आरबीआई ने 10 महीने में छठी बार बढ़ाई ब्याज दर, रेपो रेट बढ़कर हुई 6.5 फीसदी
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक बार फिर से नीतिगत ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की वृद्धि कर दी है। इसके साथ ही रेपो रेट बढ़कर 6.5 फीसदी हो गई है। इससे होम, ऑटो, पर्सनल लोन सहित सभी तरह के कर्ज महंगे हो जाएंगे। वित्त वर्ष 2022-23 में ब्याज दरों में यह छठी बढ़ोतरी है। दो साल तक ब्याज दरों को स्थिर रखने के बाद अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई के भड़कर 7.79 फीसदी पहुंचने पर रिजर्व बैंक ने मई 2022 से रेपो रेट में बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू किया था। तब से अब तक रेपो रेट में 2.5 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है
महंगाई पर काबू पाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक बार फिर से ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की वृद्धि कर दी है। इसके साथ ही रेपो रेट बढ़कर 6.5 फीसदी हो गई है। इससे होम, ऑटो, पर्सनल लोन सहित सभी तरह के कर्ज महंगे हो जाएंगे। वित्त वर्ष 2022-23 में ब्याज दरों में यह छठी बढ़ोतरी है। दो साल तक ब्याज दरों को स्थिर रखने के बाद अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई के भड़कर 7.79 फीसदी पहुंचने पर रिजर्व बैंक ने मई 2022 से रेपो रेट में बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू किया था। तब से अब तक रेपो रेट में 2.5 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। इसका असर महंगाई पर देखने को मिला है। दिसंबर 2022 में खुदरा महंगाई घटकर एक साल के निचले स्तर 5.72 फीसदी पर पहुंच गई है। थोक महंगाई भी घटकर 5 फीसदी से नीचे आ गई है। दिसंबर 2022 में यह 4.95 फीसदी रही। जनवरी 2023 के आंकड़े अभी आए नहीं हैं।
रेपो रेट में वृद्धि से मौजूदा ग्राहकों के लिए लोन की ईएमआई बढ़ जाती है। नए ग्राहकों को भी पहले की तुलना में ज्यादा ब्याज दर पर लोन मिलता है। दूसरी तरफ रेपो रेट में बढ़ोतरी से बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट समेत अन्य जमाओं पर अधिक ब्याज दे सकते हैं। रिजर्व बैंक की मॉनेटिरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) की तीन दिन तक चली बैठक में ब्याज दरों में बढ़ोतरी का फैसला किया गया। एमपीसी के 6 में से 4 सदस्यों ने रेपो रेट बढ़ाने के पक्ष में वोट किया। इसके अलावा मार्जिनल स्टैडिंग फैसिलिटी (MSF) दर और बैंक दर को 6.5 फीसदी से बढ़ाकर 6.75 फीसदी और स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) दर को 6 फीसदी से बढ़ाकर 6.25 फीसदी किया गया है। एमपीसी की बैठक के बाद रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल से दुनियाभर में चुनौतियां बढ़ीं हैं लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती का रुख बरकरार है। रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 का जीडीपी ग्रोथ अनुमान 6.8 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया है। जबकि 2023-24 की पहली तिमाही अप्रैल-जून में 7.8 फीसदी की ग्रोथ रह सकती है। दूसरी तिमाही में 6.2 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.8 फीसदी की ग्रोथ रह सकती है। 2023-24 में रीयल जीडीपी ग्रोथ 6.4 फीसदी रहने का अनुमान रिजर्व बैंक ने लगाया है।
महंगाई की बात करें तो रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 में इसके 6.5 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया है। जबकि 2023-24 में महंगाई 4 फीसदी से ऊपर बनी रहेगी। मौद्रिक नीति की समीक्षा की घोषणा करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि देश के बैंकिंग सिस्टम में पर्याप्त लिक्विडिटी मौजूद है। आर्थिक जरूरतों के लिए उचित कदम उठाते रहेंगे। चालू खाते के बढ़ते घाटे पर उन्होंने कहा कि 2022-23 की अप्रैल-सितंबर अवधि में यह जीडीपी का 3.3 फीसदी था। अक्टूबर-मार्च अवधि में इसमें कमी आने की पूरी संभावना है।
रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति की समीक्षा में कहा है कि कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों में मजबूत संभावनाओं से ग्रामीण मांग को बढ़ावा मिलने की संभावना है। साथ ही सोच-समझकर किए जाने वाले खर्च से शहरी खपत को समर्थन मिलने की उम्मीद है। इसमें कहा गया है कि मजबूत कर्ज वृद्धि, लचीला वित्तीय बाजार और पूंजीगत व्यय एवं बुनियादी ढांचे पर सरकार के निरंतर जोर ने निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाया है। वहीं निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव के साथ वैश्विक गतिविधि में मंदी से बाहरी मांग में कमी आने की संभावना है।