एमपी सरकार ने गेहूं पंजीकरण पोर्टल दोबारा खोला, एमएसपी से नीचे दाम व बेमौसम बारिश से नुकसान पर किसानों का था दबाव
मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों का दबाव बढ़ने के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के तहत सरकारी खरीद में गेहूं बेचने के लिए किसानों को पंजीयन पोर्टल पर दोबारा पंजीकरण कराने की छूट देने के लिए पोर्टल को तीन दिन के लिए दोबार खोलने का फैसला किया है। राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मसले पर सरकार को किसानों की मांग माननी पड़ी और आज यानी 21 मार्च को सरकार ने आदेश जारी कर पंजीकरण खोलने की घोषणा कर दी। राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि सरकारी खऱीद पंजीयन 22 मार्च से 24 मार्च, 2023 तक तीन दिन के लिए दोबारा खोला जा रहा है
मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों का दबाव बढ़ने के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के तहत सरकारी खरीद में गेहूं बेचने के लिए किसानों को पंजीयन पोर्टल पर दोबारा पंजीकरण कराने की छूट देने के लिए पोर्टल को तीन दिन के लिए दोबार खोलने का फैसला किया है। राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मसले पर सरकार को किसानों की मांग माननी पड़ी और आज यानी 21 मार्च को सरकार ने आदेश जारी कर पंजीकरण खोलने की घोषणा कर दी। राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि सरकारी खऱीद पंजीयन 22 मार्च से 24 मार्च, 2023 तक तीन दिन के लिए दोबारा खोला जा रहा है।
राज्य सरकार के अपर सचिव, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के अपर सचिव द्वारा सभी जिलाधिकारियों को भेजे आदेश में कहा गया है कि राज्य में मार्च में असामयिक वर्षा के चलते किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सुविधा का लाभ उपलब्ध कराने के लिए किसान पंजीयन के लिए 22 मार्च से 24 मार्च, 2023 के लिए पंजीयन पोर्टल को दोबारा खोला जाता है।
सरकार ने तय किया है कि इंदौर, उज्जैन, भोपाल और नर्मदापुरम क्षेत्र में गेहूं की सरकारी खऱीद 25 मार्च से शुरू होगी। जबकि जबलपुर, रीवा, शहडौल, ग्वालियर और चंबल क्षेत्र में एक अप्रैल से गेहूं की सरकारी खरीद शुरू होगी।
मध्य प्रदेश में गेहूं की कीमतें एमएसपी से नीचे चली गई हैं और कई मंडियों में गेहूं की कीमत 2000 रुपये प्रति क्विटंल के आसपास चल रही है। जबकि मार्केटिंग सीजन (20023-24) के लिए गेहूं का एमएसपी 2125 रुपये प्रति क्विटंल है।
मध्य प्रदेश के किसानों ने गेहूं की अधिक कीमत मिलने की चाह में बड़ी संख्या में सरकारी खऱीद के लिए पंजीकरण पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं कराया था। लेकिन केंद्र सरकार द्वारा खुले बाजार की बिक्री के तहत 50 लाख टन बेचने के फैसले और उसमें 33 लाख टन से अधिक गेहूं के उठाव के चलते कीमतों में भारी गिरावट आई और दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे चले गये थे। रही सही कसर खऱाब मौसम ने पूरी कर दी। ऐसे में किसानों ने सरकार से पंजीकरण पोर्टल दोबारा खोलने की मांग करने शुरू कर दी थी।
मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में गेहूं किसानों ने सरकारी खऱीद में गेहूं की बिक्री का सरकारी पोर्टल पर पंजीयन नहीं किया है। इंदौर संभाग में लाखों किसानों ने बेहतर कीमत मिलने की उम्मीद में सरकारी खरीद पोर्टल पर पंजीयन नहीं कराया है। लेकिन गेहूं कीमतों में कमी के चलते अब मंडियों में कीमत एमएसपी से नीचे चली गई है। ऐसे में इन किसानों को अगर ट्रेडर्स को गेहूं बेचना पड़ा तो उनको एमएसपी मिलने की संभावना भी काफी कमजोर हो जाएगी। वहीं सरकारी खरीद पोर्टल पर पंजीयन 5 मार्च को बंद हो गया था। पिछले साल 2022-23 में इंदौर संभाग में गेहूं का क्षेत्रफल 1208391 हैक्टेयर था जबकि चालू सीजन 2023-24 में रकबा 12,36,115 हैक्टेयर रहा है। जो पिछले साल के मुकाबले 2.3 फीसदी अधिक है। वहीं इस संभाग में गेहूं बिक्री के लिए पंजीकृत रकबा पिछले साल के 3,37,196 हैक्टेयर के मुकाबले चालू सीजन में 286,355 हैक्टेयर तक ही पहुंचा है। पिछले साल के मुकाबले इसमें 15.08 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। झाबुआ जिले में इसमें 40.22 प्रतिशत की गिरावट है जबकि अलीराजपुर जिले में रकबे में गिरावट का स्तर 66.45 प्रतिशत है। बड़वानी जिले में पिछले साल के मुकाबले पंजीकृत रकबे में 58.95 फीसदी की गिरावट दर्ज गई है। इसी तरह किसानों के मामले में पंजीकृत किसानों की संख्या 22.13 फीसदी घटकर 1,17,352 रह गई है जबकि 2022-23 में इस संभाग में पंजीकृत किसानो की संख्या 1,50,701 थी। झाबुआ जिले में किसानों की संख्या में 46.49 फीसदी अलीराजपुर जिले में 70.04 फीसदी और बड़वानी जिले में 60.36 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। अलीराजपुर में केवल 418 किसानों का पंजीयन हुआ है।
कई कंपनियों के लिए बड़े पैमाने पर गेहूं की खरीद करने वाले एक एफपीओ के कंसोर्सियम प्रमुख ने रूरल वॉयस को बताया कि ऐसी स्थिति में किसानों के सामने एक बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है। वहीं राज्य में कई जगह तेज बारिश होने के चलते जहां फसल में करीब सात फीसदी तक का नुकसान हुआ है वहीं बारिश से गेहूं की गुणवत्ता कुछ जगह 30 फीसदी तक प्रभावित हुई है।
असल में उपभोक्ताओं के लिए गेहूं और गेहूं उत्पादों की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार द्वारा 50 लाख टन गेहूं की खुले बाजार में बिक्री की योजना (ओएमएसएस) के तहत बेचने का कदम किसानों के लिए भारी पड़ गया है। इस फैसले के चलते उपभोक्ताओं से कहीं अधिक कारोबारियों को फायदा होने की बात हो रही है। वहीं सरकार के इस कदम से जिस तरह देश के सभी हिस्सों में गेहूं की कीमतों में गिरावट आई है उसके चलते सरकार द्वारा गेहूं की सरकारी खऱीद से 341 लाख टन के लक्ष्य को पाने में तो कामयाबी मिलने की संभावना बढ़ गई है लेकिन यह कदम किसानों के लिए भारी पड़ गया है।