भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर है। चालू वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो एक साल पहले 7.2 प्रतिशत रही थी। खनन, विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के अच्छे प्रदर्शन के कारण जीडीपी की ग्रोथ रेट बढ़ी है। लेकिन कृषि क्षेत्र की ग्रोथ रेट को बड़ा झटका लगा है।
चालू वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र में 1.8 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष दर्ज की गई 4 प्रतिशत की वृद्धि से काफी कम है। कृषि क्षेत्र में यह पिछले आठ साल की सबसे धीमी ग्रोथ होगी। इसके पीछे कमजोर मानसून और मौसम के बिगड़े मिजाज से कृषि को हुए नुकसान को वजह माना जा रहा है। इससे पहले 2015-16 में सूखे के चलते कृषि क्षेत्र की ग्रोथ घटकर महज 0.6 फीसदी रह गई थी।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा शुक्रवार को जारी राष्ट्रीय आय के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 2022-23 में 1.3 प्रतिशत की तुलना में बढ़कर 6.5 प्रतिशत होने का अनुमान है। इसी तरह, चालू वित्त वर्ष में खनन क्षेत्र की वृद्धि 2022-23 में 4.1 प्रतिशत के मुकाबले 8.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वित्तीय सेवाओं, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं में इस वित्तीय वर्ष में 8.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करने का अनुमान है, जबकि वित्त वर्ष 2013 में यह 7.1 प्रतिशत थी।
एनएसओ के अनुसार, "वास्तविक जीडीपी या स्थिर (2011-12) कीमतों पर जीडीपी वर्ष 2023-24 में 171.79 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी का अनंतिम अनुमान 160.06 लाख करोड़ रुपये है।" वर्ष 2023-24 के दौरान वास्तविक जीडीपी में वृद्धि 2022-23 में 7.2 फीसदी की तुलना में 7.3 फीसदी रहने का अनुमान है।
एनएसओ का अनुमान चालू वित्त वर्ष के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 7 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि अनुमान से अधिक है। वर्तमान अनुमान के अनुसार, अर्थव्यवस्था का आकार 2023-24 के दौरान 296.58 लाख करोड़ रुपये या 3.57 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है।