यूरिया की वैश्विक कीमत गिरकर 400 डॉलर और डीएपी की 640 डॉलर प्रति टन तक पहुंची
उर्वरकों की कीमतों को लेकर वैश्विक बाजार से लगातार सरकार के लिए राहत भरी खबरें आ रही हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में यूरिया की कीमत घटकर 400 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई हैं। जबकि करीब साल भर पहले यूरिया की कीमत 950 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई थी। वहीं दूसरे सबसे अधिक बिक्री वाले उर्वरक डाई अमोमियम फ़ॉस्फेट (डीएपी) की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत घटकर 640 डॉलर प्रति टन के आसपास आ गई हैं जबकि यह साल भर पहले डीएपी की कीमत 1000 डॉलर प्रति टन से अधिक चल रही थी। उर्वरकों की कीमतों में आई इस गिरावट का सरकार को सब्सिडी की भारी बचत के रूप में फायदा मिलेगा
उर्वरकों की कीमतों को लेकर वैश्विक बाजार से लगातार सरकार के लिए राहत भरी खबरें आ रही हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में यूरिया की कीमत घटकर 400 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई हैं। जबकि करीब साल भर पहले यूरिया की कीमत 950 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई थी। वहीं दूसरे सबसे अधिक बिक्री वाले उर्वरक डाई अमोनियम फ़ॉस्फेट (डीएपी) की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत घटकर 640 डॉलर प्रति टन के आसपास आ गई हैं जबकि साल भर पहले इसकी कीमत 1000 डॉलर प्रति टन से अधिक चल रही थी। उर्वरकों की कीमतों में आई इस गिरावट का सरकार को सब्सिडी में भारी बचत के रूप में फायदा मिलेगा।
उर्वरक उद्योग सूत्रों ने रूरल वॉयस को बताया कि यूरिया की कीमत में और अधिक गिरावट आ सकती है। अगले कुछ दिनों में सरकार द्वारा यूरिया आयात का टेंडर जारी किया जा सकता है। सरकार चाहती है कि कीमतें 400 डॉलर प्रति टन से नीचे आ जाए। देश में सालाना करीब 90 लाख टन यूरिया का आयात किया जाता है। सरकार के लिए यूरिया आयात करने के लिए तीन कंपनियां अधिकृत हैं। कीमतों में गिरावट की मुख्य वजह आपूर्ति में सुधार होना है। करीब डेढ़ साल पहले डीएपी की कीमतों में भारी उछाल आना शुरू हुआ था। पिछले साल फरवरी में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद इसमें भारी इजाफा हुआ। इसके साथ ही डीएपी और यूरिया के एक बड़े निर्यातक चीन ने निर्यात पर रोक लगा दी थी। भारत बड़ी मात्रा में चीन से डीएपी आयात करता रहा है। कुछ माह पहले चीन ने डीएपी का निर्यात शुरू कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक चीन से पिछले दिनों डीएपी का देश में आयात किया गया। वहीं कुछ सौदे जॉर्डन के साथ हुए हैं। देश में सालाना करीब 55 लाख टन डीएपी का आयात होता है। उद्योग सूत्रों के मुताबिक चालू साल में डीएपी का आयात 60 लाख टन को पार कर जाने की संभावना है।
उर्वरक उद्योग के आंकड़ों के मुताबिक चालू साल (2022-23) में अप्रैल 2022 से जनवरी 2023 तक यूरिया, डीएपी, एनपीके और एसएसपी उर्वरकों के उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है। उद्योग के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जनवरी के बीच 237.14 लाख टन यूरिया का उत्पादन हुआ जो पिछले साल इसी अवधि के मुकाबले 12.8 फीसदी अधिक है। इस दौरान डीएपी का उत्पादन 35.71 लाख टन हुआ जो इससे पहले साल के मुकाबले चार फीसदी अधिक है। इस दौरान एनपीके उर्वरकों का उत्पादन 8.6 फीसदी बढ़कर 79.89 लाख टन रहा। जबकि एसएसपी का उत्पादन पहले साल के मुकाबले 6.4 फीसदी बढ़कर 47.58 लाख टन रहा।
अप्रैल 2002 से जनवरी 2023 की अवधि में डीएपी के आयात में भारी इजाफा हुआ है। इस अवधि के दौरान डीएपी का आयात 58.80 लाख टन रहा है जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 38.2 फीसदी अधिक है। यूरिया के आयात में केवल 1.4 फीसदी की बढ़ोतरी इस अवधि में दर्ज की गई और इस दौरान 73.10 लाख टन यूरिया का आयात किया गया जो इसके पहले साल समान अवधि में 72.08 लाख टन रहा था। म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) के आयात मे चालू साल में अप्रैल से जनवरी के दौरान 16.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। पिछले साल के 20.81 लाख टन एमओपी के आयात के मुकाबले चालू साल में जनवरी तक की समान अवधि में 17.36 लाख टन एमओपी का आयात किया गया। वहीं एनपीके उर्वरकों का आयात 99.4 फीसदी बढ़कर 22.49 लाख टन पर पहुंच गया।
उद्योग के आंकड़ों के मुताबिक चालू साल में अप्रैल 2022 से जनवरी 2023 के दौरान यूरिया की घरेलू बिक्री 6.9 फीसदी बढ़कर 319.02 लाख टन रही। जबकि इसी अवधि में डीएपी की बिक्री 15.7 फीसदी बढ़कर 97.41 लाख टन पर पहुंच गई। वहीं एमओपी की बिक्री 37.2 फीसदी की गिरावट के साथ 14.02 लाख टन रही और एनपीके उर्वरकों की बिक्री 89.33 लाख टन रही जो इसके पहले साल की समान अवधि के मुकाबले 13.7 फीसदी कम रही है। एसएसपी की बिक्री 9.8 फीसदी गिरकर 45.96 लाख टन रही जबकि 2021-22 में समान अवधि में एसएसपी की बिक्री 50.96 लाख टन रही थी। कॉम्पलेक्स उर्वरकों की कीमत के डीएपी से अधिक रहने के चलते किसानों ने डीएपी की अधिक खरीद की है। कॉम्प्लेक्स उर्वरकों का उपयोग घटा है जो उर्वरकों के उपयोग में असंतुलन बढ़ाने वाला साबित होगा।
साल 2021-22 में देश में यूरिया की कुल बिक्री 341.80 लाख टन रही थी जबकि उत्पादन 250.75 लाख टन रहा था। बाकी की कमी 91.36 लाख के आयात से पूरी की गई थी। वहीं डीएपी की कुल खपत 92.72 लाख टन रही थी। इसमें 42.21 लाख टन का घरेलू उत्पादन और 54.62 लाख टन का आयात शामिल था। इस दौरान एमओपी की बिक्री 24.56 लाख टन रही थी, वहीं इस दौरान 24.60 लाख टन एमओपी का आयात किया गया था। पिछले साल के दौरान एनपीके-कॉम्प्लेक्स उर्वरकों की बिक्री 114.78 लाख टन रही थी। इस दौरान 83.06 लाख टन का घरेलू उत्पादन हुआ और 11.70 लाख टन का आयात किया गया था। वित्त वर्ष 2021-22 में एसएसपी की बिक्री 56.81 लाख टन रही थी जिसे पूरी तरह घरेलू उत्पादन से पूरा किया गया। इस दौरान देश में 53.51 लाख टन एसएसपी का उत्पादन हुआ।
असल में पिछले दो साल उर्वरकों की कीमतों को लेकर काफी उथल पुथल वाले रहे हैं जिसके चलते सरकार को सब्सिडी में भारी इजाफा करना पड़ा था। मगर पिछले कुछ महीनों में उर्वरकों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई है। सरकार ने कई उर्वरक निर्यातक देशों के साथ दीर्घकालिक आयात सौदे करने के लिए भारतीय कंपनियों की मदद की। यही वजह है कि पिछले खरीफ सीजन और चालू रबी सीजन में डीएपी की उपलब्धता बेहतर रही। हालांकि सरकार को कई बार डीएपी सब्सिडी में इजाफा करना पड़ा। चालू रबी सीजन में उर्वरक कंपनियों ने डीएपी के 50 किलो के बैग की कीमत में 150 रुपये की बढ़ोतरी कर इसे 1350 रुपये प्रति बैग कर दिया। इसके बावजूद डीएपी का दाम कॉम्पलेक्स उर्वरकों से कम है और इसी के चलते इसकी बिक्री में भारी इजाफा हुआ है।
चालू साल के बजट के संशोधित अनुमानों में सरकार ने उर्वरक सब्सिडी के रूप में 2.25 लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान लगाया है। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए उर्वरक सब्सिडी के रूप में 1,75,100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।