एथेनॉल प्लांट के लिए ब्याज छूट की अवधि जून, 2024 तक बढ़ी, इंडस्ट्री को होगा फायदा
केंद्र सरकार पेट्रोल में एथेनॉल ब्लैंडिंग के प्रोग्राम (ईबीपी) को लेकर काफी गंभीर है। यही वजह है कि एथेनॉल के नये संयंत्रों की स्थापना को प्रोत्साहित करने वाली योजना के तहत छूट पाने वाली कंपनियों के लिए समयावधि बढ़ा दी गई है। इसके लिए 28 दिसंबर को अधिसूचना जारी कर कहा गया है कि ब्याज छूट योजना के तहत नए एथेनॉल प्लांट स्थापित करने के लिए खाद्य मंत्रालय से ली गई सैद्धांतिक मंजूरी की अवधि को एक साल के लिए बढ़ाकर 30 जून, 2024 कर दिया है।
केंद्र सरकार पेट्रोल में एथेनॉल ब्लैंडिंग के प्रोग्राम (ईबीपी) को लेकर काफी गंभीर है। यही वजह है कि एथेनॉल के नये संयंत्रों की स्थापना को प्रोत्साहित करने वाली योजना के तहत छूट पाने वाली कंपनियों के लिए समयावधि बढ़ा दी गई है। इसके लिए 28 दिसंबर को अधिसूचना जारी कर कहा गया है कि ब्याज छूट योजना के तहत नए एथेनॉल प्लांट स्थापित करने के लिए खाद्य मंत्रालय से ली गई सैद्धांतिक मंजूरी की अवधि को एक साल के लिए बढ़ाकर 30 जून, 2024 कर दिया है।
यह अधिसूचना खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा जारी की गई है। अधिसूचना के मुताबिक एथेनॉल प्लांट की क्षमता विस्तार या नए प्रोजेक्ट स्थापित करने के लिए ऐसे आवेदक जो जमीन खरीद चुके हैं और पर्यावरण मंजूरी ले चुके हैं, उन्हें ब्याज छूट योजना के लिए 22 अप्रैल, 2022 से छह महीने की समयसीमा दी गई थी। इसे बाद में 21 जून, 2023 तक बढ़ाया गया था। शुक्रवार को जारी अधिसूचना में इसे 30 जून, 2024 तक बढ़ा दिया है। इसमें कहा गया है कि बैंकों, एनसीडीसी, ईरेडा, एनबीएफसी या किसी अन्य वित्तीय संस्थान से कर्ज लेने वाली कंपनियों को यह सुविधा मिलेगी। कर्ज जारी होने की तिथि से 30 जून, 2024 या एक साल जो भी अधिक अवधि होगी, उस समय तय यह छूट दी जाएगी। यह सुविधा शीरे और खाद्यान्न से एथेनॉल बनाने वाली डिस्टलरीज को मिलेगी।
सरकार के इस कदम पर उद्योग सूत्रों का कहना है कि सरकार का यह कदम दर्शाता है कि वह एथेनॉल ब्लैंडिंग के प्रोग्राम को लेकर काफी गंभीर है और उसके लिए तय लक्ष्यों को हासिल करना चाहती है। यही वजह है कि सरकार खाद्यान्न आधारित एथेनॉल उत्पादन डिस्टलरीज की अधिक क्षमता स्थापना को प्रोत्साहित करना चाहती है।
सरकार ने पिछले दिनों गन्ने के जूस से सीधे एथेनॉल बनाने पर रोक लगा दी थी। जिसे ईबीपी के लिए एक झटके के रूप में देखा जा रहा था। उद्योग सूत्रों का कहना है कि इस स्थिति में ईबीपी के लक्ष्यों को हासिल करना काफी मुश्किल है क्योंकि फीड स्टॉक की कमी एथेनॉल उत्पादन को प्रभावित करेगी। इसके पहले सरकार ने ग्रेन आधारित रिफाइनरियों के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के स्टॉक से चावल देना बंद कर दिया था। लेकिन 28 दिसंबर की अधिसूचना से उद्योग अधिक क्षमता स्थापित करने लिए सकारात्मक संकेत दिया गया है। इसके साथ ही चीनी मिलों को प्रोत्साहित करने के लिए सी-हैवी मोलेसेज से बनने वाले एथेनॉल की खरीद पर तेल कंपनियों ने 6.87 रूपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी गई है।