देश का चीनी उत्पादन 7.7 प्रतिशत घटकर 112 लाख टन रहा: एनएफसीएसएफ
देश के चीनी उत्पादन में इस साल कमजोर मानसून और अल नीनो प्रभाव के चलते काफी गिरावट आई है। चालू पेराई सत्र 2023-24 के पहले तीन महीनों (अक्टूबर से दिसंबर) के दौरान चीनी का उत्पादन 7.7 प्रतिशत घटकर 112 लाख टन रह गया है। पिछले साल इसी अवधि में चीनी का उत्पादन 121.35 लाख टन रहा था। इस गिरावट के पीछे देश के प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र और कर्नाटक में कम उत्पादन वजह है।
देश के चीनी उत्पादन में इस साल कमजोर मानसून और अल नीनो प्रभाव के चलते काफी गिरावट आई है। चालू पेराई सत्र 2023-24 के पहले तीन महीनों (अक्टूबर से दिसंबर) के दौरान चीनी का उत्पादन 7.7 प्रतिशत घटकर 112 लाख टन रह गया है। पिछले साल इसी अवधि में चीनी का उत्पादन 121.35 लाख टन रहा था। इस गिरावट के पीछे देश के प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र और कर्नाटक में कम उत्पादन वजह है।
नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ (एनएफसीएसएफ) के अनुसार, पेराई सत्र 2023-24 में देश का कुल चीनी उत्पादन 305 लाख टन होने का अनुमान लगाया है, जो 2022-23 सीजन में 330.90 लाख टन उत्पादन से करीब 26 लाख टन कम है।
एनएफसीएसएफ के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रकाश नायकनवरे ने रूरल वॉयस को बताया कि प्रारंभिक अनुमानों के मुकाबले देश में चीनी उत्पादन की स्थिति में थोड़ा सुधार आया है इसलिए देश में स्थानीय खपत के लिए नई चीनी की कुल उपलब्धता 305 लाख टन होने की उम्मीद है।
एनएफसीएसएफ के आंकड़ों के अनुसार, देश के प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में दिसंबर तक चीनी उत्पादन 38.20 लाख टन था, जबकि एक साल पहले इस अवधि तक यह 47.40 लाख टन था। उत्तर प्रदेश में दिसंबर तक 34.65 लाख टन से अधिक चीनी का उत्पादन हुआ, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह 30.80 लाख टन था। कर्नाटक में चीनी उत्पादन 24 लाख टन रहा, जबकि उक्त अवधि में यह 26.70 लाख टन था।
देश में औसत चीनी रिकवरी 9.17 प्रतिशत है। पेराई सीजन के अंत तक उत्तर प्रदेश में 115 लाख टन, महाराष्ट्र में 90 लाख टन, कर्नाटक में 42 लाख टन, तमिलनाडु में 12 लाख टन और गुजरात में 10 लाख टन चीनी का उत्पादन होने की उम्मीद है।
प्रकाश नायकनवरे का कहना है कि चीनी उत्पादन की मौजूदा स्थिति को देखते हुए एथेनॉल उत्पादन पर मौजूदा प्रतिबंध में कुछ ढील दी जा सकती है। क्योंकि सीजन की शुरुआत में अनुमानित 290 लाख टन चीनी उत्पादन में लगभग 15 लाख टन की वृद्धि होने की उम्मीद है।