ट्रेडर्स को देनी होगी चावल के स्टॉक की जानकारी, निर्यात पाबंदियां हटने के आसार नहीं
खाद्य वस्तुओं की महंगाई रोकने के लिए केंद्र सरकार ने एक और कदम उठाया है। अब सभी ट्रेडर्स, थोक व्यापारियों, रिटेलर्स, रिटेल चेन और राइस मिलर्स को अपने चावल या धान के स्टॉक की जानकारी सरकार को देनी होगी। व्यापारियों से हर शुक्रवार को खाद्य मंत्रालय के पोर्टल पर चावल के स्टॉक की स्थिति अपडेट करने को कहा गया है। सरकार के इस कदम को चावल पर स्टॉक लिमिट लगाने की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है।
खाद्य वस्तुओं की महंगाई रोकने के लिए केंद्र सरकार ने एक और कदम उठाया है। अब सभी ट्रेडर्स, थोक व्यापारियों, रिटेलर्स, रिटेल चेन और राइस मिलर्स को अपने चावल या धान के स्टॉक की जानकारी सरकार को देनी होगी। व्यापारियों से हर शुक्रवार को खाद्य मंत्रालय के पोर्टल पर चावल के स्टॉक की स्थिति अपडेट करने को कहा गया है। सरकार के इस कदम को चावल पर स्टॉक लिमिट लगाने की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है।
आम जनता को खाद्य महंगाई से राहत दिलाने के लिए सरकार अगले सप्ताह से खुदरा बाजार में 29 रुपये प्रति किलोग्राम के रेट पर 'भारत चावल' की बिक्री शुरू करने जा रही है। इसके लिए पहले चरण में सरकारी एजेंसियों नेफेड, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार को 5 लाख टन चावल आवंटित किया गया है। पांच और 10 किलो के पैक में बिकने वाला भारत चावल सहकारी संस्थाओं द्वारा मोबाइल वैन और स्टोर के जरिए बेचा जाएगा। जल्द ही भारत चावल रिटेल चेन और ई-कॉमर्स प्लेटफार्म के जरिए भी उपलब्ध होगा।
चावल की कीमतों पर नियंत्रण के लिए सरकार की ओर से कई कदम उठाए गये हैं। बाजार में चावल की आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार एफसीआई के जरिए 29 रुपये प्रति किलोग्राम के आरक्षित मूल्य पर थोक व्यापारियों को चावल दे रही है। योजना के तहत 31 जनवरी तक खुले बाजार में 1.66 लाख टन चावल की बिक्री हो चुकी है, जो अब तक की सर्वाधिक है। केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा का कहना है कि चावल निर्यात पर पाबंदियां हटाने की फिलहाल कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि कीमतें कम होने तक प्रतिबंध जारी रहेंगे।
खरीफ सीजन में अच्छी फसल और पर्याप्त स्टॉक के बावजूद चावल की कीमतें बढ़ती जा रही हैं। सरकार ने चावल के निर्यात पर कई तरह की पाबंदिया भी लगाई हैं, इसके बावजूद साल भर में चावल की खुदरा कीमतें 14.51 फीसदी से अधिक बढ़ गई हैं। तमाम प्रयासों के बावजूद चावल के दाम बढ़ना सरकार के लिए परेशानी का सबब है।