बजट पूर्व चर्चा में किसानों को सस्ते कर्ज, जीएसटी हटाने और पीएम-किसान की धनराशि बढ़ाने के सुझाव

वित्त मंत्रालय में लगभग दो घंटे चली बैठक में किसान संगठनों के अलावा कृषि अर्थशास्त्री और पेस्टिसाइड व एग्रीबिजनेस इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों को भी बुलाया गया था।

बजट पूर्व चर्चा में किसानों को सस्ते कर्ज, जीएसटी हटाने और पीएम-किसान की धनराशि बढ़ाने के सुझाव

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट पूर्व चर्चा के लिए किसान संगठनों और कृषि क्षेत्र के प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई। इस दौरान किसानों को सस्ता कर्ज मुहैया कराने, कृषि इनपुट व उपकरणों से जीएसटी हटाने तथा पीएम-किसान की धनराशि बढ़ाने जैसे कई सुझाव दिए गये।

वित्त मंत्रालय में लगभग दो घंटे चली बैठक में किसान संगठनों के अलावा कृषि अर्थशास्त्री और पेस्टिसाइड व एग्रीबिजनेस इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों को भी बुलाया गया था। बैठक में भारत कृषक समाज के चेयरमैन अजय वीर जाखड़ ने जीएसटी की तर्ज पर देश भर की कृषि मंडियों में एकसमान टैक्स का सुझाव दिया। उन्होंने बागवानी उत्पादों पर मंडी शुल्क व चार्ज घटाने के लिए राज्यों को वित्तीय क्षतिपूर्ति तथा अगले 8 वर्षों में तीन फसलों - दलहन में चना, तिलहन में सोयाबीन (खरीफ) और सरसों (रबी) की पैदावार बढ़ने पर सालाना 1,000 करोड़ रुपये खर्च करने का सुझाव भी दिया।

भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने रूरल वॉयस को बताया कि उन्होंने वित्त मंत्री से खेती में इस्तेमाल होने वाले खाद-बीज, कीटनाशकों और उपकरणों से जीएसटी हटाने की मांग की। वित्त मंत्री ने पूरी तरह से कृषि कार्यों में प्रयोग होने वाले उपकरणों व खाद-बीज आदि को जीएसटी से मुक्त करने पर विचार करने का आश्वासन दिया है। 

धर्मेंद्र मलिक ने बताया कि उन्होंने वित्त मंत्री को 15 सूत्री सुझाव दिए हैं। इनमें सी2 लागत के आधार पर डेढ़ गुना एमएसपी तय करने, एमएसपी से कम दाम पर कृषि आयात न करने, पीएम-किसान की राशि सालाना 6 हजार से बढ़ाकर 12 हजार रुपये करने, किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने और ब्याज दर घटाने के सुझाव शामिल हैं। फल-सब्जियों, दूध व शहद सहित सभी प्रमुख फसलों को एमएसपी के दायरे में लाने, एमएसपी प्रणाली में सुधार और फसल कटाई के बाद के खर्चों व जोखिम को एमएसपी की गणना में शामिल करने की मांग भी उठाई गई।    

बजट पूर्व चर्चा में भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष बद्री नारायण चौधरी ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि बढ़ाने की मांग रखी। उन्होंने कृषि यंत्रों व इनपुट पर जीएसटी को शून्य करने की मांग भी उठाई। साथ ही प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि के साथ-साथ खाद कंपनियों को दी जाने वाली सब्सिडी डीबीटी के जरिए सीधे किसान के खाते में देने का सुझाव दिया है। 

भारतीय किसान संघ ने कहा कि आईसीएआर विदेशी व्यापारिक संस्थाओं से शोध के लिए समझौता करने का बहाना न बनाएं बल्कि भारत सरकार कृषि शोध, विकास व विस्तार के लिए इन्हें पर्याप्त बजट राशि का आवंटन करे। किसान संघ के प्रतिनिधियों ने कृषि सिंचाई परियोजनाओं के विकास के लिए बजट में अधिक राशि का प्रावधान करने पर जोर दिया। साथ ही ग्रामीण हाट बाजारों को प्रभावी बनाने, केवीके को बीज उत्पादन के लिए पर्याप्त बजट व केसीसी की लिमिट बढ़ाने की मांग भी रखी। 

बैठक में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार और छोटे किसानों को शून्य-प्रीमियम पर फसल बीमा की मांग भी उठाई गई। पीएचडी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की एग्री-बिजनेस कमेटी के अध्यक्ष आरजी अग्रवाल ने कीटनाशकों पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने का सुझाव दिया। साथ ही नकली कीटनाशकों की बिक्री पर अंकुश लगाने पर जोर दिया।

बैठक में किसान संगठनों और कृषि उद्योग से जुड़े लगभग 19 लोगों ने भाग लिया। इस अवसर पर  वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, वित्त और कृषि मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल मौजूद रहे।

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