भी एक जरूरी पहलू के रूप में शामिल हो गया है।