आलू का भाव 55 फीसदी तक गिरा, किसानों को 1800 से 2000 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा दाम

पिछले 20 दिनों में आलू के थोक दाम 55 फीसदी गिरकर 2600-2800 रुपये प्रति क्विंटल से 1800-2000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। नई फसल की आवक से थोक कीमतों में गिरावट आई है, लेकिन खुदरा बाजार में आलू 40-45 रुपये प्रति किलो बिक रहा है, जिससे किसानों को लाभ नहीं मिल रहा।

आलू का भाव 55 फीसदी तक गिरा, किसानों को 1800 से 2000 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा दाम

देश में पिछले 20 दिनों में आलू के दाम 55 फीसदी तक गिरे हैं। आलू का औसत थोक मूल्य 2600-2800 रुपये प्रति क्विंटल से गिरकर 1800-2000 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है। कर्नाटक से आ रही आलू की नई फसल के चलते कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है। आलू की थोक कीमतों में भले ही गिरावट आई है, लेकिन खुदरा कीमतों पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है। बाजार में आलू अभी भी 40 से 45 रुपये प्रति किलो के भाव में ही बिक रहा है। आलू की खुदरा कीमतों में पिछले दो महीनों से तेजी बनी हुई है। मई के बाद से आलू का भाव 25 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 45 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है लेकिन आलू की बढ़ी किसानों का फायदा किसानों को नहीं मिल रहा है।

उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के आलू किसान और कोल्ड स्टोरेज कारोबारी डूंगर सिंह खंडौली ने रूरल वॉयस बताया कि पिछले 20 दिनों में आलू की कीमतों में गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि थोक बाजार में आलू का भाव 1800 से 2000 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है, जबकि बाजार में आलू का दाम 40 रुपये प्रति किलो के आसापास बना हुआ है। उन्होंने कहा कि पिछले महीने जरूर दाम ऊपर थे, लेकिन अब यह कम हो गए हैं। 

बिचौलिए उठा रहे बढ़ी कीमतों का फायदा 

डूंगर सिंह ने बताया कि बाजर में आलू की बढ़ी कीमतों का फायाद बिचौलियों को हो रहा है, जबकि किसानों को सिर्फ आधी कीमत ही मिल रहा है। उन्होंने कहा कि 2020 के बाद इस साल आलू की कीमतों में थोड़ा सुधार हुआ था। मई के बाद से आलू के दाम बढ़ाना शुरू हुए थे। शुरुआत में किसानों को ठीक दाम मिला, लेकिन अब दाम फिर गए हैं। उन्होंने बताया कि अब आलू की नई फसल आना शुरू हो चुकी है। फिलहाल कर्नाटक ने शुरुआती आलू आ रहा है। अगले दो महीनों में उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से भी आलू की आवक शुरू हो जाएगा। जिसके बाद दाम और गिर जाएंगे।  

लगातार घट रहा आलू का उत्पादन 

डूंगर सिंह ने बताया हाल में जो आलू की कीमतें बढ़ी थी, उसके पीछे इस साल आलू के उत्पादन में आई गिरावट और अत्यधिक गर्मी के चलते सब्जियों का उत्पादन कम होना वजह थी। उन्होंने बताया कि देश में आलू का उत्पादन लगाताार घट रहा है। सबसे बड़े आलू उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में इस साल आलू का उत्पादन 10 फीसदी तक गिरा है, जबकि देश भर में उत्पादन पांच फीसदी तक कम हुआ है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश में 2023-2024 में 567 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ, जो इसके पहले साल 2022-2023 के मुकाबले 34 लाख टन कम रहा। पिछले साल (2022-2023) देश में 601 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ था।

किसानों को मिल रही आधी कीमत

डूंगर सिंह ने बताया कि बाजार में आलू की कीमतें अभी भी ऊपर हैं, लेकिन किसानों को इसका फायदा नहीं मिल रहा है। जिसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जून में आलू की कीमतें बढ़ने पर किसानों को 2400 से 2600 रुपये प्रति क्विंटल का दाम मिला था, जो एक महीने बाद घटकर 1800 से 2000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए है। जबकि बाजार में आलू का दाम 40 रुपये प्रति किलो बना हुआ है। यानी किसानों को उपज का आधे से भी कम दम मिल रहा है। 

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के प्राइस मॉनिटरिंग डिवीजन के अनुसार, देशभर में आलू की औसत खुदरा कीमत 37.08 रुपये प्रति किलो है। बाजार में आलू औसतन 40 रुपये तक बिक रहा है, जबकि किसानों को प्रति किलो मात्र 18 से 20 रुपये ही मिल रहे हैं।

आलू की खेती छोड़ रहे किसान 

डूंगर सिंह ने बताया कि कम दाम मिलने के कारण किसान आलू की खेती छोड़ रहे हैं और अन्य नकदी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से आलू पर समर्थन मूल्य दिए जाने की मांग उठाई, जिससे किसानों को उचित मुनाफा मिल सके और वे आलू की खेती जारी रख सकें। उन्होंने कहा कि पिछले तीन सालों से किसान अपनी उपज घाटे में बेच रहे थे। इस साल मई में दाम बढ़ने से किसानों को और अच्छे दाम मिलने की उम्मीद जगी थी। लेकिन अब दाम फिर गिर गए हैं। 

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