एथनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने से देश होगा बहुउद्देशीय लाभ
भारत, 2030 तक, अपनी 50 फीसदी ऊर्जा आवश्यकताओं, रिन्यूएबल एनर्जी से पूरी करेगा इस लक्ष्य को पाने के लिए नान रिन्यूएबल एनर्जी वाले ईधन में पेट्रोल में एथेनॉल की मिलावट आठ प्रतिशत तक पहुंच गई है. भारत का लक्ष्य 2025 तक इसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का है। जिससे भविष्य में चीनी मिलों में एथनॉल का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार जोर दे रही है 2021 से शुरू होने वाले विपणन वर्ष में इसकी कीमत 62.65 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 63.45 रुपये कर दी गई है
ग्लासगो में जलवायु परिवर्तन के वैश्विक मंच मंथन पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को 2070 तक जीरो उत्सर्जन के लिए भारत के पंचामृत के मंत्र देते हुए बताया कि इस चुनौती से निपटने के लिए पांच अमृत तत्व रखना चाहूंगा। सबसे पहले, भारत अपनी गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 2030 तक 500 GW तक बढ़ा देगा। दूसरा दूसरा भारत, 2030 तक, अपनी 50 फीसदी ऊर्जा आवश्यकताओं, रिन्यूएबल एनर्जी से पूरी करेगा । तीसरा - भारत अब से 2030 तक कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी करेगा। चौथा, 2030 तक, भारत अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को 45 फीसदी से भी कम कर देगा। पांचवां, भारत वर्ष 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य हासिल कर लेगा ।
भारत, 2030 तक अपनी 50 फीसदी ऊर्जा आवश्यकताओं, रिन्यूएबल एनर्जी से पूरी करेगा इस लक्ष्य को पाने के लिए नान रिन्यूएबल एनर्जी वाले ईधन में पेट्रोल में एथेनॉल की मिलावट आठ प्रतिशत तक पहुंच गई है. भारत का लक्ष्य 2025 तक इसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का है। जिससे भविष्य में चीनी मिलों में एथनॉल का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार जोर दे रही है । बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में गन्ने के रस से सीधे उत्पादित एथनॉल की कीमत दिसंबर 2021 से शुरू होने वाले विपणन वर्ष में 62.65 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 63.45 रुपये कर दी गई है। यह फैसला बुधवार को सीसीईए की बैठक में लिया गया। इसके मुताबिक 'सी-हैवी के एथेनॉल की कीमत 45.69 रुपये से बढ़ाकर 46.66 रुपये प्रति लीटर कर दी गई है। बी-हैवी इथेनॉल की कीमत 57.61 रुपये से बढ़ाकर 59.08 रुपये प्रति लीटर कर दी गई है। पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनियां सरकार द्वारा तय कीमत पर एथनॉल खरीदती हैं। विपणन वर्ष 2020-21 में पेट्रोल में एथेनॉल की मिलावट आठ प्रतिशत तक पहुंच गई है। भारत का लक्ष्य 2025 तक इसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का है।
सरकार देश में बढ़ रहे प्रदूषण को कम करने के लिए पेट्रोल-डीजल की जगह एथनॉल पर जोर दे रही है इससे कई समस्याओं का समाधान एक साथ हो जाएगा। पहला भारत अपनी खपत का लगभग 85 प्रतिशत पेट्रोलियम उत्पाद आयात करता है। नीति आयोग के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में भारत ने 185 मीलियन टन पेट्रोलियम का आयात किया जिसके लिए उसे 55 55 अरब का भुगतान करना पड़ा। बीस प्रतिशत एथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम भारत को सालाना 4 अरब डॉलर या 30,000 करोड़ रुपये बचा सकता है। यह आयात पर निर्भरता कम कर 'आत्मनिर्भर भारत' के लक्ष्य को हासिल करने में भी मदद करेगा। इस दृष्टि से देखा जाए तो एथनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम के बहुउद्देश्यीय लाभ हैं। सरकार का लक्ष्य एक तीर से दो नहीं बल्कि कई लक्ष्य हासिल करना है।
एथनॉल की ऑक्टेन संख्या गैसोलीन से भी अधिक है जिसका अर्थ है कि यह पेट्रोल की ऑक्टेन संख्या को बढ़ाता है। एथनॉल में ऑक्सीजन होता है और यह ईंधन के पूर्ण दहन में मदद करता है। इससे उत्सर्जन कम होता है जिससे भारत को ग्लासगो में प्रधान मंत्री के किए गये जलवायु परिवर्तन पर किए गये वादे के लक्ष्यों को हासिल करने में भी मदद मिलेगी। इतना ही नहीं, अधिक ऑक्टेन नंबर होने का मतलब ईंधन की ऑक्टेन रेटिंग में वृद्धि भी है।
केंद्र सरकार ने ईबीपी कार्यक्रम में तेजी लाने के लिए वर्ष 2018 में जैव ईंधन नीति की घोषणा की। पेट्रोल में एथनॉल मिलाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बी-हैवी शीरे और गन्ने के रस से सीधे एथनॉल के उत्पादन की अनुमति दी है। चीनी मिलों को एथनॉल बनाने के लिए अतिरिक्त गन्ने का उपयोग करने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा, भारत सरकार ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास उपलब्ध अधिशेष मक्का और चावल को भी एथनॉल के उत्पादन में उपयोग करने की अनुमति दी है। सरकार ने यह भी घोषणा की है कि आने वाले वर्षों में एफसीआई के पास उपलब्ध चावल डिस्टिलरीज को दिया जाएगा।