दक्षिण पश्चिम मानसून की वापसी शुरू हो गई है। इस साल यह वापसी सामान्य समय से आठ दिन बाद हो रही है। सामान्य रूप से 17 सितंबर से दक्षिण पश्चिम मानसून की वापसी होती है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कहा है कि लगातार 13 साल से मानसून की देरी से वापसी हो रही है। खरीफ फसलों के उत्पादन के लिए दक्षिण पश्चिम मानसून अहम होता है। हालांकि रबी सीजन की फसलों की निर्भरता भी सामान्य मानसून पर रहती है क्योंकि मानसून की बारिश के चलते ही जलाशयों में एकत्रित जल से रबी फसलों की सिंचाई होती है और सितंबर तक होने वाली बारिश से रबी फसलों की बुवाई के लिए जरूरी नमी मिलती है।
ऐसे में देरी से मानसून की वापसी का फायदा अधिक मिलता है। देश के पश्चिमोत्तर हिस्से से लिए यह मानसू काफी अहम होता है। आईएमडी ने कहा है कि दक्षिण पश्चिम राजस्थान से 25 सितंबर को मानसून की वापसी हुई है जबकि सामान्य स्थिति में यह इन हिस्सों से 17 सितंबर को चला जाता है।
मानसून देश में एक जून को केरल के तट से प्रवेश करता है और 8 जुलाई तक देश के अधिकांश हिस्सों में सक्रिय हो जाता है। जबकि इसकी वापसी 17 सितंबर से होती है और अक्तूबर के मध्य तक इसकी पूरे देश से वापसी हो जाती है। इस साल मानसून देरी से आया था। आईएमडी ने सामान्य मानसून का अनुमान जारी किया था। अभी तक कुल बारिश 796.4 मिलीमीटर हुई है जो सामान्य से छह फीसदी कम है। सामान्य रूप से देश मे्ं 843.2 मिलीमीटर बारिश होती है। हालांकि आईएमडी के मुताबिक दीर्घकालिक औसत (एलपीए) के 94 से 106 फीसदी के बीच की बारिश को सामान्य माना जाता है। जून से सितंबर के चार माह की मानसून अवधि में देश में औसतन 870 मिलीमीटर बारिश होती है।
इस साल आईएमडी ने अल नीनो के मानसून पर असर की आशंका भी जताई थी। मानसून देरी से आया लेकिन जुलाई में सामान्य से अधिक बारिश हुई। लेकिन अगस्त में बहुत कम बारिश हुई और 1901 से अभी तक के आंकड़ों के मुताबिक साल 2023 का अगस्त माह सबसे कम बारिश वाला अगस्त रहा है। इसकी वजह अल नीनो के प्रभाव का माना जा रहा है। अगस्त में बारिश की कमी का खरीफ फसलों पर प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका है। हालांकि सितंबर में बारिश होने से कुछ भरपाई हुई है लेकिन इसके बावजूद खरीफ फसलों का उत्पादन प्रभावित रहेगा।