अगले साल मुंबई में विश्व मसाला कांग्रेस, 50 देशों के करीब 1000 प्रतिनिधि लेंगे हिस्सा
अगले साल की शुरुआत में आयोजित होने वाले इस सम्मेलन में उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए गुणवत्तापूर्ण मसालों का उत्पादन, ऑर्गेनिक उत्पादन पर जोर, विस्तृत और विविध व्यापार, क्वालिटी रेगुलेशन, मूल्य संवर्धन, इनोवेशन, और नई पहल, सप्लाई चेन के संयोजन व इसकी समस्याओं की बेहतर समझ तथा इंडस्ट्री के अन्य पहलुओं पर चर्चा होगी। इस कार्यक्रम में विश्व के 50 से अधिक देशों के एक हजार प्रतिनिधियों का भाग लेने की संभावना है
काली मिर्च, दालचीनी, हल्दी और इलायची जैसे मसालों और जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल भारतीय हजारों वर्ष से स्वाद और सेहत के लिए करते आ रहे हैं। भारत के देसी मसालों (जैसे इलायची और हल्दी) की खेती ईसा पूर्व आठवीं सदी से बेबीलोन में की जाती रही है। यह बड़ा तथ्य है कि भारत हमेशा से मसालों का बड़ा हब रहा है और आज भी है। इसकी एक झलक विश्व मसाला कॉन्ग्रेस (WSC) में मिलेगी जिसका आयोजन मुंबई में होने वाला है। विश्व मसाला कांग्रेस दुनिया के मसाला उद्योग का सम्मेलन है। इस सेक्टर के विभिन्न मुद्दों पर विचार करने के लिए यह एक बड़ा मंच बन गया है।
मसाला बोर्ड, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (भारत सरकार) के तत्वावधान व कई व्यापार और निर्यात इकाइयों के सहयोग से आयोजित होने वाला यह सम्मेलन लोगों को इस सेक्टर के बारे में बेहतर से जानने का मौका प्रदान करेगा। विश्व भर से आए इस उद्योग के प्रमुख दिग्गजों जैसे उत्पादक, व्यापारी, निर्यातक, प्रोसेसर और रेगुलेटर इससे संबंधित व्यापार, सस्टेनेबिलिटी, क्वालिटी और खाद्य सुरक्षा की पहल, हाल में इस सेक्टर में होने वाली घटनाओं और इसके भविष्य पर चर्चा करेंगे।
वर्ष 1990 में स्थापित होने के बाद से डब्लूएससी ने मसालों के इतिहास को संजोने में लंबी यात्रा तय की है। इस यात्रा में पारंपरिक पाक कला से लेकर खाद्य संरक्षण, खाद्य सुरक्षा, फार्मास्यूटिकल्स और न्यूट्रास्यूटिकल्स, कॉस्मेटिक्स, प्राकृतिक रंग बहुत कुछ शामिल है।
अगले साल की शुरुआत में आयोजित होने वाले इस सम्मेलन में उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए गुणवत्तापूर्ण मसालों का उत्पादन, ऑर्गेनिक उत्पादन पर जोर, विस्तृत और विविध व्यापार, क्वालिटी रेगुलेशन, मूल्य संवर्धन, इनोवेशन, और नई पहल, सप्लाई चेन के संयोजन व इसकी समस्याओं की बेहतर समझ तथा इंडस्ट्री के अन्य पहलुओं पर चर्चा होगी। इस कार्यक्रम में विश्व के 50 से अधिक देशों के एक हजार प्रतिनिधियों का भाग लेने की संभावना है।
कोविड-19 के बावजूद 2020-21 के दौरान भारत के मसाला निर्यात में बढ़ोतरी हुई और पहली बार यह चार अरब डॉलर को पार कर गया। मसाला बोर्ड के अनुसार 2021-22 के दौरान देश से 5,31,154 टन मसालों व मसाला उत्पादों का निर्यात हुआ। वैल्यू के लिहाज से यह निर्यात 30,576 करोड़ रुपये (4.1 अरब डॉलर) का रहा।
यह बोर्ड भारतीय निर्यातकों और विदेशी आयातकों के बीच एक अंतर्राष्ट्रीय सेतु है। भारतीय मसाला बोर्ड द्वारा आयोजित यह द्विवार्षिक कार्यक्रम एक श्रेष्ठ मंच रहा है जो विश्वभर के मसाला इंडस्ट्री को एक साथ लाता है। मसाला बोर्ड के सचिव डी. साथियान ने बताया कि इस बार मसाला बोर्ड, विश्व मसाला सम्मेलन को जी-20 कार्यक्रम के हिस्से के तौर पर आयोजित कर रहा है। दिसंबर 2022 से नवंबर 2023 तक भारत जी-20 की अध्यक्षता करेगा। इस दौरान जी-20 के साथ भारत के व्यापार को मजबूती प्रदान करने पर जोर दिया जाएगा।
डब्लूएससी 2023 में आयातक देशों के मुख्य विनियामक प्राधिकरणों, जी-20 देशों के वाणिज्य मंत्रियों व औद्योगिक संगठनों के भाग लेने की उम्मीद है। साथियान ने विश्व मसाला सम्मेलन के इस 14वें संस्करण को नया नामकरण दिया - स्पाइसेज यानी सस्टेनिबिलिटी, प्रोडक्टिविटी उत्पादकता, इनोवेशन (नवोन्मेष), कोलैबोरेशन (सहयोगिता), एक्सीलेंस (उत्कृष्टता) और सेफ्टी (सुरक्षा)।
इससे पहले बीते तीन दशकों में तेरह सफल सम्मेलनों के जरिए डब्लूएससी ने मसाले से जुड़े लोगों पर अमिट छाप छोड़ी है। इस कार्यक्रम ने इस सेक्टर से जुड़े दुनियाभर के लोगों को काफी लाभ पहुंचाया है। विश्व मसाला समुदाय के बीच यह काफी पसंद किया गया है। यह मंच व्यापार के नए रास्ते देने के साथ ही व्यापार गठजोड़ को मजबूती प्रदान करता है।
(लेखक नई दिल्ली स्थित वरिष्ठ पत्रकार, फ्रीलांस लेखक और पब्लिक पॉलिसी विश्लेषक हैं)