डेयरी और पशुपालकों के लिए बेहद काम की हैं ये 6 सरकारी योजनाएं, जानिए इनकी खूबियां
अगर आप भी एक किसान हैं और डेयरी या पशुपालन से जुड़ना चाहते हैं तो सरकार की कुछ योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं. रूरल वॉयस की इस खबर में आज हम आपको 6 ऐसी सरकारी योजनाओं के बारे में बताएंगे, जिनसे न केवल आप पशुपालन और डेयरी व्यवसाय से जुड़ सकते हैं, बल्कि इन योजनाओं के जरिए लोन के साथ-साथ कई सुविधाओं का लाभ भी उठा सकते हैं.
देश के ग्रामीण इलाकों में खेती और पशुपालन की परंपरा बहुत पुरानी है. खासकर पिछले कुछ सालों में पशुपालन की तरफ किसानों का रुझान तेजी से बढ़ा है. खेती के बाद ग्रामीण अर्थव्यवस्था की आय का यह दूसरा प्रमुख हिस्सा है। पशुपालन के जरिए किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. वहीं, पशुपालन के साथ किसानों का रुझान अब डेयरी व्यवसाय की ओर भी बढ़ रहा है. दूध की बढ़ती मांग को देखते हुए पिछले कुछ समय में गाय-भैंस पालन का चलन तेजी से बढ़ा है और इसी मांग के जरिए डेयरी बिजनेस भी खूब फल-फूल रहा है। अगर आप भी एक किसान हैं और डेयरी या पशुपालन से जुड़ना चाहते हैं तो सरकार की कुछ योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं. रूरल वॉयस की इस खबर में आज हम आपको 6 ऐसी सरकारी योजनाओं के बारे में बताएंगे, जिनसे न केवल आप पशुपालन और डेयरी व्यवसाय से जुड़ सकते हैं, बल्कि इन योजनाओं के जरिए लोन के साथ-साथ कई सुविधाओं का लाभ भी उठा सकते हैं. आइए आपको इन योजनाओं के बारे में विस्तार से बताते हैं
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन/National Gokul Mission
राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) का उद्देश्य स्वदेशी पशुपालन और संरक्षण को बढ़ावा देना है. इस योजना की शुरुआत दिसंबर 2014 में हुई थी. इस मिशन के तहत किसानों को सर्वश्रेष्ठ स्वदेशी नस्ल के समूह का प्रबंधन करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है और कामधेनु पुरस्कार प्रदान किया जाता है। इस योजना के तहत देश में पहली बार राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम (एनएआईपी) को लागू किया गया है, ताकि कृत्रिम गर्भाधान कवरेज को वर्तमान में 30% से बढ़ाकर 70% किया जा सके तथा किसानों के घर-द्वार पर निःशुल्क कृत्रिम गर्भाधान सेवाएं प्रदान की जा सके। योजना के तहत अब तक 7.13 करोड़ पशुओं को कवर किया गया है तथा 8.81 करोड़ कृत्रिम गर्भाधान किए गए हैं. कार्यक्रम के तहत अब तक 4.75 करोड़ किसान लाभान्वित हो चुके हैं.
- राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम/National Dairy Development Programme
राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) को फरवरी-2014 से पूरे देश में कार्यान्वित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य राज्य कार्यान्वयन एजेंसी (एसआईए) अर्थात राज्य सहकारी डेयरी संघ के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण दूध के उत्पादन, दूध तथा दूध उत्पादों की खरीद, प्रसंस्करण तथा विपणन के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण/सुदृढ़ीकरण करना है। जुलाई 2021 में एनपीडीडी योजना का पुनर्गठन किया गया था. जिसका उद्देश्य दूध और दूध उत्पादों की गुणवत्ता को बढ़ाना तथा संगठित खरीद, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और विपणन में हिस्सेदारी बढ़ाना है. इस योजना के तहत 17.45 लाख नए किसानों को डेयरी सहकारी समितियों की सदस्यता का लाभ दिया है। परियोजनाओं के तहत 83.56 लाख लीटर अतिरिक्त दूध की खरीद की गई. इसके अलावा, संग्रहण स्थल पर ही दूध की गुणवत्ता की जांच सुनिश्चित करने के लिए 6022 इलेक्ट्रॉनिक दूध मिलावट जांच मशीनें, 33854 दूध विश्लेषक के साथ स्वचालित दूध संग्रह इकाई और 4017 दूध विश्लेषक स्थापित किए गए हैं। दूध और दूध उत्पादों में मिलावट का पता लगाने के लिए लगभग 233 डेयरी संयंत्र प्रयोगशालाओं को भी सुसज्जित किया गया है और दूध और दूध उत्पादों के अवशेषों, संदूषकों, भारी धातुओं, मिलावट, रासायनिक और सूक्ष्मजैविक गुणवत्ता का पता लगाने के लिए लगभग 10 राज्य केंद्रीय प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं।
- पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम/Livestock Health and Disease Control Programme (LHDCP)
पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जो पशुधन के स्वास्थ्य और रोगों के नियंत्रण को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई थी। इस कार्यक्रम के तहत विभिन्न पशुधन रोगों के खिलाफ टीकाकरण और उनका नियंत्रण किया जाता है. यह कार्यक्रम एनएडीसीपी के तहत चलाया जा रहा है और इसका मुख्य उद्देश्य एफएमडी और ब्रूसेलोसिस के लिए राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के माध्यम से टीकाकरण के द्वारा 2025 तक एफएमडी का नियंत्रण और 2030 तक इसका उन्मूलन करना है. इसके परिणामस्वरूप घरेलू उत्पादन में वृद्धि होगी और अंततः दूध और पशुधन उत्पादों के निर्यात में वृद्धि होगी.
इस योजना का उद्देश्य पशुओं की बीमारियों के खिलाफ रोगनिरोधी टीकाकरण, पशु चिकित्सा सेवाओं का क्षमता निर्माण, रोग निगरानी और पशु चिकित्सा बुनियादी ढांचे को मजबूत करके पशु स्वास्थ्य के लिए जोखिम को कम करना है। प्रमुख गतिविधियां खुरपका और मुंहपका रोग (एफएमडी), ब्रुसेलोसिस (पूर्ववर्ती राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी जो अब एलएचडीसीपी का घटक है), पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स (पीपीआर) और क्लासिकल स्वाइन फीवर (सीएसएफ) के खिलाफ टीकाकरण, राज्य द्वारा प्राथमिकता प्राप्त आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण विदेशी, आकस्मिक और जूनोटिक पशु रोगों के नियंत्रण के लिए राज्यों को सहायता (एएससीएडी) और पशु चिकित्सा अस्पतालों और औषधालयों-मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (ईएसवीएचडी-एमवीयू) की स्थापना और सुदृढ़ीकरण हैं। इसके अलावा, सरकार ने दूरदराज के क्षेत्रों में किसानों के दरवाजे पर पशु चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए एमवीयू की खरीद और अनुकूलन के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 100% वित्तीय सहायता प्रदान की है।
- राष्ट्रीय पशुधन मिशन/National Livestock Mission
पशुधन क्षेत्र के सतत और निरंतर विकास के लिए विभाग ने राष्ट्रीय पशुधन मिशन के साथ शुरुआत की है, जिसमें रोजगार सृजन, उद्यमिता विकास, प्रति पशु उत्पादकता में वृद्धि और इस प्रकार छत्र योजना विकास कार्यक्रमों के तहत मांस, बकरी के दूध, अंडे और ऊन के उत्पादन में वृद्धि को लक्षित किया गया है। अतिरिक्त उत्पादन घरेलू मांगों को पूरा करने के बाद निर्यात आय में मदद करेगा। एनएलएम योजना की अवधारणा असंगठित क्षेत्र में उपलब्ध उपज के लिए आगे और पीछे की कड़ी बनाने और संगठित क्षेत्र से जोड़ने के लिए उद्यमी विकसित करना है।
योजना को निम्नलिखित तीन उप-मिशन के साथ लागू किया गया है:
क) पशुधन और मुर्गी पालन के नस्ल विकास पर उप-मिशन
ख) चारा और चारा विकास पर उप-मिशन
ग) विस्तार और नवाचार पर उप-मिशन
- पशुपालन अवसंरचना विकास निधि/Animal Husbandry Infrastructure Development Fund
आत्मनिर्भर भारत अभियान प्रोत्साहन पैकेज के तहत, 15000 करोड़ रुपये के कोष के साथ पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ) की स्थापना की गई थी। इस योजना को व्यक्तिगत उद्यमियों, निजी कंपनियों, एमएसएमई, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और धारा 8 कंपनियों द्वारा (i) डेयरी प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन अवसंरचना, (ii) मांस प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन अवसंरचना और (iii) पशु आहार संयंत्र (iv) नस्ल सुधार प्रौद्योगिकी और नस्ल गुणन फार्म स्थापित करने के लिए निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए अनुमोदित किया गया है।
इस योजना का उद्देश्य दूध और मांस प्रसंस्करण क्षमता और उत्पाद विविधीकरण को बढ़ाना है, जिससे असंगठित ग्रामीण दूध और मांस उत्पादकों को संगठित बाजार तक अधिक पहुंच, उत्पादक के लिए मूल्य प्राप्ति, घरेलू उपभोक्ता के लिए गुणवत्ता वाले उत्पादों की उपलब्धता, उद्यमियों को पैदा करना, निर्यात को बढ़ावा देना, गुणवत्तापूर्ण और सस्ता पशु आहार और भारतीय उपभोक्ता को गुणवत्तापूर्ण प्रोटीन युक्त भोजन की उपलब्धता हो सके।
- किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी)/Kisan credit card
2019 के बाद पहली बार पशुधन और डेयरी किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) सुविधा उपलब्ध कराई गई, जिससे उन्हें संस्थागत ऋण सुविधा की आसान पहुंच मिल सके। विश्व दुग्ध दिवस के अवसर पर यह स्पष्ट है कि भारत का डेयरी क्षेत्र न केवल इसकी कृषि अर्थव्यवस्था की आधारशिला है, बल्कि विकास, नवाचार और सशक्तीकरण का भी प्रतीक है। दूध उत्पादन में भारत की उपलब्धियां, सहकारी समितियों में महिलाओं की भागीदारी और डेयरी फार्मिंग में तकनीकी प्रगति ने दुनिया के लिए एक मानक स्थापित किया है, जो दर्शाता है कि कैसे कोई देश अपनी अर्थव्यवस्था और अपने लोगों, दोनों का समर्थन करने के लिए पशुधन संसाधनों का स्थायी रूप से उपयोग कर सकता है।