संयुक्त किसान मोर्चा ने एमएसपी और खरीद प्रणाली पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग उठाई

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने आरोप लगाया कि वर्तमान एमएसपी के आधार पर पूरे देश में करीब 90% फसलों की खरीद नहीं की गई

संयुक्त किसान मोर्चा ने एमएसपी और खरीद प्रणाली पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग उठाई

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने केंद्र सरकार से फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और खरीद प्रणाली पर एक श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है। एसकेएम ने आरोप लगाया कि वर्तमान एमएसपी के आधार पर पूरे देश में करीब 90% फसलों की खरीद नहीं की गई।

एसकेएम ने एक बयान जारी कर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से लोगों को गुमराह न करने और श्वेत पत्र के माध्यम से A2+FL+50% और C2+50% एमएसपी के बीच अंतर को उजागर करने की मांग की। एसकेएम ने कहा कि धान की वर्तमान एमएसपी ₹2,300 प्रति क्विंटल सी2+50% के आधार पर दर से 30% कम है, जो ₹3,012 प्रति क्विंटल होनी चाहिए। इस तरह धान के किसानों को प्रति क्विंटल 712 रुपये का नुकसान हो रहा है।

एमएसपी की गणना के A2+FL फॉर्मूले में खेती पर किसान की लागत और परिवार के श्रम का मूल्य शामिल होता है। जबकि C2 फॉर्मूला अधिक व्यापक है, जिसमें A2+FL लागत के साथ-साथ स्वामित्व वाली भूमि का अनुमानित किराया मूल्य (या पट्टे पर ली गई भूमि का किराया) और निश्चित पूंजी पर ब्याज शामिल है।

एसकेएम ने कहा कि भारत में धान की औसत उत्पादकता 2,390 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर मानी जाती है, इसलिए एक हेक्टेयर भूमि वाले किसान को एक फसल पर 17,016 रुपये का नुकसान हो रहा है जिससे आय में कमी और कर्ज का बोझ बढ़ रहा है। लेकिन एनडीए3 सरकार डॉ. एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय किसान आयोग की C2+50% की दर से एमएसपी की सिफारिश को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। एसकेएम ने 14 फसलों के लिए A2+FL+50% और C2+50% के आधार पर एमएसपी में अंतर को दर्शाया है, जिसके कारण पूरे देश में किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

एसकेएम ने 4 जनवरी को राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ वर्चुअल बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री के दावे कि “जो भी गेहूं और चावल आता है, उसे एमएसपी पर खरीदने की व्यवस्था की जाती है,” को तथ्यात्मक रूप से गलत करार दिया। एसकेएम ने कहा, "वास्तव में, फिलहाल 10% से भी कम फसलों की खरीद की जाती है, और किसानों को अपनी शेष 90% उपज को सरकार द्वारा घोषित एमएसपी से कम रेट पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।"

एसकेएम ने कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी की अध्यक्षता वाली कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण (2024-25) पर संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट में की गई सिफारिश को खारिज करते हुए कहा कि इसमें C2+50% की सिफारिश नहीं की गई है। इस प्रकार, संसदीय समिति ने किसानों को धोखा दिया है। गौरतलब है कि इस संसदीय समिति ने कानूनी रूप से बाध्यकारी एमएसपी को लागू करने की सिफारिश की थी।  

संसदीय समिति ने किसानों के बढ़ते कर्ज और कृषि संकट से जुड़ी आत्महत्याओं के मद्देनजर किसानों और खेत मजदूरों के कर्ज माफ करने की योजना शुरू करने और खेत मजदूरों के लिए न्यूनतम जीवनयापन मजदूरी के लिए एक राष्ट्रीय आयोग बनाने की सिफारिश भी की थी, जिसका एसकेएम ने स्वागत किया है।

Subscribe here to get interesting stuff and updates!