डिजीटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए कृषि मंत्रालय ने सिस्को, रिलायंस, आईटीसी समेत पांच कंपनियों के साथ एमओयू किया
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने सिस्को , 63आइडियाइंफोलैब्स प्राइवेट लिमिटेड (निंजाकार्ट), जियो प्लेटफॉर्म्स लि. (रिलायंस), एनसीडीईएक्स ई-मार्केट्स लिमिटेड, (एनईएमएल) और आईटीसी लिमिटेड के साथ एमोयू किया है । इन पांच कंपनियों के साथ एमओयू साइन करने के बाद केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए बड़ा कदम उठाया है
नई दिल्ली 14 सितंबर , 2021
कृषि में डिजीटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने सिस्को, 63 आइडियाइंफोलैब्स प्राइवेट लिमिटेड (निंजाकार्ट),, जियो प्लेटफॉर्म्स लि. (रिलायंस), एनसीडीईएक्स ई-मार्केट्स लिमिटेड। (एनईएमएल) और आईटीसी लिमिटेड एमओयू किया है। इन पांच कंपनियों के साथ एमओयू साइन करने के बाद केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत किसानों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र के डिजिटलीकरण से किसानों के साथ-साथ देश को भी बहुत लाभ होगा और कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय कृषि के लिए तकनीकी क्षेत्र में प्राथमिकताओं को फिर से संरेखित कर रहा है।
कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि कृषि में नई और उभरती डिजिटल तकनीकों को लागू करने का प्रावधान पिछले वर्ष से ही शामिल किया गया है। कृषि पर मौजूदा राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस परियोजना (एनईजीपीए) को संशोधित कर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन, रिमोट सेंसिंग, जीआईएस, ड्रोन और रोबोट जैसी नई तकनीकों को तैनात करने में राज्य सरकारों की सहायता के लिए प्रावधान किए गए हैं। मंत्रालय पहले ही 10 राज्यों में पायलट परियोजनाओं को मंजूरी दे चुका है। इस दायरे को और विस्तारित करने और आने वाले महीनों में और अधिक परियोजनाओं को शामिल करने के प्रयास चल रहे हैं।
कृषि मंत्री के अनुसार कृषि क्षेत्र में तकनीक के प्रयोग का नतीजा है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि जैसी महत्वपूर्ण योजना के तहत बिना किसी बिचौलिए के सीधे किसानों के बैंक खातों में पारदर्शी तरीके से राशि जमा की जा रही है। अब तक 11.37 करोड़ से अधिक किसानों को 1.57 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि दी जा चुकी है। सरकार का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में और भी बेहतर करना है, जिसके लिए वह निजी क्षेत्र से सहयोग की उम्मीद कर रहा है।
इससे चुनौतियों को हल करने और रोजगार के साधनों में वृद्धि करने की क्षमता मिलेगी, जबकि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलेगा। इससे देश में कृषि क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन आएगा। सरकार लगातार यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही है कि नीतियां किसानों की आय बढ़ाने, बेहतर फसल प्रबंधन, नई पीढ़ी को खेती की ओर आकर्षित करने और किसानों को निचले स्तर तक लाभान्वित करने पर केंद्रित हों।
जियो और उसके सहयोगी "जियो एग्रीकल्चर" प्लेटफॉर्म के माध्यम से डिजिटल और आईटी सेवाएं प्रदान करती हैं। यह किसानों के कृषि भूखंडों की मिट्टी की स्थिति का विश्लेषण करने में सक्षम है और सिंचाई की जरूरतों का विश्लेषण कर सकता है। यह परियोजना किसानों को शैक्षिक वीडियो प्रदान करेगी और उन्हें कृषि विशेषज्ञों के साथ जुड़ने में मदद करेगी।
आईटीसी ने ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न वस्तुओं और सेवाएं उपलब्ध कराने व किसानों को लाभान्वित करने के लिए फसल सलाहकार सूचनाओं के प्रसार के लिए “ई-चौपाल” नेटवर्क की पहल की है. इसका उद्देश्य ई-चौपाल 4.0 डिजिटल प्लेटफॉर्म पर होस्ट डिजिटल क्रॉप मॉनिटरिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग करके किसानों के लिए पारंपरिक फसल-स्तरीय जेनेरिक-सलाहकार को अधिक अनुकूलित स्थान-विशिष्ट फसल सलाहकार में बदलना है। यह गेहूं के संबंध में सीहोर और विदिशा जिले (एमपीआर) के गांवों में लागू किया जाएगा। सिस्को ने उद्योग भागीदार क्वांटेला के साथ कृषि डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर (एडीआई) समाधान विकसित किया है, जिसमें बेहतर खेती और ज्ञान साझा करने के लिए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर घटक शामिल हैं।
एक कॉमन सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म - स्मार्ट एग्रीकल्चर प्लेटफॉर्म विभाग और सैटेलाइट डेटा प्रोसेसिंग सॉल्यूशंस से उपलब्ध सेंसर और सूचनाओं को एक एकल डैशबोर्ड में एकीकृत करता है जो वास्तविक समय की स्थिति प्रदान करता है। प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट को लक्षित राज्यों के चयनित जिलों में लागू किया गया है। यह फसल पूर्वानुमान, मौसम पैटर्न, पौधा रोग पैटर्न, मिट्टी की गुणवत्ता, नमी सामग्री आदि पर महत्वपूर्ण जानकारी एकत्र करेगा। किसानों से एकत्रित जानकारी कृषि मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय कृषि स्टैक के तहत डेटा पूल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। सिस्को कैथल (हरियाणा), मुरैना (एमपी) में किसानों, प्रशासन, शिक्षा-उद्योग के बीच ज्ञान साझा करने में सहायक होगा।
एनईएमएल डिजिटल मार्केटप्लेस किसानों की आजीविका बढ़ाने और कृषि क्षेत्र में समावेशी विकास में मदद करेगा। इसकी चार सेवाएं हैं मार्केट लिंकेज, डिमांड एग्रीगेशन, फाइनेंशियल लिंकेज, डेटा सैनिटाइजेशन।काम करेगा। परियोजना गुंटूर (आंध्र प्रदेश), देवनागरे (कर्नाटक), नासिक (महाराष्ट्र) में शुरू होगी।
निन्जाकार्ट एग्री मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म को विकसित और होस्ट करेगा, जो प्रतिभागियों को फसल के बाद के मार्केट लिंकेज में एक साथ लाने में सक्षम होगा। फिलहाल वह करीब दो हजार टन उपज सीधे लोगों को सप्लाई कर रहे हैं। इस लिंकेज में विशेषज्ञ/संस्थान शामिल हैं। एएमपी प्लेटफॉर्म इसे समग्र बाजार संबंधों को कारगर बनाने के लिए डिजिटल रूप से सक्षम करेगा। वह मूल रूप से उत्पाद विशिष्ट विशेषताओं के आधार पर कई वितरण विधियों को संरेखित करने में सक्षम होगा। जिन स्थानों पर प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट (पीओसी) आयोजित किया जाएगा, वे हैं छिंदवाड़ा और इंदौर (एमपी) और आणंद (गुजरात)।