सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की खराब हवा पर जताई नाराजगी, गुणवत्ता सुधारने के कदमों पर हलफनामा दाखिल करने का 5 राज्यों को निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सरकारों को हलफनामा दायर कर यह बताने का निर्देश दिया है कि वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उन्होंने क्या-क्या उपाय किए हैं। सर्वोच्च अदालत ने इस बात पर अफसोस जताया कि कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) द्वारा कई कदम उठाए जाने के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण बना हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सरकारों को हलफनामा दायर कर यह बताने का निर्देश दिया है कि वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उन्होंने क्या-क्या उपाय किए हैं। सर्वोच्च अदालत ने इस बात पर अफसोस जताया कि कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीएक्यूएम) द्वारा कई कदम उठाए जाने के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण बना हुआ है।
दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) लगातार चौथे दिन मंगलवार को "बहुत खराब" श्रेणी में रहा और कई इलाकों में "गंभीर" श्रेणी में दर्ज किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की हवा खराब करने में धान की पराली जलाने को एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में माना है। इसके अलावा, यह पाया है कि पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी की खबरें आ रही हैं।
एसएएफएआर के आंकड़ों के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में 24 घंटे का औसत एक्यूआई 327 दर्ज किया गया। मंगलवार सुबह दिल्ली स्थित इंडिया गेट प्रदूषण की वजह से पूरी तरह ढक गया। दिल्ली के पूसा रोड और लोधी रोड क्षेत्रों में एक्यूआई स्तर क्रमशः 300 और 306 दर्ज किया गया और दोनों 'बहुत खराब' श्रेणी में आते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ दशक पहले तक यह (अक्टूबर-नवंबर) दिल्ली का सबसे अच्छा समय हुआ करता था, मगर अब शहर की हवा खराब हो गई है और घर से बाहर कदम रखना मुश्किल हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसके कौल की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने पांचों राज्यों को एक हफ्ते के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। पीठ ने कहा, "संबंधित राज्यों को एक हलफनामा दायर करना चाहिए जिसमें बताया जाए कि उन्होंने स्थिति को सुधारने के लिए क्या कदम उठाए हैं। हम दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं।" पीठ के अन्य जजों में न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति पीके मिश्रा शामिल हैं। पीठ मामले की अगली सुनवाई 7 नवंबर तय की है।
शीर्ष अदालत ने सीएक्यूएम को भी निर्देश दिया है कि वह समस्या शुरू होने की अवधि, वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) जैसे मापदंडों और पराली जलाने की घटनाओं की संख्या सहित वर्तमान जमीनी स्थिति की रिपोर्ट सारणीबद्ध रूप में कोर्ट में पेश करे। पीठ ने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण का एक मुख्य कारण पराली जलाना है। शीर्ष अदालत ने इससे पहले दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर सीएक्यूएम से रिपोर्ट मांगी थी।
दिल्ली में हवा की गुणवत्ता खराब होने को देखते हुए सीएक्यूएम ने 6 अक्टूबर को सरकारी अधिकारियों को होटल और रेस्तरां में कोयले के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने और प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों और थर्मल पावर प्लांटों के खिलाफ दंडात्मक कदम उठाने का निर्देश दिया था। ये निर्देश प्रदूषण नियंत्रण योजना के तहत जारी किए गए थे जिसे 'ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान' (जीआरएपी) के नाम से जाना जाता है।
सीएक्यूएम एक स्वायत्त संस्था है जिसका काम दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में हवा की गुणवत्ता में सुधार लाना है।