बटर और अन्य डेयरी उत्पादों का नहीं होगा आयात, दूध की कमी से केंद्र का इन्कार
परषोत्तम रूपाला ने कहा, " डेयरी उत्पादों की कमी के बारे में कोई सच्चाई नहीं है। कोई आयात नहीं होगा। देश में दूध की कोई कमी नहीं है। सरकार स्थिति पर नियमित नजर रख रही है। दूध और दुग्ध उत्पादों की घरेलू मांग बढ़ गई है। हमारे पास बहुत बड़ा अप्रयुक्त क्षेत्र है। बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए हम इसका दोहन करने की कोशिश करेंगे। हम इसे ठीक से प्रबंधित करेंगे।" उन्होंने किसानों और उपभोक्ताओं से इस बारे में चिंता नहीं करने की अपील की। उन्होंने कहा कि किसानों को अच्छे दाम मिल रहे हैं।
गर्मी के मौसम में दूध और दुग्ध उत्पादों की कमी की आशंका को देखते हुए सरकार ने साफ कर दिया है कि मक्खन, घी जैसे डेयरी उत्पादों का आयात नहीं किया जाएगा। केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री परुषोत्तम रूपाला ने शुक्रवार को कहा कि देश में दूध की कोई कमी नहीं। सरकार स्थिति पर लगातार नजर रख रही है। बढ़ती मांग को उन क्षेत्रों से पूरा किया जाएगा जिसका अभी तक दोहन नहीं हुआ है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया और पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने भी सरकार को चिट्ठी लिखकर कहा है कि दुग्ध उत्पादों के आयात से देश के दूध किसान प्रभावित होंगे और उनकी आमदनी पर असर पड़ेगा।
परषोत्तम रूपाला ने नई दिल्ली में एक कार्यक्रम के मौके पर संवाददाताओं से कहा, " डेयरी उत्पादों की कमी के बारे में कोई सच्चाई नहीं है। कोई आयात नहीं होगा। देश में दूध की कोई कमी नहीं है। सरकार स्थिति पर नियमित नजर रख रही है।” उन्होंने कहा, "दूध और दुग्ध उत्पादों की घरेलू मांग बढ़ गई है। हमारे पास बहुत बड़ा अप्रयुक्त क्षेत्र है। बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए हम इसका दोहन करने की कोशिश करेंगे। हम इसे ठीक से प्रबंधित करेंगे।" उन्होंने किसानों और उपभोक्ताओं से इस बारे में चिंता नहीं करने की अपील की। डेयरी उत्पादों की खुदरा कीमतों में वृद्धि पर उन्होंने कहा कि कीमतों के बारे में चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। किसानों को अच्छे दाम मिल रहे हैं।
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सरकार राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के साथ डेयरी उत्पादों की मांग एवं आपूर्ति के अंतर की निगरानी कर रही है और स्थिति के आधार पर इसके आयात पर निर्णय लेगी। मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मुताबिक, यह सही है कि डेयरी क्षेत्र में मांग-आपूर्ति में अंतर देखा गया है, खासकर कोविड-19 के बाद पौष्टिक, सुरक्षित और स्वच्छ दूध और दुग्ध उत्पादों की खपत बढ़ी है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि आगामी गर्मी के मौसम में बढ़ती मांग और दूध की आपूर्ति की बाधाओं के बीच संरक्षित डेयरी वस्तुओं (मिल्क फैट और मिल्क पाउडर) के आयात की कई डेयरी सहकारी समितियों ने मांग की थी। इसे देखते हुए केंद्र सरकार के साथ राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) मांग-आपूर्ति की स्थिति की निगरानी कर रहा है। मंत्रालय ने कहा, "चूंकि आयात की प्रक्रिया में समय लगता है, इसलिए किसी भी आकस्मिकता की स्थिति को समय पर प्रबंधित करने के लिए आवश्यक प्रक्रियाएं लागू की जा रही हैं।
मंत्रालय ने कहा है कि अगर स्थिति गंभीर होती है तो गर्मियों की मांगों को पूरा करने और डेयरी सहकारी समितियों के लिए स्थिति आसान बनाने के लिए आयात किया जा सकता है। उस स्थिति में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि आयातित उत्पादों को केवल एनडीडीबी के माध्यम से भेजा जाए और जरूरतमंद डेयरी संघों को उचित मूल्यांकन के बाद बाजार मूल्य पर स्टॉक दिया जाए। इससे बाजार की स्थिति बिगड़ेगी नहीं और डेयरी किसानों के हितों की भी रक्षा होगी।
इस बीच, राकांपा नेता और पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने डेयरी उत्पादों के आयात की योजना का विरोध करते हुए सरकार को पत्र लिखकर कहा है कि इससे घरेलू दुग्ध उत्पादकों की आय पर सीधा असर पड़ेगा। पवार ने कहा कि वह मक्खन और 'घी' जैसे किसी भी डेयरी उत्पादों के आयात के केंद्र सरकार के किसी भी कदम का विरोध करते हैं। केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री परुषोत्तम रूपाला को लिखे पत्र में पवार ने कहा कि मक्खन और 'घी' का आयात सीधे घरेलू दुग्ध उत्पादकों की आय को प्रभावित करेगा। कुछ डेयरी उत्पादों के आयात के केंद्र के प्रस्ताव के बारे में मीडिया में आई खबरों का जिक्र करते हुए राकांपा सुप्रीमो ने कहा कि ऐसा कोई भी फैसला पूरी तरह अस्वीकार्य होगा।
पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री ने अपनी चिट्ठी में कहा, "डेयरी किसान हाल ही में अभूतपूर्व कोविड-19 संकट से बाहर आए हैं। इस तरह के फैसले से डेयरी क्षेत्र की पुनरुद्धार प्रक्रिया गंभीर रूप से बाधित होगी।"