रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 35 आधार अंक बढ़ाकर 6.25 फीसदी किया, जीडीपी वृद्धि दर 6.8 फीसदी रहने का अनुमान
भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई पर काबू पाने के अपने रूख को कायम रखते हुए रेपो रेट में 35 आधार अंकों की बढ़ोतरी कर दी है। इसके चलते रेपो रेट 6.25 फीसदी हो गई है। नई ब्याज दरें तुरंत प्रभाव से लागू हो गई हैं। रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) की बैठक बाद रेपो रेट में बढ़ोतरी की घोषणा की गई। रिजर्व बैंक के इस फैसले के बाद बैंकों द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी किया जाना लगभग तय है जिसके चलते होम लोन, ऑटो लोन और दूसरे कर्ज की दरें बढ़ जाएंगी। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष (2022-23) में खुदरा महंगाई दर (सीपीआई) के 6.7 फीसदी पर रहने और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के 6.8 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया है
भारतीय रिजर्व बैंक ने महंगाई पर काबू पाने के अपने रूख को कायम रखते हुए रेपो रेट में 35 आधार अंकों की बढ़ोतरी कर दी है। इसके चलते रेपो रेट 6.25 फीसदी हो गई है। नई ब्याज दरें तुरंत प्रभाव से लागू हो गई हैं। रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) की बैठक बाद रेपो रेट में बढ़ोतरी की घोषणा की गई। रिजर्व बैंक के इस फैसले के बाद बैंकों द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी किया जाना लगभग तय है जिसके चलते होम लोन, ऑटो लोन और दूसरे कर्ज की दरें बढ़ जाएंगी। मई से अभी तक रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दरों में 2.25 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुका है। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष (2022-23) में खुदरा महंगाई दर (सीपीआई) के 6.7 फीसदी पर रहने और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के 6.8 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया है।
रिजर्व बैंक द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि खुदरा महंगाई की दर को लक्षित चार फीसदी के दो फीसदी कम या ज्यादा के दायरे में रखने के लिए यह फैसला लिया गया है और इसके साथ ही आर्थिक विकास की वृद्धि को भी ध्यान में रखा गया है।
रिजर्व बैंक ने कहा है कि सख्त मोद्रिक नीति और उपभोक्ताओं को कमजोर भरोसेस के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर के कमजोर रहने की स्थितियां बनी हुई हैं। खाद्य और ऊर्जा उत्पादों की आपूर्ति में कमी और उनकी बढ़ती कीमतों के चलते अधिकांश देशों में महंगाई दर के अधिक रहने की संभावनाएं बनी हुई है। वैश्विक अर्थव्यवस्था की इन परिस्थितियों का असर हमारी विकास दर की संभावनाओं पर भी पड़ सकता है। जहां तक घरेलू अर्थव्यवस्था की बात है तो तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्दि दर 6.3 फीसदी रही है। आर्थिक गतिविधियां बेहतर बनी हुई है और सामान्य मानसून के चलते रबी सीजन की बुआई गति पकड़ रही है। पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स के मुताबिक सर्विस सेक्टर और इंडस्ट्री में विस्तार हो रहा है। साथ ही सितंबर की 7.4 फीसदी की खुदरा महंगाई दर के मुकाबले में अक्तूबर में खुदरा महंगाई दर घटकर 6.8 फीसदी रही।
रिजर्व बैंक ने कहा है कि घरेलू और वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए 2022-23 में खुदरा महंगाई दर 6.7 फीसदी पर रहने का अनुमान है। इसके 2023-24 की पहली तिमाही में घटकर पांच फीसदी और दूसरी तिमाही में 5.4 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया गया है। रिजर्व बैंक ने बेहतर कृषि उत्पादन संभावनाओं और रबी के बेहतर उत्पादन के मद्देनजर व बेहतर शहरी मांग के चलते चालू वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर 6.8 फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया गया है। वहीं साल 2023-24 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.1 फासदी पर रहने का अनुमान लगाया गया है।
रिजर्व बैंक के गर्वनर शक्तिकांत दास, मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के सदस्य डॉ. शशांक भिड़े, डॉ. असीमा गोयल, डॉ. राजीव रंजन और डॉ. माइकल देबब्रत पात्रा ने रेपो दर में 35 आधार अंकों की बढ़ोतरी के पक्ष में मत दिया।