वैश्विक बाजार में चीनी की कीमतों में गिरावट के कारण चीनी मिलों ने निर्यात से किनारा किया
वैश्विक बाजार में चीनी की कीमतों में लगभग 10 फीसदी की गिरावट के बाद भारतीय चीनी कंपनियों ने कुछ समय के लिए निर्यात बाजार से किनारा कर लिया है। जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतें 20-21 सेंट प्रति पाउंड के दायरे में थी तब कंपनियों ने अधिकांश निर्यात अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए थे अब कीमतें गिरकर 18.6 सेंट प्रति पाउंड हो गयी है, तो भारतीय चीनी मिलें आगे के निर्यात अनुबंधों पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार नहीं हैं
वैश्विक बाजार में चीनी की कीमतों में लगभग 10 फीसदी की गिरावट के बाद भारतीय चीनी कंपनियों ने कुछ समय के लिए निर्यात बाजार से किनारा कर लिया है। जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतें 20-21 सेंट प्रति पाउंड के दायरे में थी तब कंपनियों ने अधिकांश निर्यात अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए थे अब कीमतें गिरकर 18.6 सेंट प्रति पाउंड हो गयी है, तो भारतीय चीनी मिलें आगे के निर्यात अनुबंधों पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार नहीं हैं।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने बड़े ट्रेडिंग हाउसेस की बाजार रिपोर्टों और सूचनाओं का हवाला देते हुए गुरुवार को कहा कि चालू गन्ना पेराई सीजन (अक्टूबर-सितंबर) 2021-22 में अब तक 35 लाख टन चीनी के निर्यात अनुबंध किये गये है। इस साल लगभग 34 लाख टन चीनी समकक्ष एथनॉल उत्पादन में बदलने का अनुमान है, जिसके कारण मिलों पर आगे के निर्यात के अनुबंध करने का दबाव कम है। इसलिए चीनी मिलों को ग्लोबल स्तर पर चीनी कीमतों में बढ़ोतरी का इंतजार रहेगा।
इस्मा ने एक बयान में कहा है कि देश पिछले कुछ महीनों में 20-21 सेंट प्रति पाउंड की वैश्विक कीमतों को ध्यान में रखते हुए अधिकांश निर्यात अनुबंधों पर महाराष्ट्र और कर्नाटक मिलों द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे। उत्तरी भारत में मिल की चीनी का कीमतें थोड़ी अधिक हैं, इसलिए उत्तर भारत में ज्यादा निर्यात अनुबंध नहीं हुए हैं।
इस बीच, 30 नवंबर, 2021 तक 416 चीनी मिलों ने चालू सीजन में 47 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है जबकि पिछले साल इसी अवधि में 409 मिलों द्वारा 43 लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया था।
उत्तर प्रदेश में 101 चीनी मिलों ने 10 लाख टन से अधिक चीनी का उत्पादन किया है, जबकि महाराष्ट्र में 172 मिलों ने पेराई कार्य शुरू कर दिया है और 20 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। महाराष्ट्र में अधिक उत्पादन पहले पेराई कार्य शुरू होने और इस सीजन में गन्ने की अधिक उपलब्धता के कारण हुआ है। इसके अलावा कर्नाटक, गुजरात आदि राज्यों सहित अन्य राज्यों में पेराई जोरों पर है।
चालू सीजन (अक्टूबर) के पहले महीने में कुल बिक्री लगभग 24.5 लाख टन थी, जबकि घरेलू बिक्री कोटा 24 लाख टन था। इससे पहले, सरकार ने 2.5 लाख टन के अतिरिक्त कोटा की बिक्री के लिए समय अवधि बढ़ा दी थी, जिसे सितंबर, 2021 के लिए 31 अक्टूबर, 2021 तक आवंटित किया गया था। इस साल अधिक बिक्री कोविड प्रतिबंधों में ढील, उच्च बिक्री कोटा और त्यौहारों के दौरान भारी मांग चलते मजबूत हुई है ।
इस बीच, तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने एथनॉल आपूर्ति वर्ष (इएसवाई) 2021-22 (दिसंबर-नवंबर) के लिए 459 करोड़ लीटर के लिए एथनॉल निर्माताओं से बोलियां के लिए आमंत्रित की हैं, ताकि पेट्रोल के साथ देश के निर्धारित लक्ष्य 10 फीसदी एथनॉल सम्मिश्रण को पूरा किया जा सके। 12 नवंबर, 2021 को बोलियां खोली गईं, जिसमें निर्माताओं द्वारा एथनॉल आपूर्ति के लिए लगभग 414 करोड़ लीटर बोली की पेशकश की गई।
ओएमसी ने 414 करोड़ की पेशकश के मुकाबले 317 करोड़ लीटर एथनॉल आपूर्ति के लिए एथनॉल निर्माताओं के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के लिए आशय पत्र को अंतिम रूप दिया और जारी किया है। हालांकि, ओएमसी ने अन्य 142 करोड़ लीटर एथनॉल के लिए दूसरा ईओआई जारी किया है।