टिकाऊ कृषि-खाद्य प्रणालियों को प्रोत्साहन देने के लिए नवाचारों को अपनाने की जरूरतः रुपाला
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परशोत्तम रुपाला ने कहा है कि खाद्यान्न की बढ़ती मांग, पर्यावरणीय गिरावट और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों को देखते हुए वैज्ञानिक नवाचारों के माध्यम से कृषि-खाद्य प्रणालियों को टिकाऊ उद्यमों में परिवर्तित करने की तत्काल जरूरत है। कोच्चि में चार दिवसीय 16वीं कृषि विज्ञान कांग्रेस (एएससी) के उद्घाटन मौके पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परशोत्तम रुपाला ने कहा है कि खाद्यान्न की बढ़ती मांग, पर्यावरणीय गिरावट और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों को देखते हुए वैज्ञानिक नवाचारों के माध्यम से कृषि-खाद्य प्रणालियों को टिकाऊ उद्यमों में परिवर्तित करने की तत्काल जरूरत है। कोच्चि में चार दिवसीय 16वीं कृषि विज्ञान कांग्रेस (एएससी) के उद्घाटन मौके पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही।
रूपाला ने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों को कृषि उत्पादन प्रक्रिया में अधिक से अधिक मशीनीकरण को शामिल करने और कृषि में महिलाओं के लिए विशेष कृषि उपकरणों को विकसित करने और लोकप्रिय बनाने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने सागर परिक्रमा अभियान के दौरान अपना यह अवलोकन साझा किया कि समुद्री और अंतर्देशीय जल प्रदूषण ने जलीय जीवन और तटीय व्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। उन्होंने वैज्ञानिकों से इस भयानक खतरे से निपटने के लिए स्थायी और टिकाऊ समाधान खोजने का आह्वान किया।
रूपाला ने इस बात पर जोर दिया कि पोक्कली चावल जैसे पारंपरिक कृषि उत्पादों को प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है और पोक्कली किसानों के लिए मुनाफा सुनिश्चित करने के उपाय किए जाने चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करना उत्पादन को बढ़ावा देने के बराबर है और इसे उन्नत तकनीकी हस्तक्षेपों पर ध्यान केंद्रित करके प्राप्त किया जा सकता है।
कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (डीएआरई) के सचिव और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि भारत की खाद्यान्न मांग वर्ष 2033 तक बढ़कर 340 से 355 मीट्रिक टन तक हो जाएगी। कृषि और वस्तुओं में तकनीकी सफलताओं के लिए जीनोमिक्स और जीनोम संपादन पर शोध मुख्य फोकस होगा जहां पारंपरिक प्रजनन वांछित परिणाम नहीं दे सकता है।
केरल के कृषि मंत्री पी प्रसाद ने इको-सिस्टम और पर्यावरण के स्वास्थ्य को बनाए रखते हुए देश के सभी नागरिकों के लिए खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि केरल सरकार द्वारा हाल ही में शुरू की गई 'पोषक समृद्धि' योजना इस लक्ष्य को प्राप्त करने में योगदान देगी।
राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (एनएएएस) द्वारा आयोजित चार दिवसीय कृषि विज्ञान कांग्रेस (एएससी) में देश-विदेश से 1500 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। यह कृषि विज्ञान कांग्रेस केरल में पहली बार आयोजित हो रही है और केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) द्वारा आयोजित की जा रही है।