मत्स्यपालन विभाग का बजटीय आवंटन 38 फीसदी बढ़ा, दो साल में 65 फीसदी की बढ़ोतरी
दो वित्त वर्ष में मत्स्यपालन क्षेत्र के लिए बजटीय सहयोग में 889 करोड़ रुपये यानी करीब 65 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। इसके अलावा मत्स्य संपदा योजना के तहत 6,000 करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) नाम से एक नई उप-योजना की घोषणा की गई है।
केंद्र सरकार ने मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य पालन विभाग के बजट में 38.45 फीसदी की बड़ी बढ़ोतरी की है। साथ मछली के कारोबार से जुड़े लोगों की आमदनी बढ़ाने के लिए 6,000 करोड़ रुपये की एक नई उप-योजना की शुरुआत करने की भी घोषणा की है। वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ये घोषणाएं की हैं।
मत्स्य पालन विभाग को वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 2248.77 करोड़ रुपये आवंटित करने की घोषणा की गई है। यह 2022-23 के 1624.18 करोड़ रुपये के मुकाबले 38.45 फीसदी ज्यादा है। यह अब तक के सबसे अधिक सालाना बजटीय सहयोग में से एक है। 2021-22 में 1360 करोड़ रुपये का आवंटन विभाग को किया गया था। इस तरह दो वित्त वर्ष में मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए बजटीय सहयोग में 889 करोड़ रुपये यानी करीब 65 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। इसके अलावा वित्त मंत्री ने मत्स्य संपदा योजना के तहत 6,000 करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) नाम से एक नई उप-योजना की घोषणा की है। इस योजना का मकसद मछुआरों, मछली विक्रेताओं और मत्स्य क्षेत्र में लगे सूक्ष्म और लघु उद्यमियों की आय को और बढ़ाना है। इसके तहत डिजिटल समावेशन, पूंजी निवेश और कार्यशील पूंजी के लिए संस्थागत वित्त तक पहुंच को आसान बनाना, जलीय कृषि और मत्स्य पालन में जोखिम को कम करने के लिए प्रणाली और संस्थानों को प्रोत्साहन देना शामिल है। मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र वैल्यू चेन एसएमई को उपभोक्ताओं को सुरक्षित मछली उत्पादों के वितरण के लिए सप्लाई चेन स्थापित करने को प्रोत्साहित करते हैं। इससे बाजार का विस्तार होता है और इस क्षेत्र में महिलाओं के लिए रोजगार के मौके बढ़ते हैं।
सरकार ने बजट में पंचायत स्तर पर मत्स्य सहकारी समितियों सहित प्राथमिक सहकारी समितियों के निर्माण पर भी जोर दिया है। जमीनी स्तर पर सहकारी समितियों का गठन इस क्षेत्र को औपचारिक रूप देगा और मछली उत्पादन एवं इसके बाद की गतिविधियों को संगठित तरीके से करने के लिए मछुआरों और मछली किसानों को सशक्त करेगा। सहकारी समितियों के विकास के लिए सहकारिता मंत्रालय को 900 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन पर ध्यान देने के साथ कृषि और संबद्ध क्षेत्र के लिए कर्ज के लक्ष्य को बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपये करने की घोषणा बजट में की गई है। इससे मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए संस्थागत वित्त के प्रवाह में काफी सुधार होगा। इसके अलावा श्रिंप फीड के लिए आवश्यक कुछ इनपुट पर आयात शुल्क को कम करने की घोषणा से आयात और उत्पादन की लागत कम होने की उम्मीद है। इससे जलीय कृषि निर्यात को और बढ़ावा मिलेगा। फिश मील और क्रिल मील पर सीमा शुल्क को 15 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी, एल्गल प्राइम (आटा) और फिश लिपिड ऑयल पर 30 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी कर दिया गया है। जबकि जलीय फीड के निर्माण के लिए खनिज और विटामिन प्रीमिक्स पर सीमा शुल्क को 15 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किए जाने से फीड की लागत कम करने और घरेलू फीड को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के लिए तीन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (उत्कृष्टता केंद्र) की घोषणा से देश में एआई इकोसिस्टम को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यह मछली विपणन प्रणालियों में सुधार और ट्रैसेबिलिटी और गुणवत्ता के लिए ब्लॉक-चेन आधारित समाधान के त्वरित कार्यान्वयन के माध्यम से मूल्य वृद्धि की संभावना पैदा करता है।
बजट में प्रस्तावित डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर और एग्री एक्सीलरेटर फंड मत्स्य पालन वैल्यू चेन से संबंधित नवाचारों को तेज करेगा। भारतीय मत्स्य क्षेत्र बहुत तेजी से बढ़ रहा है। भारत तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक, दूसरा सबसे बड़ा जलीय कृषि उत्पादक और मछली व मत्स्य उत्पादों का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है। इसने वित्त वर्ष 2021-22 में 10.34 फीसदी की वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की है। देश का मछली उत्पादन 162.48 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। यह क्षेत्र 2.8 करोड़ से अधिक लोगों को स्थायी आजीविका प्रदान करता है। हाशिये पर और कमजोर समुदायों के लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में स्थायी सुधार लाने में यह क्षेत्र सहायक है।
चार साल पहले 2019 में मत्स्य पालन विभाग को तत्कालीन पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग से अलग कर मत्स्य क्षेत्र को बड़ा बढ़ावा दिया गया था। इसके साथ ही 27,500 करोड़ रुपये से अधिक के कुल निवेश के साथ कई दूरदर्शी योजनाओं और कार्यक्रमों जैसे प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना ( पीएमएमएसवाई), मत्स्य अवसंरचना विकास निधि (एफआईडीएफ) और किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के तहत इस क्षेत्र को भी कर्ज देने की शुरुआत की गई है।